जयपुर. गुर्जर आंदोलन का मसला कई पेचीदगियों में फंसा हुआ है. साल 2006 में हिंडौन से उठी हुंकार में गुर्जरों की प्रमुख मांग थी एसटी वर्ग में आरक्षण. सरकार मांग को टाल रही थी क्योंकि एसटी वर्ग किसी भी कीमत पर आरक्षण गुर्जर समाज के साथ साझा करने को तैयार नहीं होता. साल 2007 में पाटोली में फिर आंदोलन की आग भड़की और 2008 में तो पीलूकापुरा गांव से भड़की गुर्जर आरक्षण आंदोलन की आग में 72 गुर्जर आंदोलनकारियों की मौत हो गई.
14 साल का आंदोलन
गुर्जरों के लिए एसटी में या फिर अलग कैटेगिरी बनाकर 5 फीसदी आरक्षण की मांग से शुरू हुआ आंदोलन 14 साल से चल रहा है. हर साल गाहे-बगाहे गुर्जर आंदोलन की सुगबुगाहट होने लगती है और रेल की पटरियों पर तंबू नजर आने लगते हैं. हर सरकार के लिए भी यह आंदोलन खासा सिरदर्द साबित हुआ है. कानून के जानकारों से सरकार लगातार आरक्षण की गुत्थियों को सुलझाते हुए अब तक गुर्जरों की 14 मांगों पर सहमति बना चुकी है. लेकिन पेंच फंसा है सबसे अहम और बड़ी मांग पर, यह मांग है बैकलॉग में 4 फीसदी आरक्षण.
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क्या है बैकलॉग...
बैकलॉग आज की तारीख में गुर्जरों की सबसे बड़ी मांग है. बैकलॉग पर गुर्जर अड़े हुए हैं. 14 बिंदुओं में बैकलॉग ही है जिस पर गुर्जर अड़े हुए हैं और सरकार मजबूरी गिना रही है. बैकलॉग को आसान भाषा में समझा जाए तो किसी भी भर्ती में निश्चित आरक्षित पदों पर अगर अभ्यर्थी सभी पदों पर नहीं आ पाए, और कुछ पद खाली रह गए, तो बचे हुए पदों को अगली भर्ती में जोड़ दिया जाएगा, इससे उस वर्ग की आरक्षित सीटें अगली भर्ती में बढ़ती चली जाएंगी.
उदाहरण से समझें बैकलॉग...
मान लेते हैं कि 100 पदों के लिए पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा निकली, जिसमें से SC-ST के लिए 28 पद आरक्षित है. इस भर्ती की परीक्षा में 25 अभ्यर्थी ही SC-ST के लिए सलेक्ट हो पाए, बाकि के 3 पद अगली भर्ती में SC-ST के लिए सुरक्षित रखे जाएंगे. अगली पुलिस कांस्टेबल भर्ती 100 पदों के लिए निकलेगी तो SC-ST के लिए 28 की जगह 31 पदों के लिए भर्ती निकाली जाएगी. ये बैकलॉग केवल SC-ST के लिए लागू होता है.
गुर्जर क्यों अड़े हैं बैकलॉग पर...
साल 2015 में प्रदेश की भाजपा सरकार ने गुर्जरों को 5 फीसदी आरक्षण देने का एलान किया. गुर्जरों को ओबीसी में स्पेशल कैटेगिरी एमबीसी बनाकर आरक्षण दिया गया. लेकिन यह व्यवस्था कानूनी दांव-पेंच में उलझ गई. साल 2017 में कोर्ट ने साफ किया कि प्रदेश में 50 फीसदी की सीमा के बाहर आरक्षण नहीं दिया जा सकता. इसके बाद सरकार ने ओबीसी में स्पेशल कैटेगिरी एमबीसी (मिडिल बैकवर्ड क्लास) बनाकर शेष बचा हुआ 1 फीसदी आरक्षण गुर्जरों को दे दिया. फिलहाल गुर्जरों के आरक्षण से जुड़ा मामला चार बार न्याय की पेचीदगियों में उलझ चुका है. गुर्जरों ने पांच फीसदी आरक्षण की मांग की थी, उन्हें 1 फीसदी आरक्षण मिला, इस तरह बचा हुआ 4 फीसदी आरक्षण वे बैकलॉग में चाह रहे हैं.
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गुर्जरों को बैकलॉग की इतनी चाहत क्यों...
गुर्जरों को तय कोटे के अनुसार आरक्षण नहीं मिल रहा है, बार बार उनकी भर्ती से संबंधित मामले कोर्ट में अटकते रहे हैं. ऐसे में बैकलॉग का दायरा बढ़ता जा रहा है. गुजर चाहते हैं कि बैकलॉग भर्ती आरक्षण जिस पर अब तक सिर्फ एससी/एसटी वर्ग का ही अधिकार है, उसमें गुर्जरों को 4 फीसदी आरक्षण दे दिया जाए, ताकि बैकलॉग पदों पर गुर्जर अभ्यर्थियों को ही मौका मिले. लेकिन कानूनन यह संभव नहीं है.
सरकार की क्या है मजबूरी...
सरकार बैकलॉग में गुर्जरों को आरक्षण देकर नई आफत मोल नहीं लेना चाहती. अभी बैकलॉग में आरक्षण का अधिकार सिर्फ अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के पास है. जबकि गुर्जरों को ओबीसी में अलग कैटेगिरी बनाकर आरक्षण दिया गया है. सरकार अगर बैकलॉग में गुर्जरों को उनकी मांग के अनुरूप आरक्षण दे देती है तो गुर्जर आंदोलन तो थम जाएगा, लेकिन प्रदेश में फिर एससी एसटी का नया आंदोलन अपने विकराल रूप में सामने आ सकता है.