जयपुर. राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा है कि प्रकृति से सामंजस्य बिठाते हुए विकास की राह पर हमेशा आगे बढ़ना चाहिए. लेकिन ऐसा नहीं करेंगे तो प्रकृति अपने दम पर सुधार करेगी और तब हमें प्रकृति का रौद्र रूप दिखाई देगा, जैसे इस समय कोविड-19 के दौर में हो रहा है. राज्यपाल शुक्रवार को विश्व पर्यावरण दिवस पर प्रदेश के इंजीनियरिंग कॉलेजों के प्राचार्य, प्राध्यापकों और विद्यार्थियों को राजभवन से ही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संबोधित कर रहे थे.
ग्रीन बिल्डिंग से सतत विकास विषय पर आयोजित सेमिनार का आयोजन राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय कोटा और इंडियन ग्रीन बिल्डिंग काउंसिल की ओर से किया गया था, जिसमें राज्यपाल बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे. अपने संबोधन के दौरान राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा कि पर्यावरण को मनुष्य केवल स्वयं के अस्तित्व से जोड़ कर ना देखें, बल्कि मानवता की स्थिति के साथ सभी पेड़-पौधे और जीव-जंतु को भी धरती पर रहने का अधिकार है. मिश्र ने कहा, यही सह अस्तित्व हमारे पौराणिक ग्रंथों और वैदिक संस्कृति का सार भी है.
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राज्यपाल ने कहा कि कोविड-19 महामारी में बड़ी संख्या में कामगारों को दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है. इसका मुख्य कारण ग्रामीण भारत में रोजगार और नौमुखी व्यवस्थाओं का अभाव है. हमारे बहुत से मजदूर और कामगार बड़े शहरों में प्रदूषण में रहने को मजबूर हो जाते हैं. इस समस्या के समाधान के लिए प्रत्येक गांव को एक इकाई मानते हुए आत्मनिर्भर बनाना विकास का संशोधित मॉडल हो सकता है.
रासायनिक प्रदूषण जीवन के लिए खतरा...
राज्यपाल ने कहा कि आज के विश्व में बायोवेस्ट और न्यूक्लियर वेस्ट का निस्तारण अलग तरह की समस्या बनती जा रही है. इसके समाधान के लिए वैज्ञानिकों को निरंतर प्रयास करना होगा. राज्यपाल ने कहा कि बढ़ता हुआ ध्वनि प्रदूषण भी एक बड़ी समस्या है.
उन्होंने कहा कि मैं एक अन्य खतरे की ओर आपका ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं और वो है रासायनिक प्रदूषण. उनके अनुसार खेतों में बढ़ते रासायनिक पदार्थों के उपयोग से कैंसर जैसी खतरनाक बीमारियों के होने से अब हमें पुनः अपने मूल की ओर लौटने की आवश्यकता है. इसके लिए हमें ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा देना होगा. वेबीनार को इंडियन ग्रीन बिल्डिंग काउंसिल के जैमिनी ओबरॉय और राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय के कुलपति आरए गुप्ता ने भी संबोधित किया.