जयपुर. विद्याधर नगर में परशुराम सर्किल पर ग्रेटर नगर निगम ने अपनी बेशकीमती जमीन को अतिक्रमण मुक्त करवाने के लिए 30 परिवारों को कोरोना काल में बेघर कर दिया. निगम और पुलिस की टीम ने करीब 3 घंटे तक कार्रवाई करके झुग्गी-झोपड़ियों पर बुलडोजर चलाया और अतिक्रमणकारी परिवारों को हटाकर जमीन पर कब्जा कर लिया. हालांकि ग्रेटर निगम महापौर ने इस कार्रवाई को अमानवीय और निंदनीय बताया है.
विद्याधर नगर में परशुराम सर्किल पर नगर निगम की गैराज शाखा की करीब 4000 वर्ग गज जमीन है. यहां पहले कचरा ट्रांसफर स्टेशन था, जहां कचरा बीनने वाले लोग काम करते थे. धीरे-धीरे उन्हीं लोगों ने यहां कब्जा शुरू कर दिया. हालांकि स्थानीय लोगों के विरोध के बाद यहां से कचरा ट्रांसपोर्ट डिपो को तो शिफ्ट कर दिया गया, लेकिन अतिक्रमणकारी यहां बने रहे. इसी अतिक्रमण को हटाने के लिए ग्रेटर नगर निगम की विजिलेंस टीम शनिवार को मौके पर पहुंची. हालांकि इस दौरान अतिक्रमणकारियों और निगम विजिलेंस के बीच लाठी-भाटा जंग भी हुई. आरोप है कि लोगों ने निगम के अधिकारियों की बात सुने बिना ही पथराव शुरू कर दिया. हालांकि इस दौरान कचरा बीनने वालों को भी काफी चोट आई है.
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दरअसल, विवाद की स्थिति को भागते हुए निगम प्रशासन ने पहले ही स्थानीय थाना पुलिस से लेकर पुलिस लाइन से करीब 100 जवानों को लेकर मौके पर पहुंचा था. निगम और पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में 3 घंटे में झुग्गी-झोपड़ियों पर बुलडोजर चलाते हुए 30 परिवारों को हटाकर जमीन पर कब्जा कर लिया गया. अब इस जमीन को गैराज शाखा अपने उपयोग में लेगी. निगम अधिकारियों की माने तो जो लोग सेवापुरा कचरा ट्रांसफर स्टेशन पर जाने के लिए सहमत हुए उन्हें वहां रवाना किया गया और कुछ परिवार स्वत: इधर-उधर चले गए.
हालांकि कोरोना महामारी के समय गरीब परिवारों को हटाने की इस कार्रवाई को ग्रेटर नगर निगम मेयर ने अमानवीय और निंदनीय बताया है. उन्होंने कहा कि कमिश्नर यज्ञमित्र सिंह देव ने उनके मना करने के बावजूद सरकार के संरक्षण में ये कार्रवाई की है. लॉकडाउन खत्म होने के बाद समझाइश करके इन लोगों को हटाया जा सकता था.
उन्होंने कहा कि शनिवार को की गई कार्रवाई के दौरान लॉकडाउन और धारा 144 की भी धज्जियां उड़ी है. इसके लिए सरकार को कमिश्नर के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए.