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Ground Report :विरासत पर बट्टा लगा रहीं गंदी गलियां, परकोटा क्षेत्र में सफाई व्यवस्था बेपटरी...BVG ने भी खींचे हाथ

जयपुर शहर अपने आप में ढेरों विरासतें सहेजे हुए है. इन्हीं में शामिल परकोटा क्षेत्र जिसे यूनेस्को ने भी विश्व विरासत का दर्जा दिया है अब बदहाल होता जा रहा है. गलियों में साफ-सफाई के अभाव के कारण यह क्षेत्र अपनी खूबसूरती खोता जा रहा है. परकोटे के पुराने बाजारों से लेकर मोहल्लों की गलियों में गंदगी के कारण लोगों का चलना दूभर हो गया है. यहां की सफाई का जिम्मा BVG कंपनी को दिया गया है लेकिन उसने भी हाथ खींच लिए हैं. पेश है ETV Bharat की Ground Report...

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परकोटे की गलियां बेहाल
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Published : Aug 1, 2021, 5:53 PM IST

जयपुर. राजधानी के परकोटा क्षेत्र की करीब 5200 गलियां गंदगी से पटी हुई हैं. जो मानसून के इस दौर में स्थानीय लोगों की परेशानी का सबब बन गई है. इन गलियों की सफाई की जिम्मेदारी बीवीजी (BVG) कंपनी को दे रखी है, लेकिन कंपनी ने 15 दिन काम करने के बाद ही हाथ खड़े कर दिए हैं. ऐसे में अब पार्षदों की शिकायतों पर निगम प्रशासन वैकल्पिक व्यवस्था करने की तैयारी कर रहा है.

यूनेस्को ने परकोटे को विश्व विरासत के किताब से नवाजा है. परकोटे में कई धरोहर हैं जिन्हें देखने के लिए हर साल हजारों सैलानी यहां पहुंचते हैं, लेकिन यहां कई गलियां ऐसी भी हैं जहां से गुजरना अपने आप में चुनौती से कम नहीं है. गंदगी और बदबू के कारण यहां रहने वालों का जीना दूभर हो गया है. कारण साफ है कि ये गलियां गंदगी से पटी हुई हैं उसपर बारिश के मौसम में हालात और भी बदतर हो गए हैं. गंदगी फैली होने के कारण बीमारियों का खतरा भी बढ़ने लगा है.

किशनपोल, हवामहल और आदर्श नगर विधानसभा क्षेत्र के विभिन्न वार्डों में करीब 5000 से अधिक गलियां में सफाई न होने के कारण लोगों का गलियों से गुजरना तक मुश्किल हो गया है. क्षेत्र की साफ-सफाई की जिम्मेदारी डोर टू डोर कचरा संग्रहण कर रही बीवीजी कंपनी की है, लेकिन कंपनी इसमें रुचि नहीं दिखा रही.

परकोटे की गलियां बेहाल

पढ़ें- Special : घरों तक पहुंचने से पहले ही हजारों औषधीय पौधों ने पौधशालाओं में 'तोड़ा दम', जानें वजह

बारिश के दिनों में बढ़ जाती हैं दिक्कतें

इस संबंध में पार्षदों की शिकायत है कि बारिश के दिनों में कचरा न उठने के कारण गलियों में गंदगी फैली रहने से बदबू की समस्या बनी रहती है. न तो बीवीजी कंपनी काम कर रही है और न ही नगर निगम ने सफाई कर्मचारी ही तैनात कर रखे हैं. गलियों की सफाई को लेकर आयुक्त और मेयर को ज्ञापन दिए जा चुके हैं, लेकिन बार-बार शिकायत के बावजूद इसकी अनदेखी की जा रही है. आलम ये है कि बारिश के पानी के साथ अब कचरा मुख्य सड़कों पर बहकर आने लगा है, जो स्थानीय लोगों के लिए बड़ी समस्या बन गया है. ऐसे में संक्रमण के इस दौर में बीमारियों का खतरा भी बढ़ रहा है.

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सफाई व्यवस्था चौपट

पढ़ें-Special : जयपुर में लगेंगे स्मार्ट डस्टबिन..FULL होने पर हूपर को देंगे संदेश, सौर ऊर्जा से करेंगे काम

BVG कंपनी ने खींचे हाथ

उधर, बीवीजी कंपनी के प्रतिनिधियों ने बताया कि बीते दिनों गलियों की सफाई शुरू की गई थी. नगर निगम ने ये वादा किया था कि हर 15वें दिन पेमेंट कर दिया जाएगा, लेकिन भुगतान नहीं किया जा रहा. चूंकि सफाई कर्मचारियों को तत्काल पैसा देना होता है और निगम से पैसे नहीं मिलने के कारण मजबूरी में काम रोक दिया गया है. इस संबंध में अलग से बिल भी प्रस्तुत किए जा चुके हैं.

पढ़ें- Special : 2025 के बजाए 2035 तक खिंचता दिख रहा 'विरासत' बसाने का प्रोजेक्ट

हालांकि निगम कमिश्नर का कहना है कि गलियों की साफ-सफाई का काम बीवीजी कंपनी के स्कोप में डाला हुआ है, लेकिन सफाई कार्य नहीं किया जा रहा है. ऐसे में अब वैकल्पिक व्यवस्था कर गंदी गलियों की सफाई करने का प्लान तैयार किया गया है. उन्होंने बताया कि गंदी गलियों की सफाई का अलग से भुगतान करने का कोई प्रावधान नहीं है. कुल भुगतान में ही गलियों की सफाई का पेमेंट भी शामिल है और सफाई नहीं करने पर कंपनी के भुगतान में कटौती भी की जाएगी.

हर बार नगर निगम चुनाव आते ही क्षेत्र में सफाई का मुद्दा उठता है और चुनाव थमने के साथ ही मामला ठंडे बस्ते में चला जाता है. निगम में पांच बोर्ड का कार्यकाल पूरा हो चुका है और इस बार हेरिटेज नगर निगम का अलग से गठन भी किया गया है, लेकिन समस्या ज्यों की त्यों बनी हुई है.

जयपुर. राजधानी के परकोटा क्षेत्र की करीब 5200 गलियां गंदगी से पटी हुई हैं. जो मानसून के इस दौर में स्थानीय लोगों की परेशानी का सबब बन गई है. इन गलियों की सफाई की जिम्मेदारी बीवीजी (BVG) कंपनी को दे रखी है, लेकिन कंपनी ने 15 दिन काम करने के बाद ही हाथ खड़े कर दिए हैं. ऐसे में अब पार्षदों की शिकायतों पर निगम प्रशासन वैकल्पिक व्यवस्था करने की तैयारी कर रहा है.

यूनेस्को ने परकोटे को विश्व विरासत के किताब से नवाजा है. परकोटे में कई धरोहर हैं जिन्हें देखने के लिए हर साल हजारों सैलानी यहां पहुंचते हैं, लेकिन यहां कई गलियां ऐसी भी हैं जहां से गुजरना अपने आप में चुनौती से कम नहीं है. गंदगी और बदबू के कारण यहां रहने वालों का जीना दूभर हो गया है. कारण साफ है कि ये गलियां गंदगी से पटी हुई हैं उसपर बारिश के मौसम में हालात और भी बदतर हो गए हैं. गंदगी फैली होने के कारण बीमारियों का खतरा भी बढ़ने लगा है.

किशनपोल, हवामहल और आदर्श नगर विधानसभा क्षेत्र के विभिन्न वार्डों में करीब 5000 से अधिक गलियां में सफाई न होने के कारण लोगों का गलियों से गुजरना तक मुश्किल हो गया है. क्षेत्र की साफ-सफाई की जिम्मेदारी डोर टू डोर कचरा संग्रहण कर रही बीवीजी कंपनी की है, लेकिन कंपनी इसमें रुचि नहीं दिखा रही.

परकोटे की गलियां बेहाल

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बारिश के दिनों में बढ़ जाती हैं दिक्कतें

इस संबंध में पार्षदों की शिकायत है कि बारिश के दिनों में कचरा न उठने के कारण गलियों में गंदगी फैली रहने से बदबू की समस्या बनी रहती है. न तो बीवीजी कंपनी काम कर रही है और न ही नगर निगम ने सफाई कर्मचारी ही तैनात कर रखे हैं. गलियों की सफाई को लेकर आयुक्त और मेयर को ज्ञापन दिए जा चुके हैं, लेकिन बार-बार शिकायत के बावजूद इसकी अनदेखी की जा रही है. आलम ये है कि बारिश के पानी के साथ अब कचरा मुख्य सड़कों पर बहकर आने लगा है, जो स्थानीय लोगों के लिए बड़ी समस्या बन गया है. ऐसे में संक्रमण के इस दौर में बीमारियों का खतरा भी बढ़ रहा है.

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सफाई व्यवस्था चौपट

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BVG कंपनी ने खींचे हाथ

उधर, बीवीजी कंपनी के प्रतिनिधियों ने बताया कि बीते दिनों गलियों की सफाई शुरू की गई थी. नगर निगम ने ये वादा किया था कि हर 15वें दिन पेमेंट कर दिया जाएगा, लेकिन भुगतान नहीं किया जा रहा. चूंकि सफाई कर्मचारियों को तत्काल पैसा देना होता है और निगम से पैसे नहीं मिलने के कारण मजबूरी में काम रोक दिया गया है. इस संबंध में अलग से बिल भी प्रस्तुत किए जा चुके हैं.

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हालांकि निगम कमिश्नर का कहना है कि गलियों की साफ-सफाई का काम बीवीजी कंपनी के स्कोप में डाला हुआ है, लेकिन सफाई कार्य नहीं किया जा रहा है. ऐसे में अब वैकल्पिक व्यवस्था कर गंदी गलियों की सफाई करने का प्लान तैयार किया गया है. उन्होंने बताया कि गंदी गलियों की सफाई का अलग से भुगतान करने का कोई प्रावधान नहीं है. कुल भुगतान में ही गलियों की सफाई का पेमेंट भी शामिल है और सफाई नहीं करने पर कंपनी के भुगतान में कटौती भी की जाएगी.

हर बार नगर निगम चुनाव आते ही क्षेत्र में सफाई का मुद्दा उठता है और चुनाव थमने के साथ ही मामला ठंडे बस्ते में चला जाता है. निगम में पांच बोर्ड का कार्यकाल पूरा हो चुका है और इस बार हेरिटेज नगर निगम का अलग से गठन भी किया गया है, लेकिन समस्या ज्यों की त्यों बनी हुई है.

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