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सहकारी समिति व्यवस्थापकों के नए सेवा नियमों के विरोध में कर्मचारी, कही ये बात...

सहकारी समितियों के व्यवस्थापकों को लेकर जारी किए गए नए सेवा नियमों का विरोध शुरू हो गया (Cooperative societies oppose new service rules) है. खास बात यह है कि खुद विभाग के कर्मचारी ही इन नियमों को बदलने की मांग कर रहे हैं. कर्मचारियों की मांग है कि सहायक व्यवस्थापकों के स्वीकृत पद को यथावत रखा जाए और उनकी स्क्रीनिंग कराई जाए.

Gram Seva cooperative societies oppose new service rules
सहकारी समिति व्यवस्थापकों के नए सेवा नियम: विरोध में कर्मचारी, कहा- स्थाई स्वीकृत पद समाप्त कर संविदा पर जोर दे रही सरकार
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Published : Aug 10, 2022, 11:00 PM IST

Updated : Aug 10, 2022, 11:08 PM IST

जयपुर. सहकारिता विभाग के हाल ही के जारी किए गए सहकारी समितियों के व्यवस्थापकों से जुड़े नए सेवा नियमों के विरोध में खुद विभाग के ही कर्मचारी संगठन उतर आए (Cooperative societies oppose new service rules) हैं. कर्मचारियों का आरोप है कि नए सेवा नियमों के जरिए सहकारी समितियों में सहायक व्यवस्थापक, मिनी बैंक कैशियर और सेल्समैन जैसे पूर्व स्वीकृत पदों को समाप्त कर संविदा पद बनाने का प्रयास किया जा रहा है.

सहकारी साख समितियां एंप्लाइज यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष सूरज भान सिंह आमेरा ने इस मामले में सहकारिता मंत्री उदयलाल आंजना और रजिस्ट्रार को ज्ञापन देकर सहायक व्यवस्थापकों के स्वीकृत पद को यथावत रखने और उनकी स्क्रीनिंग कराए जाने की मांग की है. आमेरा का कहना है कि नए सेवा नियम से सहायक के पद को संविदा का किए जाने से उनके रोजगार पर संकट पड़ेगा. आमेरा ने कहा कि समिति के स्थाई स्वीकृत रोजगार पदों को समाप्त कर संविदा और ठेके पर देना सहकारिता सिद्धांत और दर्शन के खिलाफ है. वहीं प्रदेश की 7300 समितियों में पूर्व स्वीकृत पदों के तहत 2010 से लगभग 4000 सहायक व्यवस्थापक कार्यरत हैं, जिनके रोजगार की सुरक्षा बेहद जरूरी है.

पढ़ें: नई ग्राम सेवा सहकारी समितियों के गठन के संशोधन आदेश जारी, हिस्सा राशि 3 लाख रूपये व सदस्य संख्या को 300 किया...

समितियों में सहायक व्यवस्थापक का महत्वपूर्ण है पद: दरअसल सहकारी समितियों में व्यवस्थापक के अलावा सहायक व्यवस्थापक का महत्वपूर्ण रोल रहता है. समितियों का अधिकतर मुख्य कार्य सहायक व्यवस्थापक द्वारा ही संचालित किया जाता है या फिर कहें कि अकेला व्यवस्थापक से समिति नहीं चल सकती. ऐसे में सहायक व्यवस्थापकों के पदों को नए सेवा नियमों में संविदा पर करने का विरोध तेज हो गया है. कर्मचारी संगठनों की यह भी मांग है कि साल 2017 तक नियोजित व वर्तमान में कार्यरत सभी योग्य पात्र शिक्षित अनुभवी सहायक व्यवस्थापको की भी स्क्रीनिंग की जाए.

सहकारी समितियों के व्यवस्थापकों को लेकर जारी सेवा नियमों का क्यों हो रहा विरोध

पढ़ें: ग्राम सेवा सहकारी समितियों में व्यवस्थापकों के लिए सेवा नियम जारी, 3000 समितियों में होगी सीधी भर्ती

नए सेवा नियमों में यह किया था बदलाव: सहकारिता विभाग ने 3 अगस्त को ग्राम सेवा सहकारी समितियों में व्यवस्थापकों के लिए नए सेवा नियम जारी किए (Administrators service rules modification) थे. इसमें 10 जुलाई, 2017 के बाद स्क्रीनिंग की व्यवस्था को समाप्त कर राजस्थान राज्य सहकारी भर्ती बोर्ड के माध्यम से परीक्षा का आयोजन कर व्यवस्थापकों की भर्ती किए जाने की व्यवस्था की थी. जबकि पूर्व में 10 जुलाई, 2017 से पहले नियुक्त व्यवस्थापक, सहायक व्यवस्थापक का स्क्रीनिंग के माध्यम से नियमितीकरण किया जा रहा था.

पढ़ें: Strictness against co-operative societies : सहकारी समितियों पर सरकार ने कसा शिकंजा, विभाग भी हुआ सख्त..

लेकिन नए सेवा नियमों में स्क्रीनिंग को हटाकर परीक्षा से भर्ती की व्यवस्था कर दी गई है, जिसका कर्मचारी विरोध कर रहे हैं. इसी तरह केंद्रीय सहकारी बैंकों में बैंकिंग सहायक के 20 फीसदी पद व्यवस्थापकों के लिए आरक्षित रखे गए हैं. ताकि व्यवस्थापकों को आगे बढ़ने का मौका मिले. नए सेवा नियम में व्यवस्थापकों की भर्ती के लिए योग्यता स्नातक रखी गई है. साथ ही कृषि स्नातक या मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से एमबीए डिग्री धारक को वरीयता देकर 10 बोनस अंक दिए जाने का भी प्रावधान किया है.

जयपुर. सहकारिता विभाग के हाल ही के जारी किए गए सहकारी समितियों के व्यवस्थापकों से जुड़े नए सेवा नियमों के विरोध में खुद विभाग के ही कर्मचारी संगठन उतर आए (Cooperative societies oppose new service rules) हैं. कर्मचारियों का आरोप है कि नए सेवा नियमों के जरिए सहकारी समितियों में सहायक व्यवस्थापक, मिनी बैंक कैशियर और सेल्समैन जैसे पूर्व स्वीकृत पदों को समाप्त कर संविदा पद बनाने का प्रयास किया जा रहा है.

सहकारी साख समितियां एंप्लाइज यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष सूरज भान सिंह आमेरा ने इस मामले में सहकारिता मंत्री उदयलाल आंजना और रजिस्ट्रार को ज्ञापन देकर सहायक व्यवस्थापकों के स्वीकृत पद को यथावत रखने और उनकी स्क्रीनिंग कराए जाने की मांग की है. आमेरा का कहना है कि नए सेवा नियम से सहायक के पद को संविदा का किए जाने से उनके रोजगार पर संकट पड़ेगा. आमेरा ने कहा कि समिति के स्थाई स्वीकृत रोजगार पदों को समाप्त कर संविदा और ठेके पर देना सहकारिता सिद्धांत और दर्शन के खिलाफ है. वहीं प्रदेश की 7300 समितियों में पूर्व स्वीकृत पदों के तहत 2010 से लगभग 4000 सहायक व्यवस्थापक कार्यरत हैं, जिनके रोजगार की सुरक्षा बेहद जरूरी है.

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समितियों में सहायक व्यवस्थापक का महत्वपूर्ण है पद: दरअसल सहकारी समितियों में व्यवस्थापक के अलावा सहायक व्यवस्थापक का महत्वपूर्ण रोल रहता है. समितियों का अधिकतर मुख्य कार्य सहायक व्यवस्थापक द्वारा ही संचालित किया जाता है या फिर कहें कि अकेला व्यवस्थापक से समिति नहीं चल सकती. ऐसे में सहायक व्यवस्थापकों के पदों को नए सेवा नियमों में संविदा पर करने का विरोध तेज हो गया है. कर्मचारी संगठनों की यह भी मांग है कि साल 2017 तक नियोजित व वर्तमान में कार्यरत सभी योग्य पात्र शिक्षित अनुभवी सहायक व्यवस्थापको की भी स्क्रीनिंग की जाए.

सहकारी समितियों के व्यवस्थापकों को लेकर जारी सेवा नियमों का क्यों हो रहा विरोध

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नए सेवा नियमों में यह किया था बदलाव: सहकारिता विभाग ने 3 अगस्त को ग्राम सेवा सहकारी समितियों में व्यवस्थापकों के लिए नए सेवा नियम जारी किए (Administrators service rules modification) थे. इसमें 10 जुलाई, 2017 के बाद स्क्रीनिंग की व्यवस्था को समाप्त कर राजस्थान राज्य सहकारी भर्ती बोर्ड के माध्यम से परीक्षा का आयोजन कर व्यवस्थापकों की भर्ती किए जाने की व्यवस्था की थी. जबकि पूर्व में 10 जुलाई, 2017 से पहले नियुक्त व्यवस्थापक, सहायक व्यवस्थापक का स्क्रीनिंग के माध्यम से नियमितीकरण किया जा रहा था.

पढ़ें: Strictness against co-operative societies : सहकारी समितियों पर सरकार ने कसा शिकंजा, विभाग भी हुआ सख्त..

लेकिन नए सेवा नियमों में स्क्रीनिंग को हटाकर परीक्षा से भर्ती की व्यवस्था कर दी गई है, जिसका कर्मचारी विरोध कर रहे हैं. इसी तरह केंद्रीय सहकारी बैंकों में बैंकिंग सहायक के 20 फीसदी पद व्यवस्थापकों के लिए आरक्षित रखे गए हैं. ताकि व्यवस्थापकों को आगे बढ़ने का मौका मिले. नए सेवा नियम में व्यवस्थापकों की भर्ती के लिए योग्यता स्नातक रखी गई है. साथ ही कृषि स्नातक या मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से एमबीए डिग्री धारक को वरीयता देकर 10 बोनस अंक दिए जाने का भी प्रावधान किया है.

Last Updated : Aug 10, 2022, 11:08 PM IST
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