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जयपुर के हिंगोनिया गौशाला का दावा, 2 महीने पहले हुई थी लम्पी की Entry!

हिंगोनिया गौशाला के प्रबंधक प्रेम आनंद ने बताया कि तकरीबन 4 दिन पहले गौशाला में चंद मामले थे (Lumpy Disease in Jaipur), लेकिन बीते दिनों से यह मामले लगातार बढ़ कर सामने आ रहे हैं. रोजाना बाहर से आने वाले गोवंश की बड़ी संख्या होने के कारण इन मामलों में फिलहाल इजाफा देखा गया है. ताजा रिपोर्ट के मुताबिक बीते 1 हफ्ते के दौरान गौशाला में 80 के करीब संक्रमित गोवंश को लाया गया था ,जिनमें से 50 का फिलहाल इलाज जारी है, वहीं गायों पर इलाज में कामयाबी मिली है.

Lumpy Disease in Jaipur
आइसोलेट किए जा रहे पशु
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Published : Aug 5, 2022, 9:35 AM IST

Updated : Aug 5, 2022, 2:03 PM IST

जयपुर. शहर की हिंगोनिया गौशाला जिसे गौ पुनर्वास केंद्र के नाम से भी जाना जाता है (Lumpy Disease in Jaipur). यहीं लम्पी वायरस की ग्राउंड रियलिटी को जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम पहुंची. देखा कि वहां अतिरिक्त जिला कलेक्टर के अलावा पशुपालन विभाग के अधिकारी भी मौका मुआयना करने के लिए पहुंचे थे. इस दौरान सामने आया कि गौशाला में करीब 2 महीने पहले ही इस खतरनाक वायरस की एंट्री हो गई थी. दावा किया जा रहा है कि तब काबू पा लिया गया था. इसके बाद बीते कुछ दिनों से नगर निगम की तरफ से पकड़े जाने वाले लावारिस गोवंश के जरिए फिर से गौशाला में लम्पी वायरस की एंट्री हो गई है.

अभी ये हैं हालात: एडीएम बलवीर सिंह ने बताया कि गौशाला में लम्पी वायरस के प्रभावी इलाज के लिए पशुपालन व्यवस्था की तरफ से हिंगोनिया गौशाला में व्यापक इंतजाम किए गए हैं. जिसके तहत गौशाला में रोजाना आने वाले गौवंश को शुरुआती दौर में क्वॉरेंटाइन करने के निर्देश दिए गए हैं. साथ ही संक्रमित पशुओं को आइसोलेट रखने के बाद इलाज की व्यवस्था शुरू की गई है ,ताकि किसी और पशु में यह बीमारी न फैले. बलबीर सिंह ने दावा किया कि हिंगोनिया गौशाला समेत पूरे प्रदेश में दवाइयों की पुख्ता व्यवस्था कर दी गई है. ग्रामीण इलाकों में भी लोगों को सचेत करने के लिए पशुपालन विभाग की तरफ से एडवाइजरी जारी करने का निर्देश दिया गया है. साथ ही पशुपालकों को भी इस बात के लिए जागरूक किया जा रहा है कि लम्पी वायरस से जुड़े संक्रमण के संकेत मिलने के साथ ही पशुओं को आइसोलेट करें.

2 महीने पहले हुई थी लम्पी की Entry!

पढ़ें-लंपी रोग का खतरा बढ़ा, 16 जिलों में गायों के ट्रांसपोर्टेशन पर रोक: लालचंद कटारिया

अधिकारी बोले गोट पॉक्स टीके पर्याप्त: पशुपालन विभाग में जयपुर संभाग के एडिशनल डायरेक्टर उमेद सिंह ने बताया कि दौसा और जयपुर में लंपी वायरस के शिकार पशुओं के कुछ मामले सामने आए हैं. जिसके बाद प्रशासन को सूचना देने के साथ-साथ अब विभाग सर्वे करवाकर पड़ताल में जुटा हुआ है. जब उनसे पूछा गया कि गोट पॉक्स नाम की टीके का इस्तेमाल अभी जोर-शोर के साथ किया जा रहा है, ऐसी परिस्थिति में क्या दवाइयों के लिए व्यवस्था पुख्ता होगी ,तो उन्होंने टीके में किसी भी तरह की कमी की बात से साफ तौर पर इनकार किया. उन्होंने हिंगोनिया गौशाला समेत जयपुर जिले में मोरटिलिटी रेट जीरो होने की बात कही. उम्मेद सिंह ने बताया कि संक्रमित पशुओं के मृत्यु के बाद वायरस को फैलने से रोकने के लिए पशुओं को गड्ढे में गाड़कर उन्हें चूने के नीचे दफन किया जा रहा है ताकि संक्रमण को बढ़ने से रोका जा सके, साथ ही कंट्रोल रूम के जरिए संभावित संक्रमित इलाकों में मॉनिटरिंग की जा रही है.

गौशाला हाई अलर्ट मोड पर: हिंगोनिया गौशाला के प्रबंधक प्रेम आनंद ने बताया कि तकरीबन 4 दिन पहले गौशाला में चंद मामले थे, लेकिन बीते दिनों से यह मामले लगातार बढ़ कर सामने आ रहे हैं. रोजाना बाहर से आने वाले गोवंश की बड़ी संख्या होने के कारण इन मामलों में फिलहाल इजाफा देखा गया है. प्रेम आनंद के मुताबिक संक्रमित और स्वस्थ पशु एक साथ गाड़ियों के जरिए भरकर गौशाला में लाए जाते हैं. ऐसे में फिलहाल आइसोलेशन के जरिए ही वे इन गायों की पहचान कर रहे हैं. गौशाला की ओर से नगर निगम को लिए निर्देश भी दिया गया है कि संक्रमित गायों को अलग से लाया जाए.

गौशाला में पशुपालन विभाग की उपनिदेशक राधेश्याम मीणा ने बताया कि पृथक बाड़े में संक्रमित पशुओं का इलाज किया जा रहा है. साथ ही दवाओं की भी पर्याप्त व्यवस्था की गई है. इसके साथ ही संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए लगातार फॉगिंग की व्यवस्था की गई है. वही संक्रमित गायों को भी विशेष मॉनिटरिंग में रखा जा रहा है.

जयपुर. शहर की हिंगोनिया गौशाला जिसे गौ पुनर्वास केंद्र के नाम से भी जाना जाता है (Lumpy Disease in Jaipur). यहीं लम्पी वायरस की ग्राउंड रियलिटी को जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम पहुंची. देखा कि वहां अतिरिक्त जिला कलेक्टर के अलावा पशुपालन विभाग के अधिकारी भी मौका मुआयना करने के लिए पहुंचे थे. इस दौरान सामने आया कि गौशाला में करीब 2 महीने पहले ही इस खतरनाक वायरस की एंट्री हो गई थी. दावा किया जा रहा है कि तब काबू पा लिया गया था. इसके बाद बीते कुछ दिनों से नगर निगम की तरफ से पकड़े जाने वाले लावारिस गोवंश के जरिए फिर से गौशाला में लम्पी वायरस की एंट्री हो गई है.

अभी ये हैं हालात: एडीएम बलवीर सिंह ने बताया कि गौशाला में लम्पी वायरस के प्रभावी इलाज के लिए पशुपालन व्यवस्था की तरफ से हिंगोनिया गौशाला में व्यापक इंतजाम किए गए हैं. जिसके तहत गौशाला में रोजाना आने वाले गौवंश को शुरुआती दौर में क्वॉरेंटाइन करने के निर्देश दिए गए हैं. साथ ही संक्रमित पशुओं को आइसोलेट रखने के बाद इलाज की व्यवस्था शुरू की गई है ,ताकि किसी और पशु में यह बीमारी न फैले. बलबीर सिंह ने दावा किया कि हिंगोनिया गौशाला समेत पूरे प्रदेश में दवाइयों की पुख्ता व्यवस्था कर दी गई है. ग्रामीण इलाकों में भी लोगों को सचेत करने के लिए पशुपालन विभाग की तरफ से एडवाइजरी जारी करने का निर्देश दिया गया है. साथ ही पशुपालकों को भी इस बात के लिए जागरूक किया जा रहा है कि लम्पी वायरस से जुड़े संक्रमण के संकेत मिलने के साथ ही पशुओं को आइसोलेट करें.

2 महीने पहले हुई थी लम्पी की Entry!

पढ़ें-लंपी रोग का खतरा बढ़ा, 16 जिलों में गायों के ट्रांसपोर्टेशन पर रोक: लालचंद कटारिया

अधिकारी बोले गोट पॉक्स टीके पर्याप्त: पशुपालन विभाग में जयपुर संभाग के एडिशनल डायरेक्टर उमेद सिंह ने बताया कि दौसा और जयपुर में लंपी वायरस के शिकार पशुओं के कुछ मामले सामने आए हैं. जिसके बाद प्रशासन को सूचना देने के साथ-साथ अब विभाग सर्वे करवाकर पड़ताल में जुटा हुआ है. जब उनसे पूछा गया कि गोट पॉक्स नाम की टीके का इस्तेमाल अभी जोर-शोर के साथ किया जा रहा है, ऐसी परिस्थिति में क्या दवाइयों के लिए व्यवस्था पुख्ता होगी ,तो उन्होंने टीके में किसी भी तरह की कमी की बात से साफ तौर पर इनकार किया. उन्होंने हिंगोनिया गौशाला समेत जयपुर जिले में मोरटिलिटी रेट जीरो होने की बात कही. उम्मेद सिंह ने बताया कि संक्रमित पशुओं के मृत्यु के बाद वायरस को फैलने से रोकने के लिए पशुओं को गड्ढे में गाड़कर उन्हें चूने के नीचे दफन किया जा रहा है ताकि संक्रमण को बढ़ने से रोका जा सके, साथ ही कंट्रोल रूम के जरिए संभावित संक्रमित इलाकों में मॉनिटरिंग की जा रही है.

गौशाला हाई अलर्ट मोड पर: हिंगोनिया गौशाला के प्रबंधक प्रेम आनंद ने बताया कि तकरीबन 4 दिन पहले गौशाला में चंद मामले थे, लेकिन बीते दिनों से यह मामले लगातार बढ़ कर सामने आ रहे हैं. रोजाना बाहर से आने वाले गोवंश की बड़ी संख्या होने के कारण इन मामलों में फिलहाल इजाफा देखा गया है. प्रेम आनंद के मुताबिक संक्रमित और स्वस्थ पशु एक साथ गाड़ियों के जरिए भरकर गौशाला में लाए जाते हैं. ऐसे में फिलहाल आइसोलेशन के जरिए ही वे इन गायों की पहचान कर रहे हैं. गौशाला की ओर से नगर निगम को लिए निर्देश भी दिया गया है कि संक्रमित गायों को अलग से लाया जाए.

गौशाला में पशुपालन विभाग की उपनिदेशक राधेश्याम मीणा ने बताया कि पृथक बाड़े में संक्रमित पशुओं का इलाज किया जा रहा है. साथ ही दवाओं की भी पर्याप्त व्यवस्था की गई है. इसके साथ ही संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए लगातार फॉगिंग की व्यवस्था की गई है. वही संक्रमित गायों को भी विशेष मॉनिटरिंग में रखा जा रहा है.

Last Updated : Aug 5, 2022, 2:03 PM IST
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