जयपुर. राजस्थान हाइकोर्ट (Rajasthan High Court) ने तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती-2006 (third grade teacher recruitment 2006) से जुड़े मामले में याचिकाकर्ता एनटीटी अभ्यर्थियों को राहत दी है. अदालत ने राज्य सरकार को निर्देश दिए हैं कि वह याचिकाकर्ता अभ्यर्थियों को शिक्षक पद पर नियुक्ति दे. इसके अलावा याचिकाकर्ता नियुक्ति के बाद अपने खर्च पर छह महीने का ब्रिज करें. यदि वर्तमान में ब्रिज कोर्स की सुविधा नहीं है तो राज्य सरकार इनके लिए अलग से स्पेशल ब्रिज कोर्स करा सकती है या किसी अन्य जगह से कोर्स करवाने की व्यवस्था कर सकती है.
अदालत ने अपने आदेश में कहा की यदि भर्ती में अब कोई पद रिक्त नहीं है तो याचिकाकर्ता क्षतिपूर्ति के लिए दावा पेश कर सकते हैं. जस्टिस एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस अनूप कुमार ढंड की खंडपीठ ने यह सुमन कुमारी व अन्य की अपील पर दिए.
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अपील में अधिवक्ता तरुण चौधरी ने अदालत को बताया कि अपीलार्थियों ने तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती-2006 (third grade teacher recruitment 2006) में आवेदन किया था. मेरिट में आने के बाद आरपीएससी ने उन्हें यह कहते हुए नियुक्ति देने से इनकार कर दिया कि अपीलार्थी एनटीटी योग्यता रखते हैं और इस योग्यता को बीएसटीसी के समान नहीं माना जाता है. इसके खिलाफ याचिका दायर करने पर हाइकोर्ट की एकलपीठ ने वर्ष 2016 में याचिका को खारिज कर दिया.
वहीं, बाद में याचिकाकर्ताओं ने राज्य सरकार के उस परिपत्र का हवाला देते हुए रिव्यू याचिका लगाई, जिसमें राज्य सरकार ने एनटीटी कोर्स को बीएसटीसी के समकक्ष माना था. रिव्यू याचिका को भी एकलपीठ ने खारिज कर दिया. अपीलार्थियों ने इसके विरुद्ध अपील पेश कर कहा कि राज्य सरकार अपने परिपत्र में एनटीटी कोर्स को बीएसटीसी के समकक्ष मान चुकी है. इसके अलावा ऐसे ही एक मामले में राज्य सरकार की ओर से एनटीटी अभ्यर्थी को तृतीय श्रेणी शिक्षक पद पर नियुक्ति दी गई है और हाइकोर्ट भी पूर्व में चार याचिकाओं में एनटीटी अभ्यर्थियों को बीएसटीसी के समान मान चुका है.
वहीं, अपीलार्थी अपने खर्च पर छह महीने का ब्रिज कोर्स करने को तैयार है. इसलिए याचिकाकर्ताओं को तृतीय श्रेणी शिक्षक पद पर नियुक्ति दी जाए. इसके विरोध में राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि फिलहाल प्रदेश में ब्रिज कोर्स कराना बंद किया जा चुका है. ऐसे में अपीलार्थियों को नियुक्ति नहीं दी जा सकती है, जिस पर सुनवाई (Rajasthan High Court) करते हुए खंडपीठ ने याचिकाकर्ताओं को नियुक्ति देने को कहा है.