जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने वर्ष 2018 में झालावाड़ जिले में सात साल की बच्ची से दुष्कर्म करने के बाद उसकी हत्या करने के मामले में (7 year old girl rape and murder case) निर्दोष माने गए युवक कोमल लोढ़ा के मामले में अदालती आदेश की पालना नहीं करने पर झालावाड़ एसपी को 19 सितंबर को तलब किया है. अदालत ने राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण से भी पूछा है कि अदालती आदेश की पालना में अब तक सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी पेश की गई है या नहीं? जस्टिस पंकज भंडारी और जस्टिस अनूप ढंड ने यह आदेश दिए.
मामले की सुनवाई के दौरान प्रो-बोनो अधिवक्ता नितिन जैन ने बताया कि अदालत ने 11 मई, 2022 को कहा था कि हम बड़े ही भारी हृदय और न्याय की उम्मीद के साथ ऐसे अपराध के आरोपी को आजीवन कारावास में भेज रहे हैं, जो उसने किया ही नहीं है. इसके साथ ही अदालत ने झालावाड़ एसपी को आदेश दिए थे कि वह केस का दो माह में पुन: अनुसंधान करें और जिन अफसरों ने केस लड़ने में असक्षम युवा को फंसाया है, उन अफसरों पर कार्रवाई भी करें.
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हाईकोर्ट के सामने आई रिपोर्ट से पता चला था कि दो अन्य लोगों का डीएनए पीड़िता के कपड़ों पर मिला था. इसके बावजूद पांच महीने बाद भी ना तो अग्रिम अनुसंधान किया है और ना ही दोषियों पर कार्रवाई की गई है. पुलिस की कार्यप्रणाली के कारण एक निर्दोष व्यक्ति जेल में बंद है. इस पर अदालत ने झालावाड़ एसपी को 19 सितंबर को हाजिर होकर स्पष्टीकरण देने को कहा है.
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गौरतलब है कि झालावाड़ के कामखेड़ा थाना इलाके में 28 जुलाई, 2018 को सात साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म के बाद उसकी हत्या की गई थी. पुलिस ने मामले में कोमल लोढ़ा को गिरफ्तार करते हुए घटना के 9 दिन में ही कोर्ट में आरोप पत्र पेश कर दिया. वहीं पॉक्सो कोर्ट ने भी आरोपी को अन्य अपराधों के अलावा हत्या के आरोप में 23 फरवरी, 2019 को फांसी की सजा सुना दी.
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मामला हाईकोर्ट में आने पर पूर्व में अदालत ने फांसी को आजीवन कारावास में बदला था. इस पर राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी. जिस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने प्रकरण रिमांड करते हुए फांसी या आजीवन कारावास के संबंध में फैसला लेने का निर्देश दिया था. इस पर हाईकोर्ट ने कोमल को बेगुनाह मानते हुए उसे आजीवन कारावास में भेजते हुए झालावाड़ एसपी को केस रिओपन करने और दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई करने को कहा था.