जयपुर. राज्यपाल कलराज मिश्र ने शिक्षा को रोजगारपरक बनाने के साथ-साथ उद्यमिता और तकनीक से जोड़ने की आवश्यकता जताई है. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय शिक्षा का ऐसा माॅडल तैयार करें, जिससे युवाओं में उद्यमिता के प्रति सकारात्मक मानसिकता का निर्माण हो.
राज्यपाल मिश्र बुधवार को पूर्णिमा विश्वविद्यालय के 7वें दीक्षांत समारोह को यहां राजभवन से मुख्य अतिथि के तौर पर आनलाइन सम्बोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय अपनी भूमिका सिर्फ पढ़ाने तक ही सीमित नही रखें, बल्कि युवाओं को मार्गदर्शन देकर समाज और राष्ट्र की प्रगति में भागीदार बनने के लिए तैयार करें.
राज्यपाल मिश्र ने कहा कि विद्यार्थियों को किसी विषय का अध्ययन और उनसे जुड़ी सूचनाओं का ज्ञान कराने के साथ-साथ उसके व्यावहारिक पक्ष से भी परिचित कराया जाना आवश्यक है. उन्होंने कहा कि शिक्षा से प्राप्त ज्ञान को गुनने से ही व्यक्ति का सर्वांगीण विकास सम्भव है.
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राज्यपाल मिश्र ने कहा कि नई शिक्षा नीति में भी विद्यार्थी के सर्वांगीण विकास पर ही सबसे अधिक ध्यान दिया गया है. उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति में भारतीय संस्कृति और परम्परा के श्रेष्ठ मूल्यों और वर्तमान समय संदर्भों के अनुरूप आधुनिक शैक्षणिक दृष्टि का समावेश किया गया है.
दीक्षांत समारोह के दौरान मेट्रोमेन ई. श्रीधरन, इसरो के चेयरमेन और भारत सरकार के अंतरिक्ष विभाग के सचिव के. सिवन, यूएनए के विशेष दूत और भारत सरकार के पूर्व स्वास्थ्य सचिव जे.वी.आर. प्रसादाराव और जन स्वास्थ्य विशेषज्ञ डाॅ. जी.वी. फेंट को पीएचडी की मानद उपाधि प्रदान की गई.
दीक्षांत समारोह के दौरान विभिन्न संकायों में पीएचडी, स्नातक और स्नातकोत्तर उपाधियां प्रदान की गई और पाठ्यक्रमों में सर्वोत्तम अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक, रजत पदक और कुलाधिपति पदक प्रदान किए गए.
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पूर्णिमा विश्वविद्यालय के चेयरमेन शशिकांत सिंघी ने अपने संबोधन में पदक विजेता और उपाधि प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को भावी जीवन की शुभकामनाएं दी. इसके साथ ही प्रेसिडेन्ट सुरेश चंद्र पाढ़ी ने स्वागत उद्बोधन में विश्वविद्यालय की अकादमिक गतिविधियों और उपलब्धियों का ब्यौरा प्रस्तुत किया.
कार्यक्रम के आरम्भ में राज्यपाल मिश्र ने संविधान की उद्देश्यिका और मूल कर्तव्यों का वाचन करवाया. इस अवसर पर राज्यपाल के सचिव सुबीर कुमार, प्रमुख विशेषाधिकारी गोविन्दराम जायसवाल सहित विश्वविद्यालयों के कुलपति, शिक्षक, अधिकारी और अन्य विशिष्टजन ऑनलाइन उपस्थित थे.