जयपुर. बीटीपी (भारतीय ट्राइबल पार्टी) के कांग्रेस से समर्थन वापसी की घोषणा के बाद एक बार फिर प्रदेश की सियासत गरमा गई है. भाजपा ने कांग्रेस पर मौकापरस्ती का आरोप लगाते हुए कहा कि इस घटनाक्रम से स्पष्ट हो गया है कि कांग्रेस ने अपनी सरकार बचाने के लिए बीटीपी विधायक को लालच दिया था.
डूंगरपुर में जिला प्रमुख चुनाव में कांग्रेस सदस्यों ने बीटीपी समर्थित उम्मीदवार को वोट नहीं दिया, जिससे वह हार गया. इससे खफा होकर बीटीपी विधायक ने शुक्रवार को कांग्रेस से समर्थन वापसी की घोषणा कर दी. इस घोषणा के बाद भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि उस समय सरकार गिर रही थी, तब बीटीपी विधायक ने खुद के अपहरण की बात कही थी और बाद में कांग्रेस खेमे में चले गए. उस समय क्या दिया क्या लिया वह जाने, लेकिन मालवीय जी जरूर जानते हैं.
डूंगरपुर में भाजपा कांग्रेस के सदस्यों के मिलने के सवाल पर कहा कि शायद क्षेत्र की जनता की आवश्यकता को देखते हुए दोनों दलों के सदस्य एक साथ आए हैं. जिस तरह से वहां घटनाक्रम हुआ और वहां सांप्रदायिक विद्वेष पैदा करने की कोशिश की जा रही थी. जो पार्टियां 70 साल से राजनीति कर रही है, वह जनता का अमन चैन भी चाहती है इसीलिए दोनों पार्टियां एक-दूसरे के नजदीक आई है.
एक बार फिर किसानों के चक्का जाम को लेकर और कांग्रेस के किसानों का साथ देने के सवाल पर कटारिया ने कहा कि राजस्थान के जिस कांग्रेस नेता को इस विषय पर पूरा भरोसा हो एक बार पब्लिक मीटिंग में खड़े होकर वह इस पर बात कर सकता है. उन्होंने कहा कि स्वामीनाथन आयोग को कांग्रेस सरकार ने गठित किया और उसकी रिपोर्ट 2006 में आई. आयोग की रिपोर्ट को लागू करने की मांग मैंने भी विधानसभा में उठाया था. उन्हीं बातों को जोड़ते हुए कृषि कानून बनाए गए हैं.
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उन्होंने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून को भी बवंडर बना कर अशान्ति फैलाने की कोशिश की गई. यदि कृषि कानूनों में संशोधन कर कुछ अच्छा हो सकता है, तो उसके लिए सरकार पहल कर रही है. कटारिया ने कहा कि जो वास्तव में किसान है, वह दर्द महसूस करें तो समझ में आता है. किसान के नाम पर जो व्यापार करते हैं, जो कमाते हैं, वे लोग अपने हक की रक्षा के लिए लड़ रहे हैं.
कटारिया ने कहा कि पहली बार किसानों को आजादी मिली है कि वह अपनी फसल का दाम खुद तय कर सकते हैं. 70 साल आजादी के बाद पहली बार किसानों को यह हक मिला है.