जयपुर. राज्यपाल कलराज मिश्र ने अभियंता दिवस पर आयोजित “एमीनेंट इंजीनियर्स अवार्ड 2021” कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि भारतीय प्रौद्योगिकी बहुत प्राचीन और वैज्ञानिक है. इसकी जानकारी इंजीनियरिंग विद्यार्थियों को देने की जरूरत है. आधुनिक इंजीनियरों को उससे प्रेरणा लेने की आवश्यकता है.
उन्होंने भारत रत्न से सम्मानित अभियन्ता सर एम. विश्वेश्वरय्या के शिक्षा, अभियांत्रिकी सहित विभिन्न क्षेत्रों में योगदान को भी याद किया. राज्यपाल कलराज मिश्र ने प्राचीन भारतीय ग्रंथों में मौजूद तकनीकी ज्ञान-विज्ञान और प्रौद्योगिकी को आधुनिक समय- संदर्भों के अनुरूप अध्ययन के लिए उपलब्ध कराने का आह्वान किया है. उन्होने कहा कि देश को वैश्विक महाशक्ति बनाने के लिए इंजीनियरिंग शिक्षा का व्यावहारिक विकास बहुत जरूरी है. इसलिए नई शिक्षा नीति में तकनीकी शिक्षा के व्यवहारिक प्रसार पर विशेष ध्यान दिया गया है.
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महर्षि कणाद, भास्कराचार्य, आर्यभट्ट का उल्लेख करते हुए मिश्र ने कहा कि भारत प्रौद्योगिकी और ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र में शुरू से ही अत्यंत समृद्ध रहा है. हड़प्पा काल के अवशेषों में मिले स्नानागारों से पता चलता है कि इन्हें लीक प्रूफ बनाने के लिए जिप्सम व बिटूमिनस का प्रयोग किया जाता था. यह हड़प्पा सभ्यता के लोगों के सिविल इंजीनियरिंग ज्ञान का बेहतरीन नमूना है.
कार्यक्रम में आईईआई के पूर्व अध्यक्ष डॉ. टीएम गुनाराजा ने कोरोना काल में अभियंताओं की ओर से किए गए महत्वपूर्ण कार्यों पर चर्चा की. आईईआई के पूर्व अध्यक्ष शिशिर कुमार बनर्जी ने देश के विकास में अभियंताओं के योगदान पर प्रकाश डाला. आईईआई इस अवसर पर पृथ्वी सिंह गहलोत, रवीन्द्र कुमार पनगड़िया, आचार्य दरिया सिंह, डॉ. कुलदीप सिंह सांगवान, डॉ. जयप्रकाश भानु, रवि कुमार गोयल, डॉ. सुनील कुमार गुप्ता, पीसी छाबड़ा, आर्किटेक्ट आशु दहदानी सहित अभियांत्रिकी के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान करने वालों को इंजीनियरिंग एक्सीलेंस अवार्ड देने की घोषणा की गई.