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ऋण माफी योजना में भ्रष्टाचार को लेकर हाईकोर्ट ने मांगा जवाब

राजस्थान हाईकोर्ट ने साल 2018-19 में किसानों के 50 हजार तक के ऋण माफ करने में हुए भ्रष्टाचार को लेकर बंधित बैंको को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. बता दें कि दायर याचिका में यह कहा गया था कि दस्तावेजों में कई किसानों के ऋण माफ किए गए, जबकि उन्होंने वास्तव में ऋण ही नहीं लिया था.

Debt waiver of farmers rajasthan,  किसानों की ऋण माफी में घोटाला
ऋण माफी योजना में भ्रष्टाचार को लेकर हाईकोर्ट ने मांगा जवाब
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Published : Jul 22, 2020, 1:46 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने साल 2018-19 में किसानों के 50 हजार तक के ऋण माफ करने में हुए भ्रष्टाचार को लेकर राज्य के मुख्य सचिव और सहकारिता विभाग सहित संबंधित बैंको को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महांति और न्यायाधीश प्रकाश गुप्ता की खंडपीठ ने यह आदेश रामस्वरूप वर्मा की जनहित याचिका पर दिए.

याचिका में अधिवक्ता सचिन कुमार ने अदालत को बताया कि राज्य सरकार ने किसान ऋण माफी योजना के तहत किसानों के 50 हजार तक के ऋण को माफ किया था. जिसके चलते प्रदेश में कुल कई हजार करोड़ों रुपए के ऋण माफ किए गए.

याचिका में आरोप लगाया गया कि ऋण माफी में मिलीभगत कर बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार हुआ है. दस्तावेजों में कई किसानों के ऋण माफ किए गए, जबकि उन्होंने वास्तव में ऋण ही नहीं लिया था. याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि राज्य सरकार ने सहकारी बैंकों और भूमि विकास बैंकों के जरिए यह लोन माफी की कार्रवाई की थी.

यह भी पढ़ें : राज्य सरकार ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजा जवाब, कहा- फोन टैपिंग में नहीं हुआ कानून का उल्लंघन

याचिका में धौलपुर सहित आसपास के करीब 28 किसानों के शपथ पत्र पेश किए गए हैं. इन किसानों की ओर से कहा गया कि उन्होंने ऋण नहीं लिया था, लेकिन दस्तावेजों में उनके लोन को माफ दिखाया गया है. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने साल 2018-19 में किसानों के 50 हजार तक के ऋण माफ करने में हुए भ्रष्टाचार को लेकर राज्य के मुख्य सचिव और सहकारिता विभाग सहित संबंधित बैंको को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महांति और न्यायाधीश प्रकाश गुप्ता की खंडपीठ ने यह आदेश रामस्वरूप वर्मा की जनहित याचिका पर दिए.

याचिका में अधिवक्ता सचिन कुमार ने अदालत को बताया कि राज्य सरकार ने किसान ऋण माफी योजना के तहत किसानों के 50 हजार तक के ऋण को माफ किया था. जिसके चलते प्रदेश में कुल कई हजार करोड़ों रुपए के ऋण माफ किए गए.

याचिका में आरोप लगाया गया कि ऋण माफी में मिलीभगत कर बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार हुआ है. दस्तावेजों में कई किसानों के ऋण माफ किए गए, जबकि उन्होंने वास्तव में ऋण ही नहीं लिया था. याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि राज्य सरकार ने सहकारी बैंकों और भूमि विकास बैंकों के जरिए यह लोन माफी की कार्रवाई की थी.

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याचिका में धौलपुर सहित आसपास के करीब 28 किसानों के शपथ पत्र पेश किए गए हैं. इन किसानों की ओर से कहा गया कि उन्होंने ऋण नहीं लिया था, लेकिन दस्तावेजों में उनके लोन को माफ दिखाया गया है. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

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