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राजस्थान में घरेलू सोलर रूफ टॉप संयंत्रों की स्थापना पर 31 अगस्त तक अनुदान

राजस्थान में 10 किलोवाट क्षमता तक के घरेलू सौर ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना पर केंद्र सरकार की ओर से देय अनुदान 31 अगस्त तक ही उपलब्ध होगा. राजस्थान अक्षय ऊर्जा निगम के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक डॉ. सुबोध अग्रवाल ने जन सामान्य लोगों से आव्हान किया कि प्रदेश में उपभोक्ता अनुदान का लाभ उठाते हुए अधिक से अधिक संख्या में सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित करें.

राजस्थान विद्युत निगम, Rajasthan News
राजस्थान विद्युत निगम
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Published : Aug 11, 2021, 8:06 PM IST

जयपुर. प्रदेश में 10 किलोवाट क्षमता तक के घरेलू सौर ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना पर केंद्र सरकार की ओर से देय अनुदान 31 अगस्त तक ही उपलब्ध होगा.

राजस्थान अक्षय ऊर्जा निगम के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक डॉ. सुबोध अग्रवाल ने बताया कि इन सौर ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना से प्रति किलोवाट प्रति दिन लगभग 4 यूनिट विद्युत का उत्पादन होता है और उपभोक्ता की ओर से व्यय की गई समस्त राशि करीब 4 साल में वसूल हो जाती है. संयंत्र की आयु करीब 25 साल होती है. इन संयंत्रों की स्थापना के बाद 5 साल तक रख-रखाव की जिम्मेदारी भी निगम के अनुमोदित बैंडर्स की होती है.

यह भी पढ़ेंः भंवरी देवी हत्याकांड : 9 साल में भी पूरा नहीं हुआ ट्रायल, फैसले में अभी लगेगा लंबा समय

अग्रवाल ने बताया कि भारत सरकार के नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय की ओर से प्रदेश के घरेलू उपभेक्ताओं की ओर से स्थापित 3 किलोवाट क्षमता तक के संयंत्रों पर 40 प्रतिशत अनुदान और 3 से 10 किलोवाट क्षमता तक 20 प्रतिशत राशि अनुदान के रूप में उपलब्ध करवायी जा रही है. इन संयंत्रों की स्थापना से उपभोक्ताओं को न केवल सस्ती बिजली प्राप्त होती है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी यह संयंत्र अहम भूमिका निभाते हैं.

अग्रवाल ने जन सामान्य लोगों से आव्हान किया कि प्रदेश में उपभोक्ता अनुदान का लाभ उठाते हुए अधिक से अधिक संख्या में सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित करें. इसके बारे में विस्तृत जानकारी पाने के लिए यहां क्लिक करें.

जयपुर. प्रदेश में 10 किलोवाट क्षमता तक के घरेलू सौर ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना पर केंद्र सरकार की ओर से देय अनुदान 31 अगस्त तक ही उपलब्ध होगा.

राजस्थान अक्षय ऊर्जा निगम के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक डॉ. सुबोध अग्रवाल ने बताया कि इन सौर ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना से प्रति किलोवाट प्रति दिन लगभग 4 यूनिट विद्युत का उत्पादन होता है और उपभोक्ता की ओर से व्यय की गई समस्त राशि करीब 4 साल में वसूल हो जाती है. संयंत्र की आयु करीब 25 साल होती है. इन संयंत्रों की स्थापना के बाद 5 साल तक रख-रखाव की जिम्मेदारी भी निगम के अनुमोदित बैंडर्स की होती है.

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अग्रवाल ने बताया कि भारत सरकार के नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय की ओर से प्रदेश के घरेलू उपभेक्ताओं की ओर से स्थापित 3 किलोवाट क्षमता तक के संयंत्रों पर 40 प्रतिशत अनुदान और 3 से 10 किलोवाट क्षमता तक 20 प्रतिशत राशि अनुदान के रूप में उपलब्ध करवायी जा रही है. इन संयंत्रों की स्थापना से उपभोक्ताओं को न केवल सस्ती बिजली प्राप्त होती है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी यह संयंत्र अहम भूमिका निभाते हैं.

अग्रवाल ने जन सामान्य लोगों से आव्हान किया कि प्रदेश में उपभोक्ता अनुदान का लाभ उठाते हुए अधिक से अधिक संख्या में सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित करें. इसके बारे में विस्तृत जानकारी पाने के लिए यहां क्लिक करें.

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