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किसानों के लिए कृषि पाठ्यक्रम, अनुसंधान और शोध कार्य हिन्दी में कराया जाए उपलब्ध: राज्यपाल - Raj Bhavan online

कृषि विश्वविद्यालय, जोधपुर के नवें स्थापना दिवस समारोह पर राज्यपाल कलराज मिश्र ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए विद्यार्थियों को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने कृषि पाठयक्रम और अनुसंधान कार्य हिन्दी में कराए जाने पर जोर दिया.

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राज्यपाल ने कृषि विश्वविद्यालय समारोह को किया संबोधित
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Published : Sep 14, 2021, 4:27 PM IST

Updated : Sep 14, 2021, 8:42 PM IST

जयपुर. किसानों की बेहतरी के लिए कृषि पाठ्यक्रम, अनुसंधान और शोध कार्य हिन्दी में उपलब्ध कराए जाएं. कृषि तकनीक और खेती-बाड़ी से जुड़ी सामग्री हिन्दी में तैयार की जाए, तभी इसका व्यापक प्रचार प्रसार होगा और किसानों को इसका वास्तविक और पूर्ण रूप में लाभ मिल सकेगा. राज्यपाल कालराज मिश्र कृषि विश्वविद्यालय, जोधपुर के नवें स्थापना दिवस समारोह में मंगलवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान राजभवन से ही विद्यार्थियों को सम्बोधित कर रहे थे.

राज्यपाल ने समारोह के दौरान विश्वविद्यालय की अलग-अलग इकाइयों के मध्य वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुविधा और मृदा एवं जल जांच प्रयोगशाला का लोकार्पण किया. उन्होंने विश्वविद्यालय के परीक्षा हॉल का शिलान्यास भी किया. राज्यपाल ने कृषि वैज्ञानिक और विद्यार्थियों को नियमित अंतराल पर खेतों और गांवों के दौरे पर भेजे जाने का सुझाव दिया.

पढ़ें: राज्यपाल मिश्र और CM गहलोत ने प्रदेशवासियों को दी हिंदी दिवस की शुभकामनाएं

उन्होंने कहा कि इससे न केवल किसान नए-नए अनुसंधान और प्रसार शिक्षा से लाभान्वित होंगे बल्कि कृषि विद्यार्थियों को भी पारम्परिक कृषि को जानने-समझने का अवसर मिलेगा. मिश्र ने कहा कि कृषि विश्वविद्यालयों को कृषि पैदावार बढ़ाने के साथ किसानों की आय में बढ़ोतरी के लिए कार्य करना चाहिए. इसके लिए खेती और संबंधित प्रसंस्करण उद्योगों से किसानों को जोड़कर समन्वित खेती को प्रोत्साहित किए जाने की जरूरत बताई.

युवाओं को दिया जाए प्रशिक्षण

फसल उत्पादन, पशुपालन, फल एवं सब्जी उत्पादन, मछली पालन, वानिकी आदि के समन्वय से किसान उपलब्ध संसाधनों का बेहतर उपयोग कर उत्पादन बढ़ाकर अधिकाधिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं. उन्होंने आदिवासी एवं अनुसूचित उप योजना क्षेत्र के युवाओं को आधुनिक कृषि, फसल भंडारण और खाद्य प्रसंस्करण का प्रशिक्षण दिए जाने की भी आवश्यकता जताई ताकि ये युवा खेती से जुड़े रोजगार शुरु कर आत्मनिर्भर बन सकें.

पढ़ें: प्रताप सिंह खाचरियावास का बीजेपी पर जुबानी हमला, कहा- पहले मोदी के नाम पर वोट मिलते थे और आज मोदी के नाम पर वोट कट रहे हैं

कैमोमाइल चाय, चिकोरी कॉफी पर शोध को सराहा

राज्यपाल ने कृषि विश्वविद्यालय, जोधपुर की ओर से नए क्षमतायुक्त चाय की उत्पादन तकनीक के विकास, कैमोमाइल चाय, चिकोरी कॉफी, रागी और कांगणी पर नए शोध करने की सराहना की. उन्होंने विश्वविद्यालय में डेयरी प्रौद्योगिकी एवं कृषि अभियांत्रिकी में बीटेक पाठ्यक्रम शुरू किए जाने पर भी खुशी व्यक्त की. विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. बीआर चौधरी ने विश्वविद्यालय का प्रगति प्रतिवेदन प्रस्तुत कर शैक्षिक, शिक्षणेत्तर गतिविधियों तथा नवाचारों आदि के बारे में जानकारी दी.

राज्यपाल ने विश्वविद्यालय की गत पांच वर्ष की उपलब्धियों पर आधारित पुस्तिका, औषधीय फसल फोल्डर, बीटेक डेयरी टेक्नोलॉजी के पाठ्यक्रम तथा स्टूडेन्ट रेडी ऑपरेशन्स मैन्युअल का ई-लोकार्पण किया. उन्होंने उल्लेखनीय शोध कार्यों के लिए कृषि वैज्ञानिकों को पुरस्कार भी प्रदान किए. मिश्र ने कहा कि विश्वविद्यालयों में शैक्षणिक और अशैक्षणिक कार्मिकों की कमी को देखते हुए भर्ती प्रक्रिया शुरू करने के लिए पदों के रोस्टर आरक्षण के विषय में विस्तृत दिशा निर्देश दिए गए हैं.

भारत सरकार के कृषि आयुक्त डॉ. एसके मल्होत्रा ने कहा कि कृषि विश्वविद्यालय, जोधपुर अपनी स्थापना के बाद 9 वर्ष से कम समय में ही कृषि शिक्षा, शोध एवं अनुसंधान का महत्वपूर्ण केन्द्र बनकर उभरा है.

जयपुर. किसानों की बेहतरी के लिए कृषि पाठ्यक्रम, अनुसंधान और शोध कार्य हिन्दी में उपलब्ध कराए जाएं. कृषि तकनीक और खेती-बाड़ी से जुड़ी सामग्री हिन्दी में तैयार की जाए, तभी इसका व्यापक प्रचार प्रसार होगा और किसानों को इसका वास्तविक और पूर्ण रूप में लाभ मिल सकेगा. राज्यपाल कालराज मिश्र कृषि विश्वविद्यालय, जोधपुर के नवें स्थापना दिवस समारोह में मंगलवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान राजभवन से ही विद्यार्थियों को सम्बोधित कर रहे थे.

राज्यपाल ने समारोह के दौरान विश्वविद्यालय की अलग-अलग इकाइयों के मध्य वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुविधा और मृदा एवं जल जांच प्रयोगशाला का लोकार्पण किया. उन्होंने विश्वविद्यालय के परीक्षा हॉल का शिलान्यास भी किया. राज्यपाल ने कृषि वैज्ञानिक और विद्यार्थियों को नियमित अंतराल पर खेतों और गांवों के दौरे पर भेजे जाने का सुझाव दिया.

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उन्होंने कहा कि इससे न केवल किसान नए-नए अनुसंधान और प्रसार शिक्षा से लाभान्वित होंगे बल्कि कृषि विद्यार्थियों को भी पारम्परिक कृषि को जानने-समझने का अवसर मिलेगा. मिश्र ने कहा कि कृषि विश्वविद्यालयों को कृषि पैदावार बढ़ाने के साथ किसानों की आय में बढ़ोतरी के लिए कार्य करना चाहिए. इसके लिए खेती और संबंधित प्रसंस्करण उद्योगों से किसानों को जोड़कर समन्वित खेती को प्रोत्साहित किए जाने की जरूरत बताई.

युवाओं को दिया जाए प्रशिक्षण

फसल उत्पादन, पशुपालन, फल एवं सब्जी उत्पादन, मछली पालन, वानिकी आदि के समन्वय से किसान उपलब्ध संसाधनों का बेहतर उपयोग कर उत्पादन बढ़ाकर अधिकाधिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं. उन्होंने आदिवासी एवं अनुसूचित उप योजना क्षेत्र के युवाओं को आधुनिक कृषि, फसल भंडारण और खाद्य प्रसंस्करण का प्रशिक्षण दिए जाने की भी आवश्यकता जताई ताकि ये युवा खेती से जुड़े रोजगार शुरु कर आत्मनिर्भर बन सकें.

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कैमोमाइल चाय, चिकोरी कॉफी पर शोध को सराहा

राज्यपाल ने कृषि विश्वविद्यालय, जोधपुर की ओर से नए क्षमतायुक्त चाय की उत्पादन तकनीक के विकास, कैमोमाइल चाय, चिकोरी कॉफी, रागी और कांगणी पर नए शोध करने की सराहना की. उन्होंने विश्वविद्यालय में डेयरी प्रौद्योगिकी एवं कृषि अभियांत्रिकी में बीटेक पाठ्यक्रम शुरू किए जाने पर भी खुशी व्यक्त की. विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. बीआर चौधरी ने विश्वविद्यालय का प्रगति प्रतिवेदन प्रस्तुत कर शैक्षिक, शिक्षणेत्तर गतिविधियों तथा नवाचारों आदि के बारे में जानकारी दी.

राज्यपाल ने विश्वविद्यालय की गत पांच वर्ष की उपलब्धियों पर आधारित पुस्तिका, औषधीय फसल फोल्डर, बीटेक डेयरी टेक्नोलॉजी के पाठ्यक्रम तथा स्टूडेन्ट रेडी ऑपरेशन्स मैन्युअल का ई-लोकार्पण किया. उन्होंने उल्लेखनीय शोध कार्यों के लिए कृषि वैज्ञानिकों को पुरस्कार भी प्रदान किए. मिश्र ने कहा कि विश्वविद्यालयों में शैक्षणिक और अशैक्षणिक कार्मिकों की कमी को देखते हुए भर्ती प्रक्रिया शुरू करने के लिए पदों के रोस्टर आरक्षण के विषय में विस्तृत दिशा निर्देश दिए गए हैं.

भारत सरकार के कृषि आयुक्त डॉ. एसके मल्होत्रा ने कहा कि कृषि विश्वविद्यालय, जोधपुर अपनी स्थापना के बाद 9 वर्ष से कम समय में ही कृषि शिक्षा, शोध एवं अनुसंधान का महत्वपूर्ण केन्द्र बनकर उभरा है.

Last Updated : Sep 14, 2021, 8:42 PM IST
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