जयपुर. देश में किसान आंदोलन अब एक बार फिर से तेजी पकड़ रहा है. जिस तरीके से दिल्ली के बॉर्डर पर गुरुवार रात को पुलिस फोर्स का जमावड़ा हुआ, उसके बाद से अब नेताओं की तीखी प्रतिक्रियाएं भी आना शुरू हो गई है. राजस्थान कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने इस मामले को लेकर कहा कि कांग्रेस पार्टी हमेशा से किसान के साथ में खड़ी है.
राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि किसान आंदोलन को दबाने की कोशिश जिस तरीके से हो रही है, ऐसा देश के 70 साल के लोकतंत्र के इतिहास में पहले कभी नहीं हुआ. डोटासरा ने कहा कि राहुल गांधी एनडीए 1 में भी भूमि अधिग्रहण कानून के खिलाफ खड़े हुए थे. उस समय भी मजबूर होकर मोदी जी ने किसानों की मांग मानी थी. अब पहले दिन से किसान इन तीन कृषि कानून को लेकर कह रहे हैं कि हमने यह कानून मांगा ही नहीं, जिनसे हमारा कोई फायदा नहीं होने वाला है.
किसानों के साथ अंग्रेजों जैसा जुल्म
डोटासरा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसलिए किसानों की बात नहीं मान रहे क्योंकि उन्होंने अपने मित्रों के साथ एमओयू कर रखा है. वह एमओयू करके अपने मित्रों को 700 करोड़ रुपए से ज्यादा गोदाम बनाने के लिए दे चुके हैं. किसान शांतिपूर्वक अपना आंदोलन कर रहे थे. अपना धरना दे रहे थे ओर कुछ असामाजिक तत्वों ने जिसे लेकर कहा जा रहा है कि वह केंद्र सरकार की मिलीभगत वाले लोग थे, उनका किया काम किसानों पर डाला जा रहा है. किसानों से ऐसा बर्ताव किया जा रहा है, जैसे अंग्रेज जुल्म करते थे. दिल्ली बॉर्डर पर पुलिस खड़ी है. किसानों को खदेड़ा जा रहा है, उनमें फूट डलवाई जा रही है. राज का इतना बड़ा दुरुपयोग 70 साल में कभी नहीं हुआ.
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पूंजीपति मित्रों के साथ मिलकर फैसले ले रही मोदी सरकार
डोटासरा ने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि अंग्रेजों ने जिस तरीके से जुल्म किए थे, उसी तरीके से मोदी सरकार के किसानों को कुचलना चाहती है. ऐसी क्या आफत आ गई कि यह कानून लागू करने ही होंगे. मोदी सरकार कोई मनोनीत सरकार नहीं है. यह किसान और गरीब के वोट से बनी हुई सरकार है. जब वोट से बनी हुई सरकार है तो किसान की और वोटर की सुननी पड़ेगी लेकिन उनकी नहीं सुनकर केवल अपने पूंजीपति मित्रों के साथ मिलकर फैसले कर रही है, जो देश का दुर्भाग्य है.
मोदी सरकार से सहमति नहीं होने पर कहा जाता है देशद्रोही
राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि अगर मोदी सरकार की बात पर अगर आप सहमति नहीं रखते हो तो आप देशद्रोही भी हो और आप के खिलाफ मुकदमे भी होंगे. चाहे वह कोई विपक्षी पार्टी के नेता हो, चाहे भाजपा का नेता हो, चाहे कोई पत्रकार हो या कोई अधिकारी हो या कोई अन्य व्यक्ति. उनकी यह स्थिति है कि या तो हमारी मानो नहीं तो आप देशद्रोही हो. डोटासरा ने कहा कि जिस तरीके से टिकैत भाव विभोर हो रहे थे, उनकी आत्मा रो रही थी. अगर किसी असामाजिक तत्वों ने गलत काम किया है तो उसके खिलाफ कार्रवाई करें. इसमें किसी को कोई आपत्ति नहीं है लेकिन लाल किले की घटना को जोड़कर किसानों के घर में घुसकर उनके धरना स्थल पर जाना कहां का प्रजातंत्र है.