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बेशकीमती जमीन की नीलामी का रास्ता साफ, हाईकोर्ट ने प्रार्थना पत्र को किया खारिज

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Published : Jul 20, 2019, 10:20 PM IST

जयपुर में जेडीए के कब्जे की 5 बीघा 6 बिस्वा भूमि की नीलामी पर हाईकोर्ट ने लगी रोक को हटा दिया है. जिसके बाद बेशकीमती जमीन की नीलामी का रास्ता साफ हो गया है. हाईकोर्ट ने प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया है.

बेशकीमती जमीन की नीलामी का रास्ता साफ, हाईकोर्ट ने प्रार्थना पत्र को किया खारिज

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने करीब 48 साल पुराने मामले में विधानसभा के पास लालकोठी स्कीम में जेडीए के कब्जे की 5 बीघा 6 बिस्वा भूमि की नीलामी पर लगी रोक को हटा दिया. इसके साथ ही अदालत ने विधायक नगर विकास समिति व अन्य के उन प्रार्थना पत्रों को भी खारिज कर दिया है. जिनमें खंडपीठ के 17 नवंबर 2016 के आदेश को रद्द करवाने का आग्रह किया गया था.

मुख्य न्यायाधीश एस रविन्द्र भट्ट और न्यायाधीश एसपी शर्मा की खंडपीठ ने यह आदेश जेडीए व राज्य सरकार सहित अन्य पक्षकारों के जमीन की नीलामी पर लगी रोक हटाने के लिए दायर प्रार्थना पत्रों पर दिया. जेडीए ने अदालत में प्रार्थना पत्र दायर कर जमीन की नीलामी पर लगाई अदालत की रोक के 20 दिसंबर 2018 के आदेश को चुनौती दी थी. इस मामले में खंडपीठ ने 17 नवंबर 2016 को जेडीए के पक्ष में फैसला देते हुए एकलपीठ के 30 मई 2008 के उस आदेश को रद्द कर दिया था. जिसमें जेडीए को इस जमीन का नियमन करने का निर्देश दिया था.

जेडीए के अधिवक्ता अमित कुडी ने बताया कि 1971 में राज्य सरकार ने लालकोठी स्कीम में 9 बीघा 6 बिस्वा जमीन को अवाप्त किया था और यूआईटी के भूमि अवाप्ति अधिकारी को उसका कब्जा संभला दिया. इस दौरान खातेदारों ने इस जमीन को अपंजीकृत विक्रय पत्र से अपोलो हाउसिंग सोसायटी को बेच दिया. हाउसिंग सोसायटी ने विधायक नगर विस्तार योजना के नाम से एडीएम के यहां पर भूमि रुपांतरण का आवेदन किया. जिसे एडीएम ने वर्ष 1984 अस्वीकार कर दिया.

इसके बाद जेडीए ने भी 1996 में स्कीम का लेआउट प्लान स्वीकृत करने से मना कर दिया. जिस पर विधायक नगर विकास समिति व अन्य ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर जमीन का नियमन करने की गुहार की. हाईकोर्ट की एकलपीठ ने 30 मई 2008 को जेडीए को इस जमीन का नियमन करने का निर्देश दिया. एकलपीठ के आदेश को जेडीए ने खंडपीठ में चुनौती दी और खंडपीठ ने 17 नवंबर 2016 को जेडीए के पक्ष में फैसला दिया व एकलपीठ का आदेश रद्द कर दिया. लेकिन, जब जेडीए ने जमीन की नीलामी करनी चाही तो हाईकोर्ट ने समिति के प्रार्थना पत्र पर 20 दिसंबर 2018 को जमीन की नीलामी पर रोक लगा दी.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने करीब 48 साल पुराने मामले में विधानसभा के पास लालकोठी स्कीम में जेडीए के कब्जे की 5 बीघा 6 बिस्वा भूमि की नीलामी पर लगी रोक को हटा दिया. इसके साथ ही अदालत ने विधायक नगर विकास समिति व अन्य के उन प्रार्थना पत्रों को भी खारिज कर दिया है. जिनमें खंडपीठ के 17 नवंबर 2016 के आदेश को रद्द करवाने का आग्रह किया गया था.

मुख्य न्यायाधीश एस रविन्द्र भट्ट और न्यायाधीश एसपी शर्मा की खंडपीठ ने यह आदेश जेडीए व राज्य सरकार सहित अन्य पक्षकारों के जमीन की नीलामी पर लगी रोक हटाने के लिए दायर प्रार्थना पत्रों पर दिया. जेडीए ने अदालत में प्रार्थना पत्र दायर कर जमीन की नीलामी पर लगाई अदालत की रोक के 20 दिसंबर 2018 के आदेश को चुनौती दी थी. इस मामले में खंडपीठ ने 17 नवंबर 2016 को जेडीए के पक्ष में फैसला देते हुए एकलपीठ के 30 मई 2008 के उस आदेश को रद्द कर दिया था. जिसमें जेडीए को इस जमीन का नियमन करने का निर्देश दिया था.

जेडीए के अधिवक्ता अमित कुडी ने बताया कि 1971 में राज्य सरकार ने लालकोठी स्कीम में 9 बीघा 6 बिस्वा जमीन को अवाप्त किया था और यूआईटी के भूमि अवाप्ति अधिकारी को उसका कब्जा संभला दिया. इस दौरान खातेदारों ने इस जमीन को अपंजीकृत विक्रय पत्र से अपोलो हाउसिंग सोसायटी को बेच दिया. हाउसिंग सोसायटी ने विधायक नगर विस्तार योजना के नाम से एडीएम के यहां पर भूमि रुपांतरण का आवेदन किया. जिसे एडीएम ने वर्ष 1984 अस्वीकार कर दिया.

इसके बाद जेडीए ने भी 1996 में स्कीम का लेआउट प्लान स्वीकृत करने से मना कर दिया. जिस पर विधायक नगर विकास समिति व अन्य ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर जमीन का नियमन करने की गुहार की. हाईकोर्ट की एकलपीठ ने 30 मई 2008 को जेडीए को इस जमीन का नियमन करने का निर्देश दिया. एकलपीठ के आदेश को जेडीए ने खंडपीठ में चुनौती दी और खंडपीठ ने 17 नवंबर 2016 को जेडीए के पक्ष में फैसला दिया व एकलपीठ का आदेश रद्द कर दिया. लेकिन, जब जेडीए ने जमीन की नीलामी करनी चाही तो हाईकोर्ट ने समिति के प्रार्थना पत्र पर 20 दिसंबर 2018 को जमीन की नीलामी पर रोक लगा दी.

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