जयपुर. प्रदेश में बढ़ते कोरोना संक्रमण के बीच राजस्थान विधानसभा में शुक्रवार को इस पर चर्चा भी हुई. जिसमें शामिल होते हुए नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि आरोप-प्रत्यारोप लगाने से काम नहीं चलेगा. बल्कि कोरोना से मिलकर ही मुकाबला किया जा सकता है. कटारिया ने इस दौरान कांग्रेस नेताओं द्वारा केंद्र सरकार की कोरोना काल में मदद के बावजूद बार-बार कमियां निकाले जाने पर भी अपनी नाराजगी जताई. उन्होंने साफ तौर पर कहा कि जब केंद्र सरकार इस संकट काल में प्रदेशों की मदद कर रहा है, तो तारीफ भी प्रदेश सरकार को करना चाहिए.
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सदन में बोलते हुए कटारिया ने यह भी कहा कि जब आप बार-बार केंद्र सरकार से यह नहीं मिला वह नहीं मिला कहकर चुटिया भरेंगे, तो हम भी आपको केंद्र से मिल रही मदद ना करने को लेकर चुटिया भरते रहेंगे. कटारिया ने कहा जब देश में कोरोना का प्रभाव पड़ा था तब उससे मुकाबले के लिए राजस्थान को 1881 करोड़ रुपए मिले थे.
लेकिन उसका जिक्र आज तक प्रदेश सरकार ने नहीं किया. कटारिया ने कहा कि मैंने मेरे जीवन में पहली बार देखा है, जब इस तरह के संकट काल में केंद्र की सरकार ने आगे बढ़कर 20 लाख करोड़ का पैकेज देश के राज्यों के लिए घोषित किया. जिससे संकट के समय में हर प्रदेश को कुछ ना कुछ राहत मिल सके. ऐसे में हमें चाहिए कि हम केंद्र सरकार की ओर से मिले हुए पैकेज और योजनाओं का लाभ उठाते हुए सामूहिक रूप से इस महामारी से लड़ाई लड़े. इस दौरान गुलाबचंद कटारिया ने प्रदेश को केंद्र सरकार की ओर से मिले पीपीई किट और अन्य वेंटिलेटर सहित अन्य आर्थिक पैकेज की भी जानकारी सदन में रखी.
कहां गई सैनिटाइजेशन मशीनें: कटारिया
गुलाबचंद कटारिया ने सदन में कहा कि जब प्रदेश में कोरोना पॉजिटिव की संख्या सैकड़ों में थी तब हर जगह सैनिटाइजेशन हुआ करता था और उसकी मशीनें भी दिखी थी. लेकिन आज जब यह संख्या हजारों में पहुंच गई तब सैनिटाइजेशन का काम बंद हो चुका है, यह मशीनें नहीं दिखती. आखिर इस प्रकार की लापरवाही इस समय क्यों बरती जा रही है.
लोगों की मानसिकता नहीं बदली: कटारिया
गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि इस महामारी से लड़कर बचने का एकमात्र तरीका है जागरूक रहना और खुद को इस महामारी से बचाकर काम करना. लेकिन लोगों की मानसिकता अब तक नहीं बदली. यही कारण है कि प्रदेश में कोरोना लगातार बढ़ रहा है. ऐसे में प्रदेश सरकार को चाहिए कि इस सिलसिले में वे प्रचार प्रसार करे.
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि प्रदेश में 3 दिन में जांच रिपोर्ट आती है. जबकि वीआईपी लोगों की 3 घंटे में आ जाती है. ऐसी स्थिति में कोरोना वायरस की आशंका रहती है. प्रदेश सरकार को चाहिए कि जिस क्षमता से कोरोना संक्रमण है, उसकी रिपोर्ट भी जल्दी आए. जिससे संक्रमित सदस्य उस दौरान कहीं इधर-उधर अन्य लोगों को संक्रमित ना कर सके.
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कटारिया ने इस दौरान स्पीड टेस्टिंग किट पर उठ रहे सवालों का भी जवाब दिया. उन्होंने कहा कि अगर किसी किट से 20 मिनट में जांच रिपोर्ट सामने आ जाती है तो हम उसके अनुसार अपने आप को सुरक्षित तो कर ही सकते हैं और संभवत: राजस्थान में जो जांच हो रही है वह भी शत प्रतिशत सही नहीं कही जा सकती.
क्वॉरेंटाइन सेंटर के हालात सुधारे: कटारिया
अपने संबोधन में नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने यह भी कहा कि प्रदेश में क्वॉरेंटाइन सेंटर के हालात सुधारे जाना चाहिए. वहां जिस प्रकार के माहौल है उसमें आदमी ठीक होने की जगह और बीमार हो जाता है. इस दौरान उन्होंने कुछ सेंटर का हवाला भी दिया. जहां भोजन देते समय दूर से भोजन फेंक कर दिया जाता है.
कटारिया ने कहा सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में कुछ गाइडलाइन भी दिए हैं. जिसे राजस्थान में फॉलोअप तक नहीं किया गया. खास तौर पर यदि मरीज के साथ एक अटेंडेंट हो जो उससे संपर्क कर सके तो कम से कम इन सेंटर में आने वाले मरीज मानसिक रूप से अवसाद में नहीं आएंगे. कटारिया ने कहा यदि हो सके तो सेंटर्स में टीवी की व्यवस्था करवा दें, ताकि यहां मरीज अपना टाइम पास भी कर सके.
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सब्सिडी नहीं होती तो आज देश अपने पांव पर खड़ा हो जाता: कटारिया
सदन में चर्चा के दौरान गुलाबचंद कटारिया ने यह भी कहा कि हमें आज देश के लोगों को अपने पांव पर खड़ा करना है. लेकिन हर बात में सरकार सब्सिडी देती है. यह सब्सिडी ऐसे लोगों को तत्कालिक मदद तो कर देती है. लेकिन हमारा मकसद इन लोगों को अपने पांव पर खड़ा करना होना चाहिए. कटारिया ने कहा कि अगर यह सब्सिडी शुरुआत में ही बंद कर दी जाती तो आज देश के सभी लोग आर्थिक रूप से अपने पांव पर खड़े रहते, मतलब आत्मनिर्भर होते.
निजी अस्पतालों की जांच रिपोर्ट में गफलत: कटारिया
अपने संबोधन के दौरान नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने निजी अस्पतालों में होने वाली कोरोना जांच पर भी सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि भले ही सरकार ने यहां पर जांच की दरें तय कर दी हो, लेकिन यहां जांच कराने वाले की जांच रिपोर्ट कभी पॉजिटिव तो कभी नेगेटिव आती है. इस सिलसिले में केवल पैसे बनाने का काम ही चलता है.