जयपुर. कहते हैं बेटियां बेटों कम नहीं होतीं. लेकिन कई बार समाज में बेटियों को वो सम्मान नहीं मिलता जिसकी वे हकदार होती हैं. कई बार ऐसी घटनाएं भी सामने आती हैं जिसमें जन्म देने वाले माता-पिता ही बेटियों से मुंह मोड़ लेते हैं. देखिये ये खास रिपोर्ट...
अंतरष्ट्रीय महिला दिवस पर हम आपको एक ऐसी बेटी की कहानी बताते हैं जिसके पैदा होने पर पिता ने मुंह मोड़ लिया था. उनके एक के बाद एक चार संतानें बेटियां हो गई थीं. चौथी बेटी पैदा हुई तो वे मायूस होकर महादेव के मंदिर में जा बैठे. आज वही बिटिया पिता के सम्मान का बुलंद सितारा बनकर चमक रही है. इसी बेटी ने अपनी सफलताओं से पिता का सिर ऊंचा किया.
योगिनी हेमलता की प्रेरक कहानी
ये कहानी है हेमलता शर्मा की. हेमलता का जन्म पुष्कर के एक गांव मनहेड़ा में 14 फरवरी 1976 को हुआ था. हेमलता हाल ही में कोरोना काल के दौरान लगातार 12 घंटे से ज्यादा समय तक योग कर इंडिया बुक ऑफ़ रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करवा कर सुर्खियों में आईं. इसके अलावा योगिनी हेमलता शर्मा को 2019-दिवालिसिअस नॉर्थ इंडिया यूनिवर्स अवॉर्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है.
पिता की सोच को बदल दिया हेमलता ने
अंतराष्ट्रीय महिला दिवस पर हम हेमलता शर्मा की बात इसलिए भी कर रहे हैं क्योंकि हेमलता उन माता-पिता के लिए एक उदाहरण हैं जो बेटियों को बोझ समझते हैं. उन्हें लगता है कि समाज में बेटे ही नाम रोशन करते हैं. हेमलता के पहले से तीन बहनें थीं. चौथे नंबर पर जब लड़की पैदा हुई तो पिता राधेश्याम मायूस हो गये. वे इतना उदास हुए कि घर छोड़कर मंदिर में जा बैठे.
उन्हें लगा कि चार बेटियों का लालन-पालन कैसे होगा. कोई बेटा होता तो उनकी जिम्मेदारी अपने ऊपर ले लेता. नाम रोशन करता. मायूस पिता को बुआ ने समझाया और वे घर लौट आए. हेमलता जब छोटी थी तब उन्हें पता चला कि उनके जन्म पर पिता घर छोड़कर चले गए थे. यह बात हेमलता के कोमल मन पर इस कदर चुभी कि उसने ठान लिया कि जीवन में कुछ करके दिखाएगी.
बचपन से ही प्रतिभावान थी हेमलता
हेमलता स्कूल के दिनों से ही प्रतिभावान थी. स्कूल-कॉलेज में होने वाले कॉम्पिटिशन में अव्वल आने के बाद भी उसके मन में ये बेचैनी बनी रही कि समाज में नजीर कैसे बने. हेमलता की शादी भी हो गई. शादी के बाद भी वह अपने लक्ष्य को लेकर चिंतित रहती. पति उमेश शर्मा के सहयोग से हेमलता ने योग के क्षेत्र में कदम रखा.
हेमलता बताती हैं कि जब वे योग करने लगीं समझ आया कि महिलाएं योग के क्षेत्र में खुलकर नहीं आ रही हैं. हेमलता ने गांव-गांव ढाणी-ढाणी और अलग-अलग शहरों में जाकर निशुल्क योग शिवर लगाए. उन्होंने महिला योग पर जोर दिया और महिलाओं और बच्चियों को योग के लिए जागरूक किया.
हेमलता ने कोरोना काल में योग को सोशल मिडिया के जरिये भी लोगों तक पहुंचाया. इसके साथ 12 घंटे से ज्यादा लगातार योग कर विश्व रिकॉर्ड भी बनाया.
हेमलता की सफलताएं
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अब तक 100 से ज्यादा अवॉर्ड जीते
हेमलता ने अब तक 100 से ज्यादा अवॉर्ड हासिल किए हैं. राजस्थान में ही नहीं बल्कि देश-विदेश में भी हेमलता ने अपनी पहचान बनाई है. बेटी की सफलता से आज पिता फूले नहीं समाते. वे कहते हैं कि उस वक्त मैं ये समझ बैठा था कि बेटियां पिता के कन्धों का बोझ होती हैं. लेकिन आज जब हेमलता की सफलता को देखता हूं तो सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है.
बेटी के नाम से पिता की पहचान
हेमलता के पिता कहते हैं कि समाज मुझे लोग हेमलता के पिता के नाम से पहचानते हैं. हेमलता की मां कमला देवी बताती हैं कि जब हेमा पैदा हुई थी तो पास वाले बेड पर एक महिला ने लड़के ने जन्म लिया था. उनके पहले से चार बेटे थे. तब उन्होंने कमला पर तरस खाकर कहा था कि आप अपनी बेटी मेरे बेटे से बदल लीजिये. लेकिन कमला तैयार नहीं हुईं. हेमलता ने आज साबित कर दिया कि बेटियां बेटों से कम नहीं होतीं.
हेमलता अब हर बेटी को योग से जोड़ना चाहती हैं. हेमलता कहती हैं कि वे लड़कियों को निशुल्क भी योग सिखाती हैं. हेमलता ने अपनी अथक मेहनत और लगन से ये साबित किया है कि बेटियां पिता के कंधों का बोझ नहीं होतीं, बल्कि पिता से सिर को गुरूर से ऊंचा उठा सकती हैं.