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खान आवंटन घूस कांड : आरोपियों की याचिका पर जज नाराज, कहा- सिफारिश लाने के भुगतने पड़ सकते हैं गंभीर परिणाम

प्रदेश के चर्चित खान आवंटन महाघूस कांड़ के आरोपियों के वकील की ओर से दायर एक याचिका पर हाईकोर्ट के न्यायाधीश ने गहरी नाराजगी व्यक्त की है. उन्होंने चेतावनी दी है कि एक न्यायाधीश के पास सिफारिश लाने के गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं.

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Published : Sep 23, 2019, 9:12 PM IST

Updated : Sep 23, 2019, 10:32 PM IST

mines bribery case, खान आवंटन घूस कांड केस

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट के न्यायाधीश जीआर मूलचंदानी की एकलपीठ ने खान आवंटन घूस कांड मामले में आईएएस अशोक सिंघवी सहित अन्य आरोपियों की याचिकाओं पर सुनवाई से इंकार करते हुए मामले को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के पास भेज दिया. पूर्व में चार अन्य न्यायाधीश भी मामले में सुनवाई से इंकार कर चुके हैं.

आईएएस अशोक सिंघवी सहित अन्य आरोपियों की याचिका पर सुनवाई से इंकार

सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता को पता होना चाहिए कि न्यायाधीश तक सिफारिश लाने के क्या गंभीर दुष्परिणाम हो सकते हैं. उन्हें सिफारिश के लिए जेल भी भेजा जा सकता है. वहीं ईडी की ओर से एएसजी राजदीपक रस्तोगी ने कहा कि आरोपी अपने आप को कानून से ऊपर समझने लगे हैं. ऐसे में प्रकरण की विस्तृत जांच होनी चाहिए और आरोपियों को अलग से दंडित किया जाना चाहिए. इसके साथ ही अदालत ने मामले को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के समक्ष भेज दिया.

पढ़ेंः भाजपा से गठबंधन हुआ तो समझ लेना वसुंधरा राजे की नहीं चली : हनुमान बेनीवाल

गौरतलब है कि खान आवंटन घूस कांड मामले में ईडी कोर्ट ने आरोपियों के गिरफ्तारी वारंट जारी कर रखे हैं. आरोपियों की ओर से गिरफ्तारी वारंट को जमानती वारंट में बदलने के लिए याचिकाएं पेश की गई है. वहीं निचली अदालत भी गत दिनों प्रकरण से जुडे भ्रष्टाचार के मामले में आरोपियों को मिली जमानत को रद्द कर चुकी है. इसके अलावा ईडी की ओर से आरोपियों को भगौडा घोषित कराने के लिए भी अदालत में प्रार्थना पत्र दायर किया जा चुका है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट के न्यायाधीश जीआर मूलचंदानी की एकलपीठ ने खान आवंटन घूस कांड मामले में आईएएस अशोक सिंघवी सहित अन्य आरोपियों की याचिकाओं पर सुनवाई से इंकार करते हुए मामले को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के पास भेज दिया. पूर्व में चार अन्य न्यायाधीश भी मामले में सुनवाई से इंकार कर चुके हैं.

आईएएस अशोक सिंघवी सहित अन्य आरोपियों की याचिका पर सुनवाई से इंकार

सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता को पता होना चाहिए कि न्यायाधीश तक सिफारिश लाने के क्या गंभीर दुष्परिणाम हो सकते हैं. उन्हें सिफारिश के लिए जेल भी भेजा जा सकता है. वहीं ईडी की ओर से एएसजी राजदीपक रस्तोगी ने कहा कि आरोपी अपने आप को कानून से ऊपर समझने लगे हैं. ऐसे में प्रकरण की विस्तृत जांच होनी चाहिए और आरोपियों को अलग से दंडित किया जाना चाहिए. इसके साथ ही अदालत ने मामले को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के समक्ष भेज दिया.

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गौरतलब है कि खान आवंटन घूस कांड मामले में ईडी कोर्ट ने आरोपियों के गिरफ्तारी वारंट जारी कर रखे हैं. आरोपियों की ओर से गिरफ्तारी वारंट को जमानती वारंट में बदलने के लिए याचिकाएं पेश की गई है. वहीं निचली अदालत भी गत दिनों प्रकरण से जुडे भ्रष्टाचार के मामले में आरोपियों को मिली जमानत को रद्द कर चुकी है. इसके अलावा ईडी की ओर से आरोपियों को भगौडा घोषित कराने के लिए भी अदालत में प्रार्थना पत्र दायर किया जा चुका है.

Intro:बाईट - ASG राजदीपक रस्तोगी


जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट के न्यायाधीश जीआर मूलचंदानी की एकलपीठ ने खान आवंटन घूस कांड मामले में आईएएस अशोक सिंघवी सहित अन्य आरोपियों की याचिकाओं पर सुनवाई से इंकार करते हुए मामले को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के पास भेज दिया। पूर्व में चार अन्य न्यायाधीश भी मामले में सुनवाई से इंकार कर चुके हैं।Body:सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता को पता होना चाहिए कि न्यायाधीश तक सिफारिश लाने के क्या गंभीर दुष्परिणाम हो सकते हैं। उन्हें सिफारिश के लिए जेल भी भेजा जा सकता है। वहीं ईडी की ओर से एएसजी राजदीपक रस्तोगी ने कहा कि आरोपी अपने आप को कानून से ऊपर समझने लगे हैं। ऐसे में प्रकरण की विस्तृत जांच होनी चाहिए और आरोपियों को अलग से दंडित किया जाना चाहिए। इसके साथ ही अदालत ने मामले को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के समक्ष भेज दिया।
गौरतलब है कि खान आवंटन घूस कांड मामले में ईडी कोर्ट ने आरोपियों के गिरफ्तारी वारंट जारी कर रखे हैं। आरोपियों की ओर से गिरफ्तारी वारंट को जमानती वारंट में बदलने के लिए याचिकाएं पेश की गई है। वहीं निचली अदालत भी गत दिनों प्रकरण से जुडे भ्रष्टाचार के मामले में आरोपियों को मिली जमानत को रद्द कर चुकी है। इसके अलावा ईडी की ओर से आरोपियों को भगौडा घोषित कराने के लिए भी अदालत में प्रार्थना पत्र दायर किया जा चुका है।
Conclusion:
Last Updated : Sep 23, 2019, 10:32 PM IST
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