जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने चुनावी चंदे में भ्रष्टाचार का आरोप लगाने वाली याचिका पर सुनवाई की. सुनवाई करते हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार की एएसजी और चुनाव आयोग को जवाब पेश करने को कहा है. न्यायाधीश मोहम्मद रफीक और न्यायाधीश गोवर्धन बाढ़दार की खंडपीठ ने यह आदेश राजस्थान बार फेडरेशन की ओर से दायर जनहित याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए.
याचिका में कहा गया कि राजनीतिक दलों को चंदा देने के नाम पर भ्रष्टाचार हो रहा है. जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत लोकसभा में खर्च की सीमा 70 लाख तय की गई है. वर्ष 2017 में राजनीतिक दलों को इलेक्ट्रॉरल ब्रांड के जरिए चंदा देने का प्रावधान किया गया है. कंपनी अधिनियम के तहत चंदा राशि को लाभ-हानि में शामिल किया गया है. जबकि आयकर अधिनियम में प्रावधान है कि व्यवसाय के लिए होने वाला खर्च ही टैक्स में छूट योग्य है.
याचिका में कहा कि राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे की जानकारी होना मतदाता का अधिकार है, जबकि प्रकरण में चंदा देने वालों के नाम सार्वजनिक नहीं करने का प्रावधान किया गया है. इसके विपरीत केंद्रीय सूचना आयोग राजनीतिक दलों को सार्वजनिक संस्था मान चुका है. याचिका में कहा गया कि चंदे के नाम पर धन बल का उपयोग किया जा रहा है. याचिका में यह भी कहा गया कि चुनावी प्रचारको के आने-जाने के खर्च की सीमा तय की जाए. इस खर्च को चुनावी खर्च से बाहर रखा गया है, लेकिन प्रचारक हवाई जहाज और हेलीकॉप्टर से आ रहे हैं. वहीं चुनाव आयोग मूक दर्शक बना हुआ है.
चुनावी चंदे कि ऑडिट होनी चाहिए. वही अधिक मिले चंदे को चुनाव आयोग में जमा कराना चाहिए. याचिका में यह भी कहा गया कि चुनाव आयोग में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायधीश को शामिल किया जाना चाहिए. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने मामले की सुनवाई 16 अप्रैल तक टालते हुए संबंधित पक्षकारों से जवाब पेश करने को कहा है.