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सरप्लस घोषित करने से पूर्व की सेवाओं का लाभ नहीं देने पर हाईकोर्ट ने मांगा जवाब - ईटीवी भारत हिन्दी न्यूज

सरप्लस घोषित करने से पहले की सेवाओं का लाभ नहीं देने पर राजस्थान हाईकोर्ट ने गुरुवार को ग्रामीण विकास और पंचायत राज विभाग, पेंशन निदेशक और अलवर जिला परिषद के सीईओ सहित अन्य से जवाब मांगा.

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राजस्थान हाईकोर्ट ने मांगा जवाब
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Published : Aug 27, 2020, 5:54 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने नगर पालिका कर्मचारियों को सरप्लस घोषित कर पंचायती राज विभाग में समायोजित करने पर पूर्व की सेवा अवधि का लाभ नहीं देने पर ग्रामीण विकास और पंचायत राज विभाग, पेंशन निदेशक और अलवर जिला परिषद के सीईओ सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. न्यायाधीश अशोक कुमार गौड़ की एकलपीठ ने यह आदेश श्रीधर गुर्जर और अन्य की ओर से दायर याचिका पर दिए.

पढ़ें: नेशनल अवार्ड पाने वाले थानाधिकारी के खिलाफ कोर्ट ने दिए अनुशासनात्मक कार्रवाई के निर्देश, गंभीर है वजह

याचिका में अधिवक्ता विजय पाठक ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ताओ की नियुक्ति नगर पालिका में सब नाकेदार के पद पर 1982 में हुई थी. नवंबर 1999 में याचिकाकर्ताओं को सरप्लस घोषित कर उन्हें ग्रामीण विकास और पंचायतीराज विभाग में ग्राम सेवक के पद पर समायोजित कर दिया गया. जहां से वह वर्ष 2015 में सेवानिवृत्त हो गए.

पढ़ेंः बन्नाराम मीणा को कोर्ट से मिली राहत, अलवर सरस डेयरी के चेयरमैन पद पर बने रहेंगे

याचिका में कहा गया कि पेंशन की गणना के दौरान विभाग ने याचिकाकर्ताओं की नगरपालिका में दी गई सेवा को नहीं जोड़ा. जिसके चलते याचिकाकर्ताओं को चयनित वेतनमान और पेंशन परिलाभों का लाभ नहीं मिल पा रहा है. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने नगर पालिका कर्मचारियों को सरप्लस घोषित कर पंचायती राज विभाग में समायोजित करने पर पूर्व की सेवा अवधि का लाभ नहीं देने पर ग्रामीण विकास और पंचायत राज विभाग, पेंशन निदेशक और अलवर जिला परिषद के सीईओ सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. न्यायाधीश अशोक कुमार गौड़ की एकलपीठ ने यह आदेश श्रीधर गुर्जर और अन्य की ओर से दायर याचिका पर दिए.

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याचिका में अधिवक्ता विजय पाठक ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ताओ की नियुक्ति नगर पालिका में सब नाकेदार के पद पर 1982 में हुई थी. नवंबर 1999 में याचिकाकर्ताओं को सरप्लस घोषित कर उन्हें ग्रामीण विकास और पंचायतीराज विभाग में ग्राम सेवक के पद पर समायोजित कर दिया गया. जहां से वह वर्ष 2015 में सेवानिवृत्त हो गए.

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याचिका में कहा गया कि पेंशन की गणना के दौरान विभाग ने याचिकाकर्ताओं की नगरपालिका में दी गई सेवा को नहीं जोड़ा. जिसके चलते याचिकाकर्ताओं को चयनित वेतनमान और पेंशन परिलाभों का लाभ नहीं मिल पा रहा है. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

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