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एसीएस माइंस की अध्यक्षता में गठित 3 सदस्यीय कमेटी द्वारा 267 प्रकरणों में सुनवाई पूरी - Additional Chief Secretary Mines Dr. Subodh Agrawal

एसीएम माइंस की अध्यक्षता में गठित 3 सदस्यीय कमेटी की ओर से सभी 267 प्रकरणों में सुनवाई पूरी हो गई है. याचियों के पक्ष की सुनवाई के बाद आयोजित उच्च स्तरीय बैठक में बुधवार को सचिवालय में सभी 267 प्रकरणों की समीक्षा की गई.

Letter of intent for mining leases,  Rajasthan Mines Department
अतिरिक्त मुख्य सचिव माइंस डाॅ. सुबोध अग्रवाल
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Published : Oct 21, 2020, 6:48 PM IST

जयपुर. अतिरिक्त मुख्य सचिव माइंस डाॅ. सुबोध अग्रवाल की अध्यक्षता में गठित तीन सदस्यीय कमेटी ने याचियों के पक्ष की सुनवाई के बाद आयोजित उच्च स्तरीय बैठक में बुधवार को सचिवालय में सभी 267 प्रकरणों की समीक्षा की. राज्य सरकार की ओर से गठित तीन सदस्यीय कमेटी में अध्यक्ष डाॅ. सुबोध अग्रवाल, प्रमुख सचिव गृह अभय कुमार और योजना सचिव सिद्धार्थ महाजन की कमेटी ने 14 सितंबर से 25 सितंबर तक वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सभी 267 प्रकरणों में सभी याचियों को बारी-बारी से अवसर प्रदान कर उनके पक्ष को सुना गया.

खान विभाग की ओर से एक नवंबर 2014 से 12 जनवरी 2015 के दौरान खनन पट्टों हेतु जारी मंशा पत्र और पूर्वेक्षण अनुज्ञापत्रों के निरस्तीकरण पर दायर याचिकाओं पर जयपुर और जोधपुर उच्च न्यायालयों की ओर से पारित निर्णयों में याचियों के पक्ष को सुनने के निर्देश दिए गए थे. न्यायालय की ओर से पारित निर्णय के क्रम में प्रशासनिक सुधार विभाग की ओर से तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया.

पढ़ें- जयपुर: आइसर कंपनी में लगी भीषण आग, लाखों का सामान जलकर राख

राज्य सरकार की ओर से गठित कमेटी में एसीएस माइंस डाॅ. सुबोध अग्रवाल के साथ ही प्रमुख सचिव गृह अभय कुमार और आयोजना सचिव सिद्धार्थ महाजन ने याचियों के पक्ष की सुनवाई की. संयुक्त सचिव माइंस ओम कसेरा समिति के सदस्य सचिव हैं. बुधवार को आयोजित उच्च स्तरीय बैठक में समिति सदस्यों के साथ ही निदेशक माइंस केबी पाण्ड्या, डीएलआर गजेन्द्र सिंह, तकनीकी सदस्य अधीक्षण खनिज अभियंता जयपुर महेश माथुर, उदयपुर अनिल खेमसरा, टीए सतीश आर्य ने हिस्सा लिया. बैठक में सुनवाई किए गए सभी 267 याचियों के विचाराधीन प्रकरणों के संबंध में सभी संभावित पहलुओं पर विचार विमर्श किया गया.

गौरतलब है कि खान विभाग की ओर से 1 नवंबर 2014 से 12 जनवरी 2015 के दौरान जारी खनन पट्टों हेतु मंशा पत्र और पूर्वेक्षण अनुज्ञापत्र के संबंध में राज्य सरकार को शिकायत प्राप्त होने पर इस दौरान जारी सभी स्वीकृतियों को निरस्त कर दिया गया था. राज्य सरकार के निरस्तीकरण के आदेश के विरुद्ध जोधपुर और जयपुर के उच्च न्यायालय में विभिन्न रिट याचिकाएं दायर की गई थी.

समिति की बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार संबंधित याचीगणों को अधिक्षण खनि अभियंता जयपुर, कोटा, जोधपुर, उदयपुर, बीकानेर, अजमेर, राजसमंद, भरतपुर, भीलवाड़ा और खनिज अभियंता जैसलमेर के कार्यालय से वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई करते हुए समिति की समक्ष अपना पक्ष रखने का अवसर दिया गया.

जयपुर. अतिरिक्त मुख्य सचिव माइंस डाॅ. सुबोध अग्रवाल की अध्यक्षता में गठित तीन सदस्यीय कमेटी ने याचियों के पक्ष की सुनवाई के बाद आयोजित उच्च स्तरीय बैठक में बुधवार को सचिवालय में सभी 267 प्रकरणों की समीक्षा की. राज्य सरकार की ओर से गठित तीन सदस्यीय कमेटी में अध्यक्ष डाॅ. सुबोध अग्रवाल, प्रमुख सचिव गृह अभय कुमार और योजना सचिव सिद्धार्थ महाजन की कमेटी ने 14 सितंबर से 25 सितंबर तक वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सभी 267 प्रकरणों में सभी याचियों को बारी-बारी से अवसर प्रदान कर उनके पक्ष को सुना गया.

खान विभाग की ओर से एक नवंबर 2014 से 12 जनवरी 2015 के दौरान खनन पट्टों हेतु जारी मंशा पत्र और पूर्वेक्षण अनुज्ञापत्रों के निरस्तीकरण पर दायर याचिकाओं पर जयपुर और जोधपुर उच्च न्यायालयों की ओर से पारित निर्णयों में याचियों के पक्ष को सुनने के निर्देश दिए गए थे. न्यायालय की ओर से पारित निर्णय के क्रम में प्रशासनिक सुधार विभाग की ओर से तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया.

पढ़ें- जयपुर: आइसर कंपनी में लगी भीषण आग, लाखों का सामान जलकर राख

राज्य सरकार की ओर से गठित कमेटी में एसीएस माइंस डाॅ. सुबोध अग्रवाल के साथ ही प्रमुख सचिव गृह अभय कुमार और आयोजना सचिव सिद्धार्थ महाजन ने याचियों के पक्ष की सुनवाई की. संयुक्त सचिव माइंस ओम कसेरा समिति के सदस्य सचिव हैं. बुधवार को आयोजित उच्च स्तरीय बैठक में समिति सदस्यों के साथ ही निदेशक माइंस केबी पाण्ड्या, डीएलआर गजेन्द्र सिंह, तकनीकी सदस्य अधीक्षण खनिज अभियंता जयपुर महेश माथुर, उदयपुर अनिल खेमसरा, टीए सतीश आर्य ने हिस्सा लिया. बैठक में सुनवाई किए गए सभी 267 याचियों के विचाराधीन प्रकरणों के संबंध में सभी संभावित पहलुओं पर विचार विमर्श किया गया.

गौरतलब है कि खान विभाग की ओर से 1 नवंबर 2014 से 12 जनवरी 2015 के दौरान जारी खनन पट्टों हेतु मंशा पत्र और पूर्वेक्षण अनुज्ञापत्र के संबंध में राज्य सरकार को शिकायत प्राप्त होने पर इस दौरान जारी सभी स्वीकृतियों को निरस्त कर दिया गया था. राज्य सरकार के निरस्तीकरण के आदेश के विरुद्ध जोधपुर और जयपुर के उच्च न्यायालय में विभिन्न रिट याचिकाएं दायर की गई थी.

समिति की बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार संबंधित याचीगणों को अधिक्षण खनि अभियंता जयपुर, कोटा, जोधपुर, उदयपुर, बीकानेर, अजमेर, राजसमंद, भरतपुर, भीलवाड़ा और खनिज अभियंता जैसलमेर के कार्यालय से वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई करते हुए समिति की समक्ष अपना पक्ष रखने का अवसर दिया गया.

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