जयपुर. अधिवक्ता संजय भारती ने बताया कि प्रार्थी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि घटना से जुड़े एक अन्य चश्मदीद गवाह व प्रार्थी रहे भागचंद चोटिया की 18 अक्टूबर को हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी. यदि गवाहों की सुरक्षा वापस नहीं लेते तो एक गवाह की हत्या की वारदात नहीं होती. उसकी जान को भी खतरा है लिहाजा उसे सुरक्षा मुहैया कराई जाए.
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दरअसल, इस मामले में दोनों गवाहों को सुरक्षा दी थी, लेकिन मार्च 2019 में चुनाव कारणों से उनकी सुरक्षा वापस ले ली थी. इस दौरान ही अगस्त 2019 में हत्याकांड के दो आरोपियों की उम्रकैद की सजा रद्द कर दी थी. जिस पर प्रार्थियों ने सितंबर 2019 में हाईकोर्ट से सुरक्षा दिलवाने की गुहार की थी, लेकिन याचिका लंबित रहने के दौरान गवाह भागचंद चोटिया की हत्या हो गई.