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पूर्व मुख्यमंत्रियों को सुविधाएं देने पर हाइकोर्ट ने जारी की अवमानना नोटिस

राजस्थान हाइकोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्रियों को आवास सहित अन्य सुविधाएं देने पर मुख्य सचिव को अवमानना नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. न्यायाधीश गोरधन बाढ़दार और न्यायाधीश अभय चतुर्वेदी की खंडपीठ ने यह आदेश दिया है.

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Published : Nov 18, 2019, 12:15 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाइकोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्रियों को आवास सहित अन्य सुविधाएं देने पर मुख्य सचिव को अवमानना नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया है. न्यायाधीश गोरधन बाढ़दार और न्यायाधीश अभय चतुर्वेदी की खंडपीठ ने यह आदेश मिलाप चंद डांडिया की अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.

अवमानना याचिका में अधिवक्ता विमल चौधरी और अधिवक्ता योगेश टेलर ने अदालत को बताया कि हाइकोर्ट ने गत 4 सितंबर को आदेश जारी कर पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन बंगला और अन्य सुविधाएं देने को गलत माना था. इसके साथ ही अदालत ने इस संबंध में राजस्थान मंत्री वेतन संशोधन अधिनियम, 2017 की धारा 7 बीबी और धारा 11(2) को रद्द कर दिया था. अदालत ने अपने आदेश में माना था कि लोकतंत्र में पूर्व मुख्यमंत्री और आमजन समान है. ऐसे में उन्हें आजीवन कोई सुविधाएं नहीं दी जा सकती.

यह भी पढे़ं : जस्टिस एसए बोबडे ने 47वें CJI के तौर पर शपथ ली

अवमानना याचिका में कहा गया कि अदालती आदेश के बावजूद राज्य सरकार ने प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्रियों को दी गई सुविधाएं वापस नहीं ली है और ना ही उनके आवास खाली कराए गए हैं. खंडपीठ के इस आदेश की राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील भी पेश नहीं की है. ऐसे में हाइकोर्ट का 4 सितंबर का आदेश अंतिम आदेश हो गया है. इसलिए अदालती आदेश पालना कराई जाए और अवमाननाकर्ता अफसरों पर कार्रवाई की जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने मुख्य सचिव को अवमानना नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

यह दी गई हैं सुविधाएं

  • अधिनियम में संशोधन कर पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और जगन्नाथ पहाड़िया को दी गई सुविधाएं
  • एक निजी सचिव, एक निजी सहायक, लिपिक की दी गई सुविधा
  • 2 सूचना सहायक, चालक और 3 चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी भी तैनात रहते हैं आवास पर
  • रहने के लिए प्रदेश में मनचाही जगह पर आवास और देशभर में भ्रमण के लिए कार की भी सुविधा

जयपुर. राजस्थान हाइकोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्रियों को आवास सहित अन्य सुविधाएं देने पर मुख्य सचिव को अवमानना नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया है. न्यायाधीश गोरधन बाढ़दार और न्यायाधीश अभय चतुर्वेदी की खंडपीठ ने यह आदेश मिलाप चंद डांडिया की अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.

अवमानना याचिका में अधिवक्ता विमल चौधरी और अधिवक्ता योगेश टेलर ने अदालत को बताया कि हाइकोर्ट ने गत 4 सितंबर को आदेश जारी कर पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन बंगला और अन्य सुविधाएं देने को गलत माना था. इसके साथ ही अदालत ने इस संबंध में राजस्थान मंत्री वेतन संशोधन अधिनियम, 2017 की धारा 7 बीबी और धारा 11(2) को रद्द कर दिया था. अदालत ने अपने आदेश में माना था कि लोकतंत्र में पूर्व मुख्यमंत्री और आमजन समान है. ऐसे में उन्हें आजीवन कोई सुविधाएं नहीं दी जा सकती.

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अवमानना याचिका में कहा गया कि अदालती आदेश के बावजूद राज्य सरकार ने प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्रियों को दी गई सुविधाएं वापस नहीं ली है और ना ही उनके आवास खाली कराए गए हैं. खंडपीठ के इस आदेश की राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील भी पेश नहीं की है. ऐसे में हाइकोर्ट का 4 सितंबर का आदेश अंतिम आदेश हो गया है. इसलिए अदालती आदेश पालना कराई जाए और अवमाननाकर्ता अफसरों पर कार्रवाई की जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने मुख्य सचिव को अवमानना नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

यह दी गई हैं सुविधाएं

  • अधिनियम में संशोधन कर पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और जगन्नाथ पहाड़िया को दी गई सुविधाएं
  • एक निजी सचिव, एक निजी सहायक, लिपिक की दी गई सुविधा
  • 2 सूचना सहायक, चालक और 3 चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी भी तैनात रहते हैं आवास पर
  • रहने के लिए प्रदेश में मनचाही जगह पर आवास और देशभर में भ्रमण के लिए कार की भी सुविधा
Intro:जयपुर। राजस्थान हाइकोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्रियों को आवास सहित अन्य सुविधाएं देने पर मुख्य सचिव को अवमानना नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। न्यायाधीश गोरधन बाढ़दार और न्यायाधीश अभय चतुर्वेदी की खंडपीठ ने यह आदेश मिलाप चंद डांडिया की अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए।Body:अवमानना याचिका में अधिवक्ता विमल चौधरी और अधिवक्ता योगेश टेलर ने अदालत को बताया की हाइकोर्ट ने गत 4 सितंबर को आदेश जारी कर पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन बंगला और अन्य सुविधाएं देने को गलत माना था। इसके साथ ही अदालत ने इस संबंध में राजस्थान मंत्री वेतन संशोधन अधिनियम, 2017 की धारा 7 बीबी और धारा 11(2) को रद्द कर दिया था। अदालत ने अपने आदेश में माना था की लोकतंत्र में पूर्व मुख्यमंत्री और आमजन समान है। ऐसे में उन्हें आजीवन कोई सुविधाएं नहीं दी जा सकती।
अवमानना याचिका में कहा गया की अदालती आदेश के बावजूद राज्य सरकार ने प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्रियों को दी गई सुविधाएं वापस नहीं ली है और ना ही उनके आवास खाली कराए हैं। खंडपीठ के इस आदेश की राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील भी पेश नहीं की है। ऐसे में हाइकोर्ट का 4 सितंबर के आदेश अंतिम आदेश हो गया है। इसलिए अदालती आदेश पालना कराई जाए और अवमाननाकर्ता अफसरों पर कार्रवाई की जाए। जिस पर सुनवाई करते हुए के खंडपीठ ने मुख्य सचिव को अवमानना नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।
यह दी गई हैं सुविधाएं
- अधिनियम में संशोधन कर पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और जगन्नाथ पहाड़िया को दी गई सुविधाएं
- एक निजी सचिव, एक निजी सहायक, लिपिक की दी गई सुविधा
- 2 सूचना सहायक, चालक और 3 चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी भी तैनात रहते हैं आवास पर
- रहने के लिए प्रदेश में मनचाही जगह पर आवास और देशभर में भ्रमण के लिए कार की भी सुविधा।Conclusion:
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