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हिंदी दिवस पर सीएम अशोक गहलोत ने माना, सरकारी भाषा में कठिन हिंदी का हो रहा प्रयोग, लोगों के समझ में ही नहीं आती - हिंदी दिवस

प्रदेश के सीएम अशोक गहलोत का कहना है कि सरकारी भाषा में प्रयुक्‍त होने वाली हिन्‍दी में कठिन शब्‍दों का प्रयोग होता है, जो आम आदमी को समझ नहीं (CM Gehlot on use of Hindi) आते. साथ ही सीएम ने यह भी स्‍वीकारा की शुरूआती दौर में वे अंग्रेजी के विरोधी थे, लेकिन इंंटरनेशनल लैंग्‍वेज होने के कारण अब वे भी प्रदेश में अंग्रेजी माध्‍यम की स्‍कूलें खोल रहे हैं.

Hindi Diwas 2022: CM Gehlot accepts difficult Hindi words used in government advertisements
हिंदी दिवस पर सीएम अशोक गहलोत ने माना, सरकारी भाषा में कठिन हिंदी का हो रहा प्रयोग, लोगों के समझ में ही नहीं आते
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Published : Sep 14, 2022, 7:20 PM IST

Updated : Sep 15, 2022, 12:21 AM IST

जयपुर. सरकारी भाषा में जो हिंदी प्रयोग की जा रही है, वो बहुत कठिन है. उसे आम आदमी समझ नहीं पाता. इस पर भी काम होना चाहिए. ये कहना है प्रदेश के मुखिया सीएम अशोक गहलोत का. हिंदी दिवस के राज्य स्तरीय समारोह के मंच से सीएम अशोक गहलोत ने सरकारी भाषा में प्रयुक्त होने वाले कठिन शब्दों का हवाला देते हुए ये बात कही. उन्होंने कहा कि सरकारी विज्ञापन आते हैं, वो भी कठिन होते (Difficult Hindi words in Government advt) हैं, जिसे आम आदमी समझ नहीं पाता. माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनी उस पर आगे बढ़े. ताकि उसका लाभ मिल सके. इस दौरान सीएम ने कहा कि शुरुआती दौर में उन्होंने भी इंग्लिश का विरोध किया था और आज सरकार में हैं, तो गांव में इंग्लिश स्कूल खोल रहे हैं. क्योंकि इंग्लिश इंटरनेशनल लैंग्वेज बन गई है.

भाषा एवं पुस्तकालय विभाग की ओर से बुधवार को हिंदी दिवस समारोह का आयोजन (Hindi Diwas celebrated in Jaipur) हुआ. जयपुर के एसएमएस मेडिकल कॉलेज सभागार में हुए आयोजन में मुख्य अतिथि के रुप में सीएम अशोक गहलोत मौजूद रहे. कार्यक्रम में 393 छात्रों को 12वीं कक्षा में हिंदी विषय में टॉप करने पर सम्मानित किया गया. इस दौरान भाषा एवं पुस्तकालय विभाग के स्वर्ण जयंती विशेषांक भाषा विमर्श पुस्तक का विमोचन किया गया. वहीं हिंदी सेवा पुरस्कार 2022 से सर्जन डॉ गोपाल काबरा और आयुर्वेद चिकित्सक डॉ गुंजन शर्मा को सम्मानित किया गया.

हिंदी दिवस पर सीएम अशोक गहलोत .

पढ़ें: हिंदी दिवस विशेषः हिंदी हमारी आने वाली पीढ़ी की आशा है, वर्तमान के इस दौर में हिंदी की बदौलत हम हैं

इस दौरान मुख्य वक्ता के रूप में मौजूद रहे माइक्रोसॉफ्ट स्थानीय भाषााओं के निदेशक बालेंदु शर्मा ने बताया कि हिंदी विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में भी काम कर रही है और इंटरनेट पर सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाली भाषाओं में से एक है. वहीं कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री राजेंद्र यादव ने कहा कि एक शताब्दी से ज्यादा अंग्रेजों की गुलामी में रहने के बाद आज भी कोर्ट में इंग्लिश इस्तेमाल हो रही है. जबकि लगभग 38 करोड़ से ज्यादा लोग हिंदी भाषी हैं. आलम ये है कि यूरोपियन लोग कृष्ण भजन हिंदी में गाते हैं. देश के 10 राज्यों में हिंदी बोली जाती है. ऐसे में हिंदी बोलने में हिचक नहीं गर्व महसूस करें. प्रदेश में खोले जा रहे अंग्रेजी स्कूलों को लेकर उन्‍होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने बेमन से स्कूल खोले हैं. साथ ही कहा कि इंग्लिश जरूरी है, लेकिन मुख्य भाषा हिंदी होनी चाहिए.

वहीं गहलोत ने हिंदी के राजभाषा बनने के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हिंदी को लेकर आज भले ही एक क्रांति आई है. लेकिन राजभाषा के रूप में हिंदी लागू हुई है. उस दौर में नॉर्थ में इंग्लिश को पसंद नहीं करते थे और साउथ में हिंदी के बोर्ड जला दिए जाते थे. वो भी उन लोगों में से जिन्होंने इंग्लिश का विरोध किया था. लेकिन आज सरकार में हैं तो गांव में इंग्लिश स्कूल खोल रहे हैं. क्योंकि ये पब्लिक इंटरेस्ट में है.

पढ़ें: हिंदी दिवस 2022 : क्या हिंदी को बिसराते हुए अंग्रेजी की तरफ बढ़ना सही?

उन्होंने कहा कि भारत सरकार की एक पार्लियामेंट कमेटी होती है, वो हर राज्य में जाती है, ये पता करने के लिए की हिंदी की कितनी प्रोग्रेस हुई है. जो केवल एक फॉर्मेलिटी होती है. वो जाते हैं, मीटिंग करते हैं, लेकिन उसका कोई मतलब नहीं निकलता. यदि हिंदी की प्रोग्रेस हुई है तो उसका श्रेय बॉलीवुड को जाता है. वहीं उन्होंने माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक बिल गेट्स को याद करते हुए कहा कि उन्होंने जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर काम किया है. उसकी बदौलत वो अपने पसंदीदा पुराने गाने सुन पाते हैं. सीएम ने अपेक्षा जताई कि हिंदी की सरकारी लैंग्वेज बहुत कठिन है. सरकारी विज्ञापन की भाषा भी कठिन है, जिसे आम आदमी समझ नहीं पाता. उस पर भी आगे बढ़ें. ताकि लोग लाभान्वित हो सके.

इस दौरान गहलोत ने एक बार फिर मंच से प्रदेश की महिलाओं को दिए जाने वाले स्मार्टफोन और प्रदेशवासियों के लिए शुरू की गई चिरंजीवी योजना का जिक्र किया. साथ ही हिंदी में शत प्रतिशत अंक लाने वाले छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि हमें अपनी हिंदी भाषा पर गर्व होना चाहिए. इसे लेकर शर्मिंदगी महसूस नहीं होनी चाहिए. क्योंकि हिंदी हमारी मातृभाषा है. वो खुद भी टूटी-फूटी इंग्लिश बोल कर काम चलाते हैं. इसमें कोई घबराने की बात नहीं है. वो 50 साल से ज्यादा राजनीति में हैं और केंद्रीय मंत्री, एआईसीसी के महामंत्री, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और तीसरी बार मुख्यमंत्री बन चुके हैं. लेकिन हिंदी भाषी होने पर कभी शर्मिंदगी महसूस नहीं की. क्योंकि हिंदी भाषा बोलने वाले ज्यादा अच्छा कंटेंट दे पाते हैं और ज्यादा भावना के साथ खुद की बात व्यक्त कर पाते हैं. उन्होंने कहा कि उनके सामने हिंदी भाषी राज्य के राजनेता अंग्रेजी में बात करते हैं, तो वो उन्हें भी टोक देते हैं.

पढ़ें: हिंदी दिवस विशेष : पुस्तकें बेचने तक ही सीमित रह गई राजस्थान हिंदी ग्रंथ अकादमी, 2013 के बाद नई पुस्तकों का नहीं हुआ पब्लिकेशन

वहीं कार्यक्रम के बाद पत्रकारों से वार्ता करते हुए गहलोत ने हिंदी दिवस की देशवासियों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि हिंदी हमारी मातृभाषा है. हिंदी एक समृद्ध भाषा है. राज्य सरकार ने हालांकि इंग्लिश स्कूल खोली है, क्योंकि अंग्रेजी अंतरराष्ट्रीय भाषा हो गई है. फिर भी हिंदी भाषा का अपना अलग महत्व है. सरकार इसके प्रचार-प्रसार का भी प्रयास कर रही है. हालांकि इस दौरान वो हिंदी मीडियम स्कूलों को इंग्लिश मीडियम स्कूलों में कन्वर्ट करने के सवाल से बचते नजर आए.

वहीं लम्पी वायरस की रोकथाम को लेकर उन्होंने कहा कि लम्पी का अभी कोई टीका नहीं बना, दवाइयां नहीं है. हालांकि पीएम मोदी ने कहा है कि एक टीका बना है, तो ये टीका जल्दी आए. जिससे राहत मिले. इस दौरान उन्होंने भारत जोड़ो यात्रा को लेकर कहा कि ये यात्रा कामयाबी के साथ चल रही है. तमिलनाडु, केरल सब जगह प्रॉपर रिस्पांस मिल रहा है. देश के सामने महंगाई और बेरोजगारी जैसे मुद्दे हैं. हम चाहते हैं प्यार, मोहब्बत, सद्भावना और भाईचारे से लोग रहें. देश में जो हिंसा का माहौल है, वो खत्म होना चाहिए. यात्रा का उद्देश पावन है. यही वजह है कि लोग साथ दे रहे हैं. इसी वजह से बीजेपी वाले घबराए हुए हैं. वे कोई ना कोई कमेंट करते रहते हैं, जो उन्हीं पर उल्टा पड़ रहा है. जितना यात्रा को लेकर कमेंट करेंगे, उतनी ही बीजेपी को कीमत चुकानी पड़ेगी.

हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने की मांग: देश और प्रदेश में हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए एक मुहिम छिड़ गई है. इस क्रम में हिंदी दिवस के मौके पर राजस्थान विश्वविद्यालय के मुख्य द्वार पर छात्रों ने हस्ताक्षर अभियान चलाते हुए हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने की मांग उठाई. साथ ही हिंदी भाषा में किए गए हस्ताक्षर का फ्लेक्स और ज्ञापन केंद्र सरकार तक पहुंचाने की बात कही. इस दौरान छात्रों को आम बोलचाल में प्राथमिकता पर हिंदी भाषा का प्रयोग करने को लेकर शपथ दिलाई गई. छात्रों ने ये भी कहा कि उन्हें अंग्रेजी भाषा से कोई दुश्मनी नहीं. लेकिन हिंदी मातृभाषा है और अंग्रेजी मौसी के समान है और मौसी मां की जगह नहीं ले सकती है. इसलिए हिंदी भाषा का ज्यादा से ज्यादा प्रयोग करें.

छात्रों ने ली ये शपथ :

  • मैं अपने हस्ताक्षर हिंदी में करूंगा.
  • मैं अपना नाम और विवरण हिंदी में लिखूंगा.
  • मैं गुड मॉर्निंग/गुड नाइट की जगह सुप्रभात शुभ रात्रि लिखूंगा.
  • मैं सभी आमंत्रण हिंदी में भेजूंगा.
  • मैं हाए की जगह नमस्कार का प्रयोग करूंगा.
  • मैं अपने घर के बाहर की नेम प्लेट हिंदी में लगाऊंगा.
  • मैं हिंदी भाषा का ज्यादा से ज्यादा प्रयोग करने का प्रयास करूंगा.

जयपुर. सरकारी भाषा में जो हिंदी प्रयोग की जा रही है, वो बहुत कठिन है. उसे आम आदमी समझ नहीं पाता. इस पर भी काम होना चाहिए. ये कहना है प्रदेश के मुखिया सीएम अशोक गहलोत का. हिंदी दिवस के राज्य स्तरीय समारोह के मंच से सीएम अशोक गहलोत ने सरकारी भाषा में प्रयुक्त होने वाले कठिन शब्दों का हवाला देते हुए ये बात कही. उन्होंने कहा कि सरकारी विज्ञापन आते हैं, वो भी कठिन होते (Difficult Hindi words in Government advt) हैं, जिसे आम आदमी समझ नहीं पाता. माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनी उस पर आगे बढ़े. ताकि उसका लाभ मिल सके. इस दौरान सीएम ने कहा कि शुरुआती दौर में उन्होंने भी इंग्लिश का विरोध किया था और आज सरकार में हैं, तो गांव में इंग्लिश स्कूल खोल रहे हैं. क्योंकि इंग्लिश इंटरनेशनल लैंग्वेज बन गई है.

भाषा एवं पुस्तकालय विभाग की ओर से बुधवार को हिंदी दिवस समारोह का आयोजन (Hindi Diwas celebrated in Jaipur) हुआ. जयपुर के एसएमएस मेडिकल कॉलेज सभागार में हुए आयोजन में मुख्य अतिथि के रुप में सीएम अशोक गहलोत मौजूद रहे. कार्यक्रम में 393 छात्रों को 12वीं कक्षा में हिंदी विषय में टॉप करने पर सम्मानित किया गया. इस दौरान भाषा एवं पुस्तकालय विभाग के स्वर्ण जयंती विशेषांक भाषा विमर्श पुस्तक का विमोचन किया गया. वहीं हिंदी सेवा पुरस्कार 2022 से सर्जन डॉ गोपाल काबरा और आयुर्वेद चिकित्सक डॉ गुंजन शर्मा को सम्मानित किया गया.

हिंदी दिवस पर सीएम अशोक गहलोत .

पढ़ें: हिंदी दिवस विशेषः हिंदी हमारी आने वाली पीढ़ी की आशा है, वर्तमान के इस दौर में हिंदी की बदौलत हम हैं

इस दौरान मुख्य वक्ता के रूप में मौजूद रहे माइक्रोसॉफ्ट स्थानीय भाषााओं के निदेशक बालेंदु शर्मा ने बताया कि हिंदी विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में भी काम कर रही है और इंटरनेट पर सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाली भाषाओं में से एक है. वहीं कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री राजेंद्र यादव ने कहा कि एक शताब्दी से ज्यादा अंग्रेजों की गुलामी में रहने के बाद आज भी कोर्ट में इंग्लिश इस्तेमाल हो रही है. जबकि लगभग 38 करोड़ से ज्यादा लोग हिंदी भाषी हैं. आलम ये है कि यूरोपियन लोग कृष्ण भजन हिंदी में गाते हैं. देश के 10 राज्यों में हिंदी बोली जाती है. ऐसे में हिंदी बोलने में हिचक नहीं गर्व महसूस करें. प्रदेश में खोले जा रहे अंग्रेजी स्कूलों को लेकर उन्‍होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने बेमन से स्कूल खोले हैं. साथ ही कहा कि इंग्लिश जरूरी है, लेकिन मुख्य भाषा हिंदी होनी चाहिए.

वहीं गहलोत ने हिंदी के राजभाषा बनने के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हिंदी को लेकर आज भले ही एक क्रांति आई है. लेकिन राजभाषा के रूप में हिंदी लागू हुई है. उस दौर में नॉर्थ में इंग्लिश को पसंद नहीं करते थे और साउथ में हिंदी के बोर्ड जला दिए जाते थे. वो भी उन लोगों में से जिन्होंने इंग्लिश का विरोध किया था. लेकिन आज सरकार में हैं तो गांव में इंग्लिश स्कूल खोल रहे हैं. क्योंकि ये पब्लिक इंटरेस्ट में है.

पढ़ें: हिंदी दिवस 2022 : क्या हिंदी को बिसराते हुए अंग्रेजी की तरफ बढ़ना सही?

उन्होंने कहा कि भारत सरकार की एक पार्लियामेंट कमेटी होती है, वो हर राज्य में जाती है, ये पता करने के लिए की हिंदी की कितनी प्रोग्रेस हुई है. जो केवल एक फॉर्मेलिटी होती है. वो जाते हैं, मीटिंग करते हैं, लेकिन उसका कोई मतलब नहीं निकलता. यदि हिंदी की प्रोग्रेस हुई है तो उसका श्रेय बॉलीवुड को जाता है. वहीं उन्होंने माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक बिल गेट्स को याद करते हुए कहा कि उन्होंने जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर काम किया है. उसकी बदौलत वो अपने पसंदीदा पुराने गाने सुन पाते हैं. सीएम ने अपेक्षा जताई कि हिंदी की सरकारी लैंग्वेज बहुत कठिन है. सरकारी विज्ञापन की भाषा भी कठिन है, जिसे आम आदमी समझ नहीं पाता. उस पर भी आगे बढ़ें. ताकि लोग लाभान्वित हो सके.

इस दौरान गहलोत ने एक बार फिर मंच से प्रदेश की महिलाओं को दिए जाने वाले स्मार्टफोन और प्रदेशवासियों के लिए शुरू की गई चिरंजीवी योजना का जिक्र किया. साथ ही हिंदी में शत प्रतिशत अंक लाने वाले छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि हमें अपनी हिंदी भाषा पर गर्व होना चाहिए. इसे लेकर शर्मिंदगी महसूस नहीं होनी चाहिए. क्योंकि हिंदी हमारी मातृभाषा है. वो खुद भी टूटी-फूटी इंग्लिश बोल कर काम चलाते हैं. इसमें कोई घबराने की बात नहीं है. वो 50 साल से ज्यादा राजनीति में हैं और केंद्रीय मंत्री, एआईसीसी के महामंत्री, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और तीसरी बार मुख्यमंत्री बन चुके हैं. लेकिन हिंदी भाषी होने पर कभी शर्मिंदगी महसूस नहीं की. क्योंकि हिंदी भाषा बोलने वाले ज्यादा अच्छा कंटेंट दे पाते हैं और ज्यादा भावना के साथ खुद की बात व्यक्त कर पाते हैं. उन्होंने कहा कि उनके सामने हिंदी भाषी राज्य के राजनेता अंग्रेजी में बात करते हैं, तो वो उन्हें भी टोक देते हैं.

पढ़ें: हिंदी दिवस विशेष : पुस्तकें बेचने तक ही सीमित रह गई राजस्थान हिंदी ग्रंथ अकादमी, 2013 के बाद नई पुस्तकों का नहीं हुआ पब्लिकेशन

वहीं कार्यक्रम के बाद पत्रकारों से वार्ता करते हुए गहलोत ने हिंदी दिवस की देशवासियों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि हिंदी हमारी मातृभाषा है. हिंदी एक समृद्ध भाषा है. राज्य सरकार ने हालांकि इंग्लिश स्कूल खोली है, क्योंकि अंग्रेजी अंतरराष्ट्रीय भाषा हो गई है. फिर भी हिंदी भाषा का अपना अलग महत्व है. सरकार इसके प्रचार-प्रसार का भी प्रयास कर रही है. हालांकि इस दौरान वो हिंदी मीडियम स्कूलों को इंग्लिश मीडियम स्कूलों में कन्वर्ट करने के सवाल से बचते नजर आए.

वहीं लम्पी वायरस की रोकथाम को लेकर उन्होंने कहा कि लम्पी का अभी कोई टीका नहीं बना, दवाइयां नहीं है. हालांकि पीएम मोदी ने कहा है कि एक टीका बना है, तो ये टीका जल्दी आए. जिससे राहत मिले. इस दौरान उन्होंने भारत जोड़ो यात्रा को लेकर कहा कि ये यात्रा कामयाबी के साथ चल रही है. तमिलनाडु, केरल सब जगह प्रॉपर रिस्पांस मिल रहा है. देश के सामने महंगाई और बेरोजगारी जैसे मुद्दे हैं. हम चाहते हैं प्यार, मोहब्बत, सद्भावना और भाईचारे से लोग रहें. देश में जो हिंसा का माहौल है, वो खत्म होना चाहिए. यात्रा का उद्देश पावन है. यही वजह है कि लोग साथ दे रहे हैं. इसी वजह से बीजेपी वाले घबराए हुए हैं. वे कोई ना कोई कमेंट करते रहते हैं, जो उन्हीं पर उल्टा पड़ रहा है. जितना यात्रा को लेकर कमेंट करेंगे, उतनी ही बीजेपी को कीमत चुकानी पड़ेगी.

हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने की मांग: देश और प्रदेश में हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए एक मुहिम छिड़ गई है. इस क्रम में हिंदी दिवस के मौके पर राजस्थान विश्वविद्यालय के मुख्य द्वार पर छात्रों ने हस्ताक्षर अभियान चलाते हुए हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने की मांग उठाई. साथ ही हिंदी भाषा में किए गए हस्ताक्षर का फ्लेक्स और ज्ञापन केंद्र सरकार तक पहुंचाने की बात कही. इस दौरान छात्रों को आम बोलचाल में प्राथमिकता पर हिंदी भाषा का प्रयोग करने को लेकर शपथ दिलाई गई. छात्रों ने ये भी कहा कि उन्हें अंग्रेजी भाषा से कोई दुश्मनी नहीं. लेकिन हिंदी मातृभाषा है और अंग्रेजी मौसी के समान है और मौसी मां की जगह नहीं ले सकती है. इसलिए हिंदी भाषा का ज्यादा से ज्यादा प्रयोग करें.

छात्रों ने ली ये शपथ :

  • मैं अपने हस्ताक्षर हिंदी में करूंगा.
  • मैं अपना नाम और विवरण हिंदी में लिखूंगा.
  • मैं गुड मॉर्निंग/गुड नाइट की जगह सुप्रभात शुभ रात्रि लिखूंगा.
  • मैं सभी आमंत्रण हिंदी में भेजूंगा.
  • मैं हाए की जगह नमस्कार का प्रयोग करूंगा.
  • मैं अपने घर के बाहर की नेम प्लेट हिंदी में लगाऊंगा.
  • मैं हिंदी भाषा का ज्यादा से ज्यादा प्रयोग करने का प्रयास करूंगा.
Last Updated : Sep 15, 2022, 12:21 AM IST
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