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Happy Hariyali Teej 2022: आई हरयाली तीज! सुनाई देने लगे त्योहारी गीत, लहरिया और घेवर से बाजार गुलजार

जयपुर और यहां संस्कृति से जुड़े लोगों के लिए तीज का पर्व होली-दीपावली से कम नहीं. झूलों की पींगे, तीज के गीत और नवविवाहितों की हंसी ठिठौली के साथ तीज महिलाओं के सजने-संवरने का पर्व है (Happy Hariyali Teej 2022). राजस्थान में सुहागिनों के इस लोकपर्व पर लहरिया और घेवर की डिमांड रहती है.

Happy Hariyali Teej 2022
लहरिया और घेवर से बाजार गुलजार
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Published : Jul 30, 2022, 10:31 AM IST

जयपुर. लहरिया सिर्फ कपड़े पर उकेरा गया डिजाइन या स्टाइल भर नहीं है इसकी रंग बिरंगी धारियां शगुन और संस्कृति के वो सारे रंग समेटे है, जो यहां के जन जीवन का अटूट हिस्सा है ( Happy Hariyali Teej 2022). यहां सावन में लहरिया पहनना शुभ माना जाता है. जयपुर में सावन के महीने और विशेषकर तीज के अवसर पर धारण किया जाने वाला सतरंगी परिधान लहरिया खुशनुमा जीवन का प्रतीक है. ये राजस्थान का पारंपरिक पहनावा है. सावन के महीने में महिलाएं इसे जरूर पहनती हैं. नई ब्याहता को बड़े मान से लहरिया सौंपा जाता है.

हर आमोखास के दिलों में बसता है लहरिया. लगभग 17वीं शातब्दी में अस्तित्व में आए इस परिधान ने राजसी परिवारों का मान बढ़ाया. तब रॉयल्टी का रंग नीला ज्यादा प्रचलन में था. हां इससे पहले आड़ी तिरछी रेखाओं वको पगड़ियों में इस्तेमाल किया जाता था (Hariyali Teej 2022). आज भी राजसी घरानों से लेकर आम परिवारों तक लोक संस्कृति की पहचान लहरिया के रंगों के साथ बिखरी हुई है. बदलाव ये हुआ कि समय के साथ खास के साथ लहरिया आम परिवारों की पसंद भी बन गया. परम्परा बन गया. आज तीज पर नव विवाहिताओं और सगाई के बाद सिंजारे में लहरिया के सूट और साड़ियां शगुन के तौर पर भेजे जाते हैं. शोख गुलाबी रंग का विशेष महत्व होता है. सौभाग्य की देवी मां लक्ष्मी का प्रतीक चिन्ह है गुलाबी रंग.

लहरिया और घेवर से बाजार गुलजार

तीज से पहले साड़ी विक्रेताओं की लहरिया से सजी धजी दुकानें ऐसे मोहक चित्र प्रस्तुत करती हैं जैसे वो कोई व्यापरिक प्रतिष्ठान नहीं बल्कि कला दीर्घा हो. ऐसी ही एक लहरिया विक्रेता ने बताया कि सावन के लिए बाजार में लहरिया की कई वैरायटी और अलग-अलग रंगों में साड़ियां, सूट और ओढ़नी आ जाते हैं. जितनी बारीक बंधेज हो लहरिए की कीमत उतनी ही ज्यादा हो जाती है. इस पूरे महीने में लहरिया की मांग बढ़ी रहती है. हालांकि बीते 2 साल इस पर्व के दौरान कोरोना की मार भी झेलनी पड़ी थी. लहरिए की साड़ी 300 रुपए से लेकर 15 हजार रुपए तक बाजारों में उपलब्ध है.

पढ़ें-Teej Yatra In Jaipur: 31 जुलाई और 1 अगस्त को निकलेगी तीज माता की सवारी

परिधान में जिस तरह लहरिया, तो मिठाई में तीज का नाम आते ही जुबां पर घेवर का स्वाद आ जाता है (must have lehariya and ghevar). घेवर के बिना तीज का त्योहार मानो अधूरा ही हो. तीज फेस्टिवल सीजन की शुरूआत के साथ ही घेवर की खुशबू से बाजार महक उठता है और ये दौर आखिरी सावन के दिन रक्षाबंधन पर जारी रहता है. हरियाली तीज पर पति अपनी पत्नियों के लिए, पिता बहन-बेटियों के लिए और नवविवाहित युवक ससुराल के लिए घेवर लेकर जाते हैं. ऐसे में तीज पर घेवर की जमकर डिमांड रहती है. जयपुर में तीज फेस्टिवल पर आने वाले पर्यटकों और मेहमानों का स्वागत भी घेवर खिलाकर ही किया जाता है. जिस तरह आज हर चीज में वैरायटी देखने को मिल जाती है इसी तरह घेवर भी बाजारों में कई साइज और डिजाइन में उपलब्ध हैं.

घेवर की महक पिंकसिटी की फिजाओं में मिठास भर रही है. जिन्हें मीठे से परहेज है इनके लिए सादा घेवर, जिन्हें मीठा पसंद है उनके लिए मलाई वाला घेवर बाजार में उपलब्ध है. ये घेवर बाजार में 270 से 500 रुपये किलो की कीमत तक बिक रहा है. लेकिन पारंपरिक राउंड शेप के घेवर को ही लोग सबसे ज्यादा पसंद कर रहे हैं.

जयपुर. लहरिया सिर्फ कपड़े पर उकेरा गया डिजाइन या स्टाइल भर नहीं है इसकी रंग बिरंगी धारियां शगुन और संस्कृति के वो सारे रंग समेटे है, जो यहां के जन जीवन का अटूट हिस्सा है ( Happy Hariyali Teej 2022). यहां सावन में लहरिया पहनना शुभ माना जाता है. जयपुर में सावन के महीने और विशेषकर तीज के अवसर पर धारण किया जाने वाला सतरंगी परिधान लहरिया खुशनुमा जीवन का प्रतीक है. ये राजस्थान का पारंपरिक पहनावा है. सावन के महीने में महिलाएं इसे जरूर पहनती हैं. नई ब्याहता को बड़े मान से लहरिया सौंपा जाता है.

हर आमोखास के दिलों में बसता है लहरिया. लगभग 17वीं शातब्दी में अस्तित्व में आए इस परिधान ने राजसी परिवारों का मान बढ़ाया. तब रॉयल्टी का रंग नीला ज्यादा प्रचलन में था. हां इससे पहले आड़ी तिरछी रेखाओं वको पगड़ियों में इस्तेमाल किया जाता था (Hariyali Teej 2022). आज भी राजसी घरानों से लेकर आम परिवारों तक लोक संस्कृति की पहचान लहरिया के रंगों के साथ बिखरी हुई है. बदलाव ये हुआ कि समय के साथ खास के साथ लहरिया आम परिवारों की पसंद भी बन गया. परम्परा बन गया. आज तीज पर नव विवाहिताओं और सगाई के बाद सिंजारे में लहरिया के सूट और साड़ियां शगुन के तौर पर भेजे जाते हैं. शोख गुलाबी रंग का विशेष महत्व होता है. सौभाग्य की देवी मां लक्ष्मी का प्रतीक चिन्ह है गुलाबी रंग.

लहरिया और घेवर से बाजार गुलजार

तीज से पहले साड़ी विक्रेताओं की लहरिया से सजी धजी दुकानें ऐसे मोहक चित्र प्रस्तुत करती हैं जैसे वो कोई व्यापरिक प्रतिष्ठान नहीं बल्कि कला दीर्घा हो. ऐसी ही एक लहरिया विक्रेता ने बताया कि सावन के लिए बाजार में लहरिया की कई वैरायटी और अलग-अलग रंगों में साड़ियां, सूट और ओढ़नी आ जाते हैं. जितनी बारीक बंधेज हो लहरिए की कीमत उतनी ही ज्यादा हो जाती है. इस पूरे महीने में लहरिया की मांग बढ़ी रहती है. हालांकि बीते 2 साल इस पर्व के दौरान कोरोना की मार भी झेलनी पड़ी थी. लहरिए की साड़ी 300 रुपए से लेकर 15 हजार रुपए तक बाजारों में उपलब्ध है.

पढ़ें-Teej Yatra In Jaipur: 31 जुलाई और 1 अगस्त को निकलेगी तीज माता की सवारी

परिधान में जिस तरह लहरिया, तो मिठाई में तीज का नाम आते ही जुबां पर घेवर का स्वाद आ जाता है (must have lehariya and ghevar). घेवर के बिना तीज का त्योहार मानो अधूरा ही हो. तीज फेस्टिवल सीजन की शुरूआत के साथ ही घेवर की खुशबू से बाजार महक उठता है और ये दौर आखिरी सावन के दिन रक्षाबंधन पर जारी रहता है. हरियाली तीज पर पति अपनी पत्नियों के लिए, पिता बहन-बेटियों के लिए और नवविवाहित युवक ससुराल के लिए घेवर लेकर जाते हैं. ऐसे में तीज पर घेवर की जमकर डिमांड रहती है. जयपुर में तीज फेस्टिवल पर आने वाले पर्यटकों और मेहमानों का स्वागत भी घेवर खिलाकर ही किया जाता है. जिस तरह आज हर चीज में वैरायटी देखने को मिल जाती है इसी तरह घेवर भी बाजारों में कई साइज और डिजाइन में उपलब्ध हैं.

घेवर की महक पिंकसिटी की फिजाओं में मिठास भर रही है. जिन्हें मीठे से परहेज है इनके लिए सादा घेवर, जिन्हें मीठा पसंद है उनके लिए मलाई वाला घेवर बाजार में उपलब्ध है. ये घेवर बाजार में 270 से 500 रुपये किलो की कीमत तक बिक रहा है. लेकिन पारंपरिक राउंड शेप के घेवर को ही लोग सबसे ज्यादा पसंद कर रहे हैं.

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