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रोडवेज चालकों को अनिवार्य सेवानिवृत्त करने के बाद परिलाभ क्यों नहीं दिए गएः हाईकोर्ट - roadways management

राजस्थान हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव और रोडवेज प्रबंधन को नोटिस जारी किया है. नोटिस में कोर्ट ने पूछा है कि वर्ष 2002 में अनिवार्य सेवानिवृत्त करने के बाद अब तक याचिकाकर्ता को परिलाभ क्यों नहीं दिए गए. न्यायाधीश एसपी शर्मा ने यह आदेश बाबूलाल की याचिका पर दिए.

जयपुर की खबर, notice to roadways management
राजस्थान हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव और रोडवेज प्रबंधन को जारी किया नोटिस
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Published : Feb 5, 2020, 11:47 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव और रोडवेज प्रबंधन को नोटिस जारी कर पूछा है कि वर्ष 2002 में अनिवार्य सेवानिवृत्त करने के बाद अब तक याचिकाकर्ता को परिलाभ क्यों नहीं दिए गए हैं. न्यायाधीश एसपी शर्मा ने यह आदेश बाबूलाल की याचिका पर दिए.

याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता 1977 को चालक पद पर लगा था. वहीं वर्ष 2002 में उसे अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी गई. जिसे लेकर मामला सुप्रीम कोर्ट तक गया. सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2013 में याचिकाकर्ता की उपस्थिति में अनिवार्य सेवानिवृत्ति को सही मान लिया.

पढ़ें: नर्स ग्रेड द्वितीय भर्ती-2018 : राजस्थान हाईकोर्ट ने किया अतिरिक्त स्वास्थ्य सचिव को तलब

वहीं दूसरी ओर रोडवेज प्रबंधन ने वर्ष 2003 में याचिकाकर्ता की सर्विस बुक में याचिकाकर्ता की दुर्घटना में मौत होने का इंद्राज कर दिया. याचिका में कहा गया कि 25 साल की सेवा के बाद उसे अनिवार्य सेवानिवृत्त किया गया है. ऐसे में उसे सेवानिवृत्त परिलाभ दिए जाए. जिसपर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव और रोडवेज प्रबंधन को नोटिस जारी कर पूछा है कि वर्ष 2002 में अनिवार्य सेवानिवृत्त करने के बाद अब तक याचिकाकर्ता को परिलाभ क्यों नहीं दिए गए हैं. न्यायाधीश एसपी शर्मा ने यह आदेश बाबूलाल की याचिका पर दिए.

याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता 1977 को चालक पद पर लगा था. वहीं वर्ष 2002 में उसे अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी गई. जिसे लेकर मामला सुप्रीम कोर्ट तक गया. सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2013 में याचिकाकर्ता की उपस्थिति में अनिवार्य सेवानिवृत्ति को सही मान लिया.

पढ़ें: नर्स ग्रेड द्वितीय भर्ती-2018 : राजस्थान हाईकोर्ट ने किया अतिरिक्त स्वास्थ्य सचिव को तलब

वहीं दूसरी ओर रोडवेज प्रबंधन ने वर्ष 2003 में याचिकाकर्ता की सर्विस बुक में याचिकाकर्ता की दुर्घटना में मौत होने का इंद्राज कर दिया. याचिका में कहा गया कि 25 साल की सेवा के बाद उसे अनिवार्य सेवानिवृत्त किया गया है. ऐसे में उसे सेवानिवृत्त परिलाभ दिए जाए. जिसपर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.

Intro:जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव और रोडवेज प्रबंधन को नोटिस जारी कर पूछा है कि वर्ष 2002 में अनिवार्य सेवानिवृत्त करने के बाद अब तक याचिकाकर्ता को परिलाभ क्यों नहीं दिए गए हैं। न्यायाधीश एसपी शर्मा ने यह आदेश बाबूलाल की याचिका पर दिए।Body:याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता 1977 को चालक पद पर लगा था। वहीं वर्ष 2002 में उसे अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी गई। जिसे लेकर मामला सुप्रीम कोर्ट तक गया। सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2013 में याचिकाकर्ता की उपस्थिति में अनिवार्य सेवानिवृत्ति को सही मान लिया। वहीं दूसरी ओर रोडवेज प्रबंधन ने वर्ष 2003 में याचिकाकर्ता की सर्विस बुक में याचिकाकर्ता की दुर्घटना में मौत होने का इंद्राज कर दिया। याचिका में कहा गया कि 25 साल की सेवा के बाद उसे अनिवार्य सेवानिवृत्त किया गया है। ऐसे में उसे सेवानिवृत्त परिलाभ दिए जाए। जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। Conclusion:
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