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डेल्टा और डेल्टा प्लस की तुलना में कप्पा वेरिएंट है माइल्ड: रघु शर्मा

राजस्थान के चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा ने कप्पा वेरिएंट को लेकर बड़ा बयान दिया है. रघु शर्मा ने कहा कि कप्पा वेरिएंट माइल्ट वेरिएंट है. इसके लक्षण भी उल्टी, खांसी, बुखार आदि हैं. यह जानलेवा नहीं है.

kappa variant, raghu sharma
राजस्थान में कप्पा वेरिएंट
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Published : Jul 14, 2021, 2:29 PM IST

जयपुर. राजस्थान में कप्पा वेरिएंट के 11 मामले सामने आने के बाद चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा ने इसकी जानकारी सार्वजनिक की. रघु शर्मा ने इसे एक माइल्ड वेरिएंट बताया. लेकिन लापरवाही नहीं बरतने की अपील करते हुए कहा कि यदि कोरोना प्रोटोकॉल की पालना नहीं की तो तीसरी लहर को हम खुद आमंत्रित करेंगे. इस दौरान उन्होंने जनसंख्या नियंत्रण कानून को लेकर भी बड़ा बयान दिया.

पढ़ें: नई बला-कप्पा वेरिएंट : कोरोना के डेल्टा प्लस के बाद कप्पा वेरिएंट ने बढ़ाई चिंता...तेजी से संक्रमण फैलने का दावा, वैक्सीन कारगर

डेल्टा और डेल्टा प्लस की तुलना में कप्पा वेरिएंट माइल्ड वेरिएंट है. इसके चार केस अलवर में, चार जयपुर में, दो बाड़मेर और एक भीलवाड़ा में मिले हैं. एसएमएस अस्पताल में जिनोम सीक्वेंसिंग शुरू की गई है और वेरिएंट्स का पता लगाने के लिए टेस्टिंग चलती रहती है. बीते 2 दिन में जो टेस्ट हुए उनकी रिपोर्ट आई, जिसमें कप्पा वेरिएंट के 11 केस मिले हैं. इस संबंध में चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा ने बताया कि यह जानलेवा वेरिएंट नहीं है. इसके लक्षण भी उल्टी, खांसी, बुखार आदि हैं. लेकिन जिस तरह से डेल्टा और डेल्टा प्लस घातक हैं, ये उतना घातक नहीं है. ये एसिंप्टोमेटिक वेरिएंट है. इसमें कभी-कभी लक्षण नजर भी नहीं आते. ऐसा नहीं है कि ये किसी विशेष आयु वर्ग को इफेक्ट कर रहा हो.

कप्पा वेरिएंट पर रघु शर्मा का बयान

रघु शर्मा ने राजस्थान में कोरोना की स्थिति नियंत्रण में होने की बात कही. उन्होंने कहा कि सरकार ने एसओपी में छूट दी है. इसका मतलब ये नहीं कि आप लापरवाह हो जाएं. दूसरी लहर से पहले भी पूरे राजस्थान में लोगों को आगाह किया गया था. बावजूद इसके लापरवाही के मामले सामने आए. जिसमें राजनीतिक पार्टियों के कार्यक्रम भी शामिल हैं. इसी कारण दूसरी लहर का सामना करना पड़ा.

रघु शर्मा ने कहा कि दूसरी लहर में ऑक्सीजन और बेड की कमी सामने आई. जिसकी वजह से लोगों की जिंदगी भी गई. महज 2 महीने में 6000 से ज्यादा लोगों की मौतें हुई. अब फिर केस नियंत्रण में हैं. राजस्थान में महज 613 एक्टिव केस हैं और मौत का आंकड़ा जीरो है. लेकिन स्थिति नियंत्रण में होना और छूट देने का मतलब ये नहीं है कि आप लापरवाही करें. लोगों का मास्क नहीं लगाना, भीड़ में जुटना खुद तीसरी लहर को आमंत्रित कर रहा है.

चिकित्सा मंत्री ने अपील की कि आम जनता कोविड-19 प्रोटोकॉल की पालना करें. साथ ही वैक्सीन भी लगवाएं. हालांकि एक बार फिर उन्होंने वैक्सीन की कमी बताते हुए कहा कि केंद्र जितनी वैक्सीन देती है, उतनी यहां लगा दी जाती है. जब वैक्सीन नहीं होती तो अनुपलब्धता का बोर्ड लगाना पड़ता है. इस संबंध में भारत सरकार को बार-बार अनुरोध भी कर रहे हैं. हाल ही में सीएम ने पीएम को जुलाई महीने के लिए करीब डेढ़ करोड़ वैक्सीन उपलब्ध कराने के लिए चिट्ठी लिखी है और यदि राजस्थान की हर दिन 15 लाख वैक्सीन लगाने की क्षमता है, तो कम से कम 4 दिन की एडवांस वैक्सीन मिलनी चाहिए. राजस्थान को यदि टाइम बाउंड वैक्सीनेट करना है तो भारत सरकार को वैक्सीन की पर्याप्त आपूर्ति भी करनी होगी.

जनसंख्या नियंत्रण कानून को लेकर भी रघु शर्मा ने बड़ा बयान दिया. उन्होंने कहा कि बढ़ती हुई आबादी देश के लिए चिंता का विषय है. महामारी के इस दौर में चाहे वैक्सीनेशन की बात हो, चाहे विकास की. सभी पर जनसंख्या का प्रतिकूल असर पड़ता है. अब समय आ गया है, जब देश को ये सोचना पड़ेगा कि देश की आबादी को कैसे नियंत्रित रखेंगे. ताकि आने वाली जनरेशन को बेहतर शिक्षा, चिकित्सा, बेहतर जीवनयापन के साधन उपलब्ध हो सकें. 25-30 साल पहले कहा जाता था, हम दो हमारे दो. अब समय आ गया है, हम दो हमारा एक का नारा देश के अंदर हो.

जयपुर. राजस्थान में कप्पा वेरिएंट के 11 मामले सामने आने के बाद चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा ने इसकी जानकारी सार्वजनिक की. रघु शर्मा ने इसे एक माइल्ड वेरिएंट बताया. लेकिन लापरवाही नहीं बरतने की अपील करते हुए कहा कि यदि कोरोना प्रोटोकॉल की पालना नहीं की तो तीसरी लहर को हम खुद आमंत्रित करेंगे. इस दौरान उन्होंने जनसंख्या नियंत्रण कानून को लेकर भी बड़ा बयान दिया.

पढ़ें: नई बला-कप्पा वेरिएंट : कोरोना के डेल्टा प्लस के बाद कप्पा वेरिएंट ने बढ़ाई चिंता...तेजी से संक्रमण फैलने का दावा, वैक्सीन कारगर

डेल्टा और डेल्टा प्लस की तुलना में कप्पा वेरिएंट माइल्ड वेरिएंट है. इसके चार केस अलवर में, चार जयपुर में, दो बाड़मेर और एक भीलवाड़ा में मिले हैं. एसएमएस अस्पताल में जिनोम सीक्वेंसिंग शुरू की गई है और वेरिएंट्स का पता लगाने के लिए टेस्टिंग चलती रहती है. बीते 2 दिन में जो टेस्ट हुए उनकी रिपोर्ट आई, जिसमें कप्पा वेरिएंट के 11 केस मिले हैं. इस संबंध में चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा ने बताया कि यह जानलेवा वेरिएंट नहीं है. इसके लक्षण भी उल्टी, खांसी, बुखार आदि हैं. लेकिन जिस तरह से डेल्टा और डेल्टा प्लस घातक हैं, ये उतना घातक नहीं है. ये एसिंप्टोमेटिक वेरिएंट है. इसमें कभी-कभी लक्षण नजर भी नहीं आते. ऐसा नहीं है कि ये किसी विशेष आयु वर्ग को इफेक्ट कर रहा हो.

कप्पा वेरिएंट पर रघु शर्मा का बयान

रघु शर्मा ने राजस्थान में कोरोना की स्थिति नियंत्रण में होने की बात कही. उन्होंने कहा कि सरकार ने एसओपी में छूट दी है. इसका मतलब ये नहीं कि आप लापरवाह हो जाएं. दूसरी लहर से पहले भी पूरे राजस्थान में लोगों को आगाह किया गया था. बावजूद इसके लापरवाही के मामले सामने आए. जिसमें राजनीतिक पार्टियों के कार्यक्रम भी शामिल हैं. इसी कारण दूसरी लहर का सामना करना पड़ा.

रघु शर्मा ने कहा कि दूसरी लहर में ऑक्सीजन और बेड की कमी सामने आई. जिसकी वजह से लोगों की जिंदगी भी गई. महज 2 महीने में 6000 से ज्यादा लोगों की मौतें हुई. अब फिर केस नियंत्रण में हैं. राजस्थान में महज 613 एक्टिव केस हैं और मौत का आंकड़ा जीरो है. लेकिन स्थिति नियंत्रण में होना और छूट देने का मतलब ये नहीं है कि आप लापरवाही करें. लोगों का मास्क नहीं लगाना, भीड़ में जुटना खुद तीसरी लहर को आमंत्रित कर रहा है.

चिकित्सा मंत्री ने अपील की कि आम जनता कोविड-19 प्रोटोकॉल की पालना करें. साथ ही वैक्सीन भी लगवाएं. हालांकि एक बार फिर उन्होंने वैक्सीन की कमी बताते हुए कहा कि केंद्र जितनी वैक्सीन देती है, उतनी यहां लगा दी जाती है. जब वैक्सीन नहीं होती तो अनुपलब्धता का बोर्ड लगाना पड़ता है. इस संबंध में भारत सरकार को बार-बार अनुरोध भी कर रहे हैं. हाल ही में सीएम ने पीएम को जुलाई महीने के लिए करीब डेढ़ करोड़ वैक्सीन उपलब्ध कराने के लिए चिट्ठी लिखी है और यदि राजस्थान की हर दिन 15 लाख वैक्सीन लगाने की क्षमता है, तो कम से कम 4 दिन की एडवांस वैक्सीन मिलनी चाहिए. राजस्थान को यदि टाइम बाउंड वैक्सीनेट करना है तो भारत सरकार को वैक्सीन की पर्याप्त आपूर्ति भी करनी होगी.

जनसंख्या नियंत्रण कानून को लेकर भी रघु शर्मा ने बड़ा बयान दिया. उन्होंने कहा कि बढ़ती हुई आबादी देश के लिए चिंता का विषय है. महामारी के इस दौर में चाहे वैक्सीनेशन की बात हो, चाहे विकास की. सभी पर जनसंख्या का प्रतिकूल असर पड़ता है. अब समय आ गया है, जब देश को ये सोचना पड़ेगा कि देश की आबादी को कैसे नियंत्रित रखेंगे. ताकि आने वाली जनरेशन को बेहतर शिक्षा, चिकित्सा, बेहतर जीवनयापन के साधन उपलब्ध हो सकें. 25-30 साल पहले कहा जाता था, हम दो हमारे दो. अब समय आ गया है, हम दो हमारा एक का नारा देश के अंदर हो.

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