जयपुर. प्रदेश सरकार ने 3 साल के लंबे इंतजार के बाद विभिन्न बोर्ड आयोग और निगमों में राजनीतिक नियुक्ति तो की लेकिन गुर्जर समाज से जुड़े देवनारायण बोर्ड अध्यक्ष पद पर हुई विधायक जोगिंदर अवाना की नियुक्ति (Joginder Awana Appointment as Devnarayan Board President) पर गुर्जर नेता हिम्मत सिंह गुर्जर ने ही सवाल खड़े किए हैं. हिम्मत सिंह ने प्रदेश सरकार पर वादाखिलाफी (Himmat Singh Attacks Gehlot Government) का आरोप लगाया और यह भी कहा कि 15 साल में बोर्ड को 2 चेयरमैन मिले लेकिन वो भी अन्य प्रदेशों से.
हिम्मत गुर्जर ने रविवार को एक ट्वीट (Himmat Singh Tweets) कर प्रदेश सरकार पर देवनारायण बोर्ड अध्यक्ष पद नियुक्ति को लेकर सवाल खड़े किए. हिम्मत सिंह ने अपने ट्वीट (Himmat Singh Tweet) में लिखा कि गुर्जर आरक्षण के लिए प्रदेश के 73 युवाओं की जान चली गई, मुकदमे भी चले, तब जाकर आरक्षण मिला लेकिन विडंबना देखिए 15 साल में देवनारायण बोर्ड को दो चेयरमैन मिले वो भी अन्य प्रदेशों से.
गुर्जर ने गहलोत सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया और कहा 31 अक्टूबर 2020 में हुए गुर्जरों के साथ समझौतों की पालना नहीं की गई है. हिम्मत सिंह गुर्जर का कहना है कि गहलोत सरकार ने एक ऐसे विधायक को बोर्ड का अध्यक्ष बनाया है जो राजस्थान का है ही नहीं. सरकार के इस निर्णय से गुर्जर आरक्षण के लिए सड़क पर उतरने वाले और पुलिस की लाठी खाने वाले समाज के युवकों के साथ अन्याय हुआ है.
अवाना ने लिया था कर्नल बैंसला का आशीर्वाद: देवनारायण बोर्ड अध्यक्ष पद पर कार्यभार संभालने से पहले विधायक जोगिंदर अवाना ने गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के संरक्षक और गुर्जर नेता कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला का आशीर्वाद लिया था. खुद अवाना ने एक निजी अस्पताल पहुंचकर वहां उपचार करवा रहे कर्नल बैंसला कि कुशल क्षेम पूछी और उनसे नई जिम्मेदारी मिलने के बाद आशीर्वाद भी लिया.
यहां आपको बता दे कि जोगिंदर सिंह अवाना नदबई से बसपा के टिकट से विधायक बने थे लेकिन बाद में वो कांग्रेस में शामिल हो गए. अवाना मूलतः राजस्थान के नहीं है. चर्चा यह भी थी कि हिम्मत सिंह गुर्जर खुद देवनारायण बोर्ड अध्यक्ष पद के प्रबल दावेदार माने जा रहे थे. सरकार के इस निर्णय के बाद उन्हें और गुर्जर समाज में उनके समर्थकों को भी मायूसी हाथ लगी है.