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यदि एक भी बच्चा उर्दू पढ़ना चाहे तो उसका प्रवेश नहीं रोका जाएः गोविंद सिंह डोटासरा

तृतीय भाषा के रूप में उर्दू, सिंधी और पंजाबी भाषा को नहीं पढ़ाने और शिक्षकों के पद समाप्त करने के मामले में राजस्थान शिक्षा विभाग बैकफुट पर आ गया है. शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने भी इस संबंध में बयान जारी किया है.

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गोविंद सिंह डोटासरा ने प्रदेश में तीसरी भाषा के पढ़ाने को लेकर दिया बड़ा बयान
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Published : Sep 5, 2020, 9:00 PM IST

जयपुर. प्रदेश में राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालयों में तृतीय भाषा को बंद करने के मामले के तूल पकड़ने के बाद शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने शनिवार को एक बयान जारी किया. जिसमें उन्होंने कहा है कि कक्षा 6 से 8 में यदि एक भी बच्चा तृतीय भाषा उर्दू, सिंधी या पंजाबी पढ़ना चाहता है तो, उसके प्रवेश को रोका नहीं जाएगा. इस संबंध में प्रारंभिक शिक्षा राजस्थान की ओर से आदेश भी निकाला गया है.

गोविंद सिंह डोटासरा ने प्रदेश में तीसरी भाषा के पढ़ाने को लेकर दिया बड़ा बयान

शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि प्रदेश में कक्षा 6 से 8 के बच्तों के लिए स्कूल में एक तृतीय भाषा का अध्यापक भी होता है. यदि किसी स्कूल में उर्दू के बच्चे ज्यादा होते हैं तो वहां उर्दू का शिक्षक और यदि संस्कृत के बच्चे ज्यादा होते हैं तो, संस्कृत का अध्यापक होता है. यदि किसी भी स्कूल में अगर एक भी बच्चा उर्दू पढ़ना चाहता है तो उसके प्रवेश को रोका नहीं जाएगा. राज्य सरकार इसी बात का प्रयास कर रही है और इसको लेकर एक प्रस्ताव भी विचाराधीन है. ये प्रस्ताव मंत्री स्तर तक पहुंचेगा. कहीं भी यदि तृतीय भाषा का बच्चा पढ़ना चाहता है वो वहां हम उसको टीचर उपलब्ध कराएंगे. लेकिन इसकी एक प्रक्रिया होती है और आखिरी फैसला कानूनी प्रावधानों के मुताबिक होगा.

डोटासरा ने कहा कि मैं ये साफ कर देना चाहता हूं कि उर्दू को कोई समाप्त नहीं कर पाएगा. उर्दू पढ़ने वाले बच्चे की उचित व्यवस्था सरकार की तरफ से की जाएगी. यदि एक भी बच्चा उर्दू पढ़ने वाला होगा तो उसको प्रवेश दिया जाएगा और यदि वो संस्कृत पढ़ने वाला होगा तो उसको भी प्रवेश दिया जाएगा. तृतीय भाषा को लेकर लोगों को किसी भी तरह की भ्रांति रखने की आवश्यकता नहीं है. कुछ कतिपय लोगों की तरफ से भ्रांति फैलाई जा रही हैं कि उर्दू का पद समाप्त किया जा रहा है और स्कूलों में उर्दू नहीं पढ़ाई जाएगी. ये पूरी तरह से गलत है. इस अफवाह पर किसी भी तरह से ध्यान देने की आवश्यकता नहीं है.

ये भी पढ़ेंः ज्योग्राफी की व्याख्याता परीक्षा के परिणाम की हो जांच, भाजपा प्रवक्ता रामलाल शर्मा ने भी की मांग

बता दें कि 2 सितंबर को शिक्षा विभाग की तरफ से एक आदेश जारी किया गया था. जिसमें कहा गया था कि कक्षा 6 से 8 तक के स्कूलों में जहां भी तृतीय भाषा में उर्दू, सिंधी और पंजाबी पढ़ाई जाती है वहां ये विषय नहीं पढ़ा जाएंगे और टीचर के पद भी समाप्त किए जाएंगे. केवल तृतीय भाषा के रूप में संस्कृत ही पढ़ाई जाएगी. लेकिन इस मामले ने तूल पकड़ा लिया और कई मुस्लिम संगठन और राजस्थान उर्दू शिक्षक संघ इसके विरोध में उतर आए.

जयपुर. प्रदेश में राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालयों में तृतीय भाषा को बंद करने के मामले के तूल पकड़ने के बाद शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने शनिवार को एक बयान जारी किया. जिसमें उन्होंने कहा है कि कक्षा 6 से 8 में यदि एक भी बच्चा तृतीय भाषा उर्दू, सिंधी या पंजाबी पढ़ना चाहता है तो, उसके प्रवेश को रोका नहीं जाएगा. इस संबंध में प्रारंभिक शिक्षा राजस्थान की ओर से आदेश भी निकाला गया है.

गोविंद सिंह डोटासरा ने प्रदेश में तीसरी भाषा के पढ़ाने को लेकर दिया बड़ा बयान

शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि प्रदेश में कक्षा 6 से 8 के बच्तों के लिए स्कूल में एक तृतीय भाषा का अध्यापक भी होता है. यदि किसी स्कूल में उर्दू के बच्चे ज्यादा होते हैं तो वहां उर्दू का शिक्षक और यदि संस्कृत के बच्चे ज्यादा होते हैं तो, संस्कृत का अध्यापक होता है. यदि किसी भी स्कूल में अगर एक भी बच्चा उर्दू पढ़ना चाहता है तो उसके प्रवेश को रोका नहीं जाएगा. राज्य सरकार इसी बात का प्रयास कर रही है और इसको लेकर एक प्रस्ताव भी विचाराधीन है. ये प्रस्ताव मंत्री स्तर तक पहुंचेगा. कहीं भी यदि तृतीय भाषा का बच्चा पढ़ना चाहता है वो वहां हम उसको टीचर उपलब्ध कराएंगे. लेकिन इसकी एक प्रक्रिया होती है और आखिरी फैसला कानूनी प्रावधानों के मुताबिक होगा.

डोटासरा ने कहा कि मैं ये साफ कर देना चाहता हूं कि उर्दू को कोई समाप्त नहीं कर पाएगा. उर्दू पढ़ने वाले बच्चे की उचित व्यवस्था सरकार की तरफ से की जाएगी. यदि एक भी बच्चा उर्दू पढ़ने वाला होगा तो उसको प्रवेश दिया जाएगा और यदि वो संस्कृत पढ़ने वाला होगा तो उसको भी प्रवेश दिया जाएगा. तृतीय भाषा को लेकर लोगों को किसी भी तरह की भ्रांति रखने की आवश्यकता नहीं है. कुछ कतिपय लोगों की तरफ से भ्रांति फैलाई जा रही हैं कि उर्दू का पद समाप्त किया जा रहा है और स्कूलों में उर्दू नहीं पढ़ाई जाएगी. ये पूरी तरह से गलत है. इस अफवाह पर किसी भी तरह से ध्यान देने की आवश्यकता नहीं है.

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बता दें कि 2 सितंबर को शिक्षा विभाग की तरफ से एक आदेश जारी किया गया था. जिसमें कहा गया था कि कक्षा 6 से 8 तक के स्कूलों में जहां भी तृतीय भाषा में उर्दू, सिंधी और पंजाबी पढ़ाई जाती है वहां ये विषय नहीं पढ़ा जाएंगे और टीचर के पद भी समाप्त किए जाएंगे. केवल तृतीय भाषा के रूप में संस्कृत ही पढ़ाई जाएगी. लेकिन इस मामले ने तूल पकड़ा लिया और कई मुस्लिम संगठन और राजस्थान उर्दू शिक्षक संघ इसके विरोध में उतर आए.

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