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Guru Purnima Special : श्मशान भूमि पर शिक्षा की अलख जगाती टीचर जी!

सड़कों पर कचरा बीनने, मजदूरी करने या अपने माता-पिता के साथ दूसरों के घर साफ-सफाई का काम करने वाले सैकड़ों बच्चों की जिन्दगी आसान नहीं होती. इतिहास के पन्नों को पलटें तो पाएंगे कि इन बच्चों को शिक्षा की राह पर लाना तभी संभव हो पाया, जब समाज में से किसी एक ने विपरीत परिस्थितियों को रास्ते का कांटा समझ कर अपनी राह नहीं बदली. और उन लाखों में से एक ने उस कंटीली राह पर चलकर गरीब बच्चों के सपनों को संजोने का काम किया. गुरु पूर्णिमा पर हम ऐसे ही एक गुरु की बात कर रहे हैं (School on Cremation Ground). जिन्होंने जयपुर के रामनगर क्षेत्र के राह भटके बच्चों को शिक्षा के प्रति प्रोत्साहित भी किया और खुद आगे आकर श्मशान (मोक्षधाम) भूमि पर उन्हें तालीम देना शुरू किया.

Guru Purnima Special
श्मशान में क्लास
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Published : Jul 13, 2022, 11:16 AM IST

जयपुर. मोक्षधाम में स्कूल की कल्पना भी नहीं की जा सकती लेकिन प्रेमलता तोमर ने ऐसा किया (School on Cremation Ground). गरीब बच्चों को पढ़ाने की सोच को अमली जामा पहनाने के लिए उन्होंने श्मशान को चुना. निस्वार्थ भाव से बच्चों की टीचर जी शिक्षा के प्रति उनकी रुचि बढ़ा रही हैं. अनुशासन और संस्कारों की पाठशाला चलाती हैं प्रेमलता. बीते 6 साल से गरीब और कमजोर तबके के बच्चों को पढ़ाने का काम कर रही हैं.

ऐसा नहीं है कि इनकी राह आसान रही (Jaipur Teacher on Cremation Ground). सामने कई चुनौतियां भी आईं. जिनमें सबसे बड़ी चुनौती, बच्चों को किसी एक जगह पर बैठा कर पढ़ाने की थी. बहुत सोचा और फिर श्मशान (मोक्षधाम) की जमीन को पाठशाला स्थल बना डाला. 5 बच्चों को साथ ये सफर शुरू किया. पति प्रवीण सिंह तोमर के निधन और तीनों बच्चों के सेटल हो जाने के बाद प्रेमलता तोमर ने इन बच्चों को ही अपना परिवार बना लिया.

पढ़ें-Cake Wali Guru Maa: राजस्थान की स्वाति बिड़ला हैं केक वाली गुरु मां, जानते हैं क्यों?

कोरोना काल हो या सामान्य दिन मोक्ष धाम में स्कूल बदस्तूर चलता है. किसी को कोई समस्या हो तो उसका समाधान भी करती हैं प्रेमलता जी. उन्होंने अपने घर के दरवाजे इन जरूरतमंद बच्चों के लिए खोल रखे हैं. प्रेमलता तोमर से पढ़ने वाले बच्चे बताते हैं कि पहले उन्हें पढ़ाई में कोई रुचि नहीं थी. पैसे कमाने के लिए माता-पिता के साथ काम पर चले जाया करते थे लेकिन जब उन्हें घर के नजदीक ही मोक्ष धाम में लगने वाली निशुल्क कक्षाओं की जानकारी लगी, तो उनका पैर भी यहां पड़ने लगा. नतीजा कि आज उन में पढ़ने की ललक भी पैदा हो गई है.अब वो सरकारी स्कूल में नियमित पढ़ने जाने लगे हैं. तोमर बताती हैं कि बच्चों को अक्षर ज्ञान के साथ-साथ संस्कार भी दिए जाते हैं. माता सरस्वती की अर्चना और भोजन मंत्र इन बच्चों की दिनचर्या में शुमार हो गया है.

राज्य सरकार प्रदेश के आखिरी बच्चे तक शिक्षा पहुंचाने का दावा करती है लेकिन असल में इस दावे को मूर्त रूप देने का काम प्रेमलता तोमर जैसी महिलाएं कर रही हैं, जो बिना किसी वेतन और स्वार्थ के गरीब बच्चों को अक्षर ज्ञान देती हैं. प्रेमलता तोमर इन गरीब बच्चों पर लगी गंदी आदतों की धूल को संस्कार की झाड़ू से साफ कर उनका भविष्य संवारने में जुटी हुई हैं. गुरु पूर्णिमा ऐसे ही गुरुओं के सम्मान और पूजन का पर्व है.

जयपुर. मोक्षधाम में स्कूल की कल्पना भी नहीं की जा सकती लेकिन प्रेमलता तोमर ने ऐसा किया (School on Cremation Ground). गरीब बच्चों को पढ़ाने की सोच को अमली जामा पहनाने के लिए उन्होंने श्मशान को चुना. निस्वार्थ भाव से बच्चों की टीचर जी शिक्षा के प्रति उनकी रुचि बढ़ा रही हैं. अनुशासन और संस्कारों की पाठशाला चलाती हैं प्रेमलता. बीते 6 साल से गरीब और कमजोर तबके के बच्चों को पढ़ाने का काम कर रही हैं.

ऐसा नहीं है कि इनकी राह आसान रही (Jaipur Teacher on Cremation Ground). सामने कई चुनौतियां भी आईं. जिनमें सबसे बड़ी चुनौती, बच्चों को किसी एक जगह पर बैठा कर पढ़ाने की थी. बहुत सोचा और फिर श्मशान (मोक्षधाम) की जमीन को पाठशाला स्थल बना डाला. 5 बच्चों को साथ ये सफर शुरू किया. पति प्रवीण सिंह तोमर के निधन और तीनों बच्चों के सेटल हो जाने के बाद प्रेमलता तोमर ने इन बच्चों को ही अपना परिवार बना लिया.

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कोरोना काल हो या सामान्य दिन मोक्ष धाम में स्कूल बदस्तूर चलता है. किसी को कोई समस्या हो तो उसका समाधान भी करती हैं प्रेमलता जी. उन्होंने अपने घर के दरवाजे इन जरूरतमंद बच्चों के लिए खोल रखे हैं. प्रेमलता तोमर से पढ़ने वाले बच्चे बताते हैं कि पहले उन्हें पढ़ाई में कोई रुचि नहीं थी. पैसे कमाने के लिए माता-पिता के साथ काम पर चले जाया करते थे लेकिन जब उन्हें घर के नजदीक ही मोक्ष धाम में लगने वाली निशुल्क कक्षाओं की जानकारी लगी, तो उनका पैर भी यहां पड़ने लगा. नतीजा कि आज उन में पढ़ने की ललक भी पैदा हो गई है.अब वो सरकारी स्कूल में नियमित पढ़ने जाने लगे हैं. तोमर बताती हैं कि बच्चों को अक्षर ज्ञान के साथ-साथ संस्कार भी दिए जाते हैं. माता सरस्वती की अर्चना और भोजन मंत्र इन बच्चों की दिनचर्या में शुमार हो गया है.

राज्य सरकार प्रदेश के आखिरी बच्चे तक शिक्षा पहुंचाने का दावा करती है लेकिन असल में इस दावे को मूर्त रूप देने का काम प्रेमलता तोमर जैसी महिलाएं कर रही हैं, जो बिना किसी वेतन और स्वार्थ के गरीब बच्चों को अक्षर ज्ञान देती हैं. प्रेमलता तोमर इन गरीब बच्चों पर लगी गंदी आदतों की धूल को संस्कार की झाड़ू से साफ कर उनका भविष्य संवारने में जुटी हुई हैं. गुरु पूर्णिमा ऐसे ही गुरुओं के सम्मान और पूजन का पर्व है.

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