जयपुर. एमबीसी आरक्षण को 9वीं अनुसूची में शामिल किए जाने की मांग अब तक अधूरी है. राजस्थान से आने वाले सांसदों ने भी हाल ही में हुए संसद सत्र के दौरान एमबीसी में शामिल जातियों की मांग को सदन में नहीं उठाया. जिससे गुर्जर सहित एमबीसी में शामिल समाज मौजूदा सांसदों से नाराज है.
पढ़ेंः गहलोत ने फिर बोला केंद्र पर हमला...कहा लोगों में फोन टैपिंग का डर है
आंदोलन की अगुवाई कर रहे गुर्जर नेता विजय बैसला के अनुसार यदि समाज के साथ बिगाड़ हुई तो सांसदों का गणित भी बिगड़ेगा. बैंसला ने जल्द ही प्रदेश में राजनीतिक यात्रा निकालने की बात भी कही है.
बीजेपी ही नहीं कांग्रेस के सांसदों को भी दिया था पत्र
राजस्थान में तो एमबीसी में शामिल गुर्जर सहित अन्य जातियों को 5 फीसदी आरक्षण का लाभ मिल रहा है. लेकिन केंद्र सरकार की ओर से इसे स्थाई रूप से सुरक्षा कवच मिले. केंद्र सरकार की ओर से 9वीं अनुसूची में इसे शामिल नहीं किया गया.
गुर्जर नेता किरोड़ी बैंसला और उनके पुत्र ने इस संबंध में प्रदेश के 16 लोकसभा सांसदों और 10 राज्यसभा सांसदों को संसद के सत्र से पहले और उसके दौरान पत्र भेजकर मांग की थी कि वे इस मामले को सदन में उठाएं और समस्या का समाधान करें. लेकिन किसी भी सांसद ने सदन में ना तो लिखित में और ना मौखिक रूप से यह मांग उठाई. अब गुर्जर नेता विजय बैसला कहते हैं कि जब हमारे वोट से यह जनप्रतिनिधि संसद पहुंचे तो फिर हमें क्यों भूल गए. इसका हिसाब तो उन्हें समाज को देना ही होगा.
जैसे-जैसे काम होगा वैसे ही मिलेगा आशीर्वाद
मोदी सरकार के नए मंत्रियों की ओर से निकाली जा रही जन आशीर्वाद यात्रा को लेकर विजय बैंसला ने कहा कि राजस्थान में भी केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव जन आशीर्वाद यात्रा निकाल रहे हैं. उसके लिए धन्यवाद. लेकिन जनता का आशीर्वाद तो जैसे काम होंगे वैसे ही मिलेगा. बैंसला ने कहा कि राज्य सरकार की ओर से केंद्र को इस संबंध में लेटर गए 2 साल का समय हो चुका है. लेकिन हमारा काम अब तक नहीं हुआ. बैंसला ने कहा मैं खुद मंत्री भूपेंद्र यादव से पूछूंगा जो चिट्ठी समाज ने भेजी थी उस पर क्या काम हुआ.
16 लोकसभा और 72 विधानसभा पर सीधा है असर
गुर्जर नेता विजय बैंसला ने कहा कि राजनीतिक दल भले ही हमारी ताकत नहीं पहचान रहे होंगे, लेकिन समाज को अपनी ताकत का पूरा अहसास है. राजस्थान में ही 16 लोकसभा और 72 विधानसभा पर गुर्जर व एमबीसी समाज का सीधा असर है. वहीं देश के कई ऐसे प्रदेश हैं जहां पर एमबीसी समाज राजनीतिक रूप से भी असर रखता है. यदि राजनीतिक दल इसे नहीं पहचाने तो यह उनकी कमी है. उनके नुकसान का विषय है. बैंसला ने कहा कि समाज में राजनीतिक चेतना जागृत करने के लिए जल्द राजनीतिक यात्रा भी निकाली जाएगी.
संभावना कुछ भी हो सकती है मना नहीं करते
भाजपा और कांग्रेस की ओर से मिली निराशा का जवाब देते हुए कहा कि एमबीसी समाज आने वाले विधानसभा चुनाव से पहले अपनी ही नए राजनीतिक दल का गठन भी कर सकता है. हालांकि इसका ऐलान नहीं किया गया, लेकिन इसकी संभावनाओं से भी विजय बैंसला इनकार नहीं करते.
पढ़ेंः 'वर्क इन प्रोग्रेस' में गहलोत मंत्रिमंडल विस्तार, सियासी जोड़तोड़ के बीच राजनीतिक हलकों में गर्माहट!
बैंसला से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि संभावना कुछ भी हो सकती है और उससे इनकार नहीं करते. लेकिन हम फिलहाल इंतजार कर रहे हैं. बैंसला ने कहा यदि भाजपा और कांग्रेस दोनों ही समाज को नहीं साध रहे है तो समाज तो यह गठान खोलेगा ही और फिर गणित भी बिगड़ेगा.