जयपुर. राजस्थान में 5 एकड़ जमीन वाले किसान की जमीन नीलाम नहीं किए जाने वाले बिल सिविल प्रक्रिया संहिता (राजस्थान संशोधन) विधेयक 2020 को लेकर राज्यपाल कलराज मिश्र की ओर से दिए बयान पर नई राजनीति शुरू हो गई है.
दरअसल राज्यपाल कलराज मिश्र की ओर से राज्यपाल सचिवालय के जरिए यह स्पष्ट किया गया है कि रोडा एक्ट के संशोधन से संबंधित कोई भी विधेयक राज भवन के स्तर पर अनुमोदन के लिए नहीं आया है. क्योंकि मामला किसानों से जुड़ा था ऐसे में राजभवन के बयान के ठीक बाद राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा (Dotasara on farmers land auction issue) सामने आए और उन्होंने कहा यह बिल राज्यपाल को 24 नवंबर को सरकार की ओर से भेजा गया था.
जिसका जवाब आज तक राजभवन की ओर से सरकार को वापस नहीं मिला है. डोटासरा ने कहा कि वह इस मसले पर राज्यपाल पर टिप्पणी नहीं करना चाहते लेकिन उनको अधिकारियों ने गलत जानकारी दी है. डोटासरा ने कहा कि 5 एकड़ तक की जमीन नीलाम नहीं होने का कानून अगर राजस्थान में बन गया होता तो आज किसानों के सामने जमीन की नीलामी जैसा मसला होता ही नहीं.
बिल पास नही होगा तब तक नहीं मिलेगी किसानों को पूरी राहत
राजस्थान में भले ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अधिकारियों को निर्देश देकर फिलहाल किसानों की कृषि भूमि नीलाम करने पर रोक लगा दी हो. लेकिन बिना किसी कानून के ज्यादा दिन तक अधिकारी भी इस प्रक्रिया को नहीं रोक सकेंगे. इस मामले पर बोलते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि जब तक राजस्थान विधानसभा से पास किया गया विधेयक कानून के रूप में लागू नहीं होता है, तब तक किसान को पूरी राहत नहीं मिल सकेगी. ऐसे में यह बिल ही वह एक तरीका है जिसके जरिए किसानों को पूरी राहत मिल सके.
अगर कमी हो तो वापस लौटाएं
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविन्द सिंह डोटासरा ने कहा कि अगर राज्यपाल कलराज मिश्र को राजस्थान सरकार की ओर से बनाए गए विधेयक में कोई कमी दिखाई देती है तो ऐसे में वह अपने कमेंट के साथ वापस राज्य सरकार को भेजें. लेकिन राज्यपाल की ओर से न इस बिल को वापस भेजा गया है और न ही बिल को पास करके कानून के रूप में मान्यता दी गई है. डोटासरा ने कहा कि सीपीसी( समवर्ती सूची) के विषयों पर पहले भी राज्य कानून बनाते रहे हैं.