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लॉकडाउन के बीच हर मजदूर की स्थिति को बयां करती है धोलूराम और रजनी की कहानी...

प्रदेश में लॉकडाउन की इस स्थिति में जिला प्रशासन की ओर से दिहाड़ी मजदूरों और जरूरतमंदों को खाना उपलब्ध कराया जा रहा है. लेकिन ईटीवी भारत की टीम को मिले धोलूराम और रजनी के हालात बताते हैं कि जिला प्रशासन की ओर से दी जा रही इस मदद की जरूरतमंदों को जानकारी भी नहीं है.

लॉकडाउन में रोजी-रोटी का संकट, livelihood crisis during lockdown
लॉकडाउन में रोजी-रोटी का संकट
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Published : Mar 27, 2020, 11:05 AM IST

जयपुर. कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए केंद्र और गहलोत सरकार ने लॉकडाउन की घोषणा की हुई है. इस लॉकडाउन में कुछ लोगों के सामने रोजी-रोटी की समस्या खड़ी हो गई है.

जयपुर में कुछ ऐसे लोग हैं जिन को राशन नहीं मिल पा रहा है. वहीं जिला प्रशासन का दावा है कि हर भूखे के पास खाना पहुंचाया जा रहा है. लेकिन धोलूराम और उसकी पत्नी रजनी के हालात इस दावे को झुठलाते दिखाई देते हैं. दोनों को यह जानकारी भी नहीं है कि प्रशासन की ओर से उन्हें खाना उपलब्ध कराया जा रहा है.

लॉकडाउन के दौरान रोजी-रोटी के संकट से घिरे असहाय

दोनों विद्याधर नगर में किराए पर रहते हैं. उनका एक बच्चा भी है. धोलूराम यहां ड्राइवरी कर, अपने परिवार का पेट पाल रहा था. जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 21 दिन के लॉकडाउन की घोषणा की, तो धोलूराम के मालिक ने उसे नौकरी से हटा दिया. नौकरी से निकाले जाने के बाद इनके सामने रोजी रोटी का संकट पैदा हो गया है. खाने के लिए राशन का इंतजाम भी नहीं हो पा रहा.

इस संकट की घड़ी में उन्हें लगा कि उनको गांव लौट जाना चाहिए. जो कि टोंक जिले में है. जयपुर से टोंक तक कि दूरी 100 किमी है. लॉकडाउन में सभी बस, ट्रेन, प्राइवेट गाड़ियां बंद हैं. लोगों के भी बाहर निकलने पर पाबंदी है. यदि आपको किसी वाहन से निकलना है, तो उस वाहन की अनुमति पहले जिला प्रशासन से लेनी होगी और यह गाड़ियां लॉक डाउन में दो से तीन गुना किराया वसूल कर रही हैं. इतने पैसे धोलूराम के पास नहीं हैं.

पढ़ें: लॉक डाउनः कालाबाजारी रोकने के लिए सरकार ने जारी किया Helpline number

ऐसे में धोलूराम और उसकी पत्नी रजनी अपने मासूम बच्चे के साथ पैदल ही गांव लौटने के लिए निकल पड़े. ईटीवी भारत की टीम को ये दोनों गवर्नमेंट हॉस्टल पर मिले. जहां ईटीवी भारत ने इनसे बात की. इस दौरान ईटीवी भारत ने उन्हें जिला कलेक्ट्रेट के कंट्रोल रूम का नंबर दिया. साथ ही उन्हें जानकारी दी कि जरूरतमंद लोगों को जिला प्रशासन खाना दे रहा है और यदि खाना पकाने के साधन हैं, तो सूखा राशन भी दे रहा है.

जयपुर. कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए केंद्र और गहलोत सरकार ने लॉकडाउन की घोषणा की हुई है. इस लॉकडाउन में कुछ लोगों के सामने रोजी-रोटी की समस्या खड़ी हो गई है.

जयपुर में कुछ ऐसे लोग हैं जिन को राशन नहीं मिल पा रहा है. वहीं जिला प्रशासन का दावा है कि हर भूखे के पास खाना पहुंचाया जा रहा है. लेकिन धोलूराम और उसकी पत्नी रजनी के हालात इस दावे को झुठलाते दिखाई देते हैं. दोनों को यह जानकारी भी नहीं है कि प्रशासन की ओर से उन्हें खाना उपलब्ध कराया जा रहा है.

लॉकडाउन के दौरान रोजी-रोटी के संकट से घिरे असहाय

दोनों विद्याधर नगर में किराए पर रहते हैं. उनका एक बच्चा भी है. धोलूराम यहां ड्राइवरी कर, अपने परिवार का पेट पाल रहा था. जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 21 दिन के लॉकडाउन की घोषणा की, तो धोलूराम के मालिक ने उसे नौकरी से हटा दिया. नौकरी से निकाले जाने के बाद इनके सामने रोजी रोटी का संकट पैदा हो गया है. खाने के लिए राशन का इंतजाम भी नहीं हो पा रहा.

इस संकट की घड़ी में उन्हें लगा कि उनको गांव लौट जाना चाहिए. जो कि टोंक जिले में है. जयपुर से टोंक तक कि दूरी 100 किमी है. लॉकडाउन में सभी बस, ट्रेन, प्राइवेट गाड़ियां बंद हैं. लोगों के भी बाहर निकलने पर पाबंदी है. यदि आपको किसी वाहन से निकलना है, तो उस वाहन की अनुमति पहले जिला प्रशासन से लेनी होगी और यह गाड़ियां लॉक डाउन में दो से तीन गुना किराया वसूल कर रही हैं. इतने पैसे धोलूराम के पास नहीं हैं.

पढ़ें: लॉक डाउनः कालाबाजारी रोकने के लिए सरकार ने जारी किया Helpline number

ऐसे में धोलूराम और उसकी पत्नी रजनी अपने मासूम बच्चे के साथ पैदल ही गांव लौटने के लिए निकल पड़े. ईटीवी भारत की टीम को ये दोनों गवर्नमेंट हॉस्टल पर मिले. जहां ईटीवी भारत ने इनसे बात की. इस दौरान ईटीवी भारत ने उन्हें जिला कलेक्ट्रेट के कंट्रोल रूम का नंबर दिया. साथ ही उन्हें जानकारी दी कि जरूरतमंद लोगों को जिला प्रशासन खाना दे रहा है और यदि खाना पकाने के साधन हैं, तो सूखा राशन भी दे रहा है.

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