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जेलों में कोरोना संक्रमण रोकने के लिए हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को दिए आदेश

जेलों में कोरोना वायरस संक्रमण फैलने से रोकने के लिए राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिए हैं. जिसमें बुजुर्ग, बीमार और छोटे प्रवृत्ति के अपराध के कैदियों को रिहा करने पर विचार करने के सुझाव दिए हैं.

जयपुर की खबर, prisoner to be relieved
राजस्थान उच्च न्यायालय
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Published : Mar 23, 2020, 11:59 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रदेश की जेलों में कोरोना वायरस संक्रमण फैलने से रोकने के लिए राज्य सरकार को आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए हैं. परमेश्वरी चौधरी की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महांति की खंडपीठ ने राज्य के गृह सचिव को शपथ पत्र पेश करने के भी आदेश दिए हैं.

जेलों में कोरोना संक्रमण रोकने के लिए हाईकोर्ट का राज्य सरकार को सुझाव

खंडपीठ ने राज्य सरकार को कोरोना संक्रमण रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाने के साथ ही क्षमता से ज्यादा बंदी होने पर दूसरे जेल में भेजने के निर्देश जारी किए हैं. हाईकोर्ट ने इसके साथ ही राज्य सरकार को बुजुर्ग, बीमार और छोटे प्रवृत्ति के अपराध के कैदियों को रिहा करने पर भी विचार करने का सुझाव दिया है. याचिका में कहा गया कि जेलों में क्षमता से ज्यादा बंदी है और सामाजिक तौर पर उन्हें अलग रखना संभव नहीं है.

पढ़ें: मुख्यमंत्री राहत कोष में अपने 1 दिन का वेतन देगा राजस्थान रोडवेज ऑफिसर्स एसोसिएशन

क्योंकि वहां पर चिकित्सा सुविधा नहीं है. जेल के खराब टॉयलेट और एक-एक वार्ड में दर्जनों बंदी होने से संक्रमण का खतरा सबसे ज्यादा है. इसी वजह से बंदियों राजस्थान प्रिज्जनर पैरोल की धारा 9 A के अनुसार बंदियों की रिहाई के आदेश दिए जाएं.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रदेश की जेलों में कोरोना वायरस संक्रमण फैलने से रोकने के लिए राज्य सरकार को आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए हैं. परमेश्वरी चौधरी की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महांति की खंडपीठ ने राज्य के गृह सचिव को शपथ पत्र पेश करने के भी आदेश दिए हैं.

जेलों में कोरोना संक्रमण रोकने के लिए हाईकोर्ट का राज्य सरकार को सुझाव

खंडपीठ ने राज्य सरकार को कोरोना संक्रमण रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाने के साथ ही क्षमता से ज्यादा बंदी होने पर दूसरे जेल में भेजने के निर्देश जारी किए हैं. हाईकोर्ट ने इसके साथ ही राज्य सरकार को बुजुर्ग, बीमार और छोटे प्रवृत्ति के अपराध के कैदियों को रिहा करने पर भी विचार करने का सुझाव दिया है. याचिका में कहा गया कि जेलों में क्षमता से ज्यादा बंदी है और सामाजिक तौर पर उन्हें अलग रखना संभव नहीं है.

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क्योंकि वहां पर चिकित्सा सुविधा नहीं है. जेल के खराब टॉयलेट और एक-एक वार्ड में दर्जनों बंदी होने से संक्रमण का खतरा सबसे ज्यादा है. इसी वजह से बंदियों राजस्थान प्रिज्जनर पैरोल की धारा 9 A के अनुसार बंदियों की रिहाई के आदेश दिए जाएं.

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