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राजभवन-सरकार में टकरावः राज्यपाल का ऑब्जेक्शन कहीं सरकार के लिए चुनौती ना बन जाए

राजस्थान में चल रहे सियासी महासंग्राम के बीच शुक्रवार को राजभवन और सरकार के बीच टकराव की स्थिति बन गई. सूबे के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक आरोप लगाते हुए कहा कि वह विधानसभा का सत्र बुलाना चाहते हैं, लेकिन राजभवन इसकी इजाजत नहीं दे रहा है.

Rajasthan political crisis, jaipur news
गहलोत सरकार के लिए एक और चुनौती
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Published : Jul 24, 2020, 10:02 PM IST

जयपुर. राजस्थान में चल रहे सियासी महासंग्राम के बीच शुक्रवार को राजभवन और सरकार के बीच टकराव की स्थिति बन गई. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सुबह ही आरोप लगाया कि वह विधानसभा का सत्र बुलाना चाहते हैं, लेकिन राजभवन इसकी इजाजत नहीं दे रहा है और टकराव इतना ज्यादा बढ़ा की दोपहर होते-होते सभी विधायकों और मंत्रियों को लेकर मुख्यमंत्री राज भवन पहुंच गए.

जहां मुख्यमंत्री ने राज्यपाल से मुलाकात की तो सभी विधायकों ने बाहर बैठकर धरना दिया. उधर, राज्यपाल के दोबारा पत्रावली भेजने पर बैठक बुलाने और नया प्रस्ताव देने की बात पर धरना समाप्त हो गया है, लेकिन अब भी रात 9:30 बजे होने वाली कैबिनेट बैठक के बाद जो नई पत्रावली राजभवन को भेजी जाएगी. उसमें भी कई पेच फंसे हैं. हालांकि इन सब के बीच राज्यपाल का ऑब्जेक्शन कहीं सरकार के लिए चुनौती ना बन जाए.

पढ़ेंः विधानसभा सत्र के लिए नया प्रस्ताव भेजेंगेः प्रताप सिंह खाचरियावास

दरअसल, राजभवन की ओर से यह पूछा गया है कि सत्र कितने दिन का बुलाना है, सत्र बुलाने के पीछे कारण क्या है. वहीं राजभवन की ओर से बयान जारी कर कहा गया है कि संवैधानिक मर्यादा के ऊपर कोई नहीं होता है. उन्होंने कहा कि किसी भी प्रकार के दबाव की राजनीति नहीं होनी चाहिए. राज्य सरकार ने 23 जुलाई 2020 को प्रातः विधानसभा के सत्र को अत्यंत ही अल्प नोटिस के साथ आहूत करने के लिए पत्रावली पेश की गई थी. पत्रावली में गुण दोष के आधार पर राजभवन द्वारा परीक्षण किया गया और विधि विशेषज्ञों द्वारा परामर्श लिया गया. उसके बाद राज्य सरकार के संसदीय कार्य विभाग को राजभवन ने इन बिंदुओं के लिए पत्रावली पेश की.

पिछली पत्रावली में यह ऑब्जेक्शन आए हैं राजभवन की ओर से और इन बातों के लिए कहा गया...

  • विधानसभा सत्र को किस तिथि में आहूत किया जाना है इसका उल्लेख पिछले कैबिनेट नोट में नहीं है और ना ही कैबिनेट द्वारा इसे अनुमोदित किया गया.
  • अल्प सूचना पर सत्र बुलाए जाने का ना तो कोई औचित्य प्रदान किया गया और ना ही कोई एजेंडा प्रस्तावित किया गया सामान्य प्रक्रिया के तहत सत्र बुलाए जाने के लिए किस दिन का नोटिस दिया जाना आवश्यक होता है.
  • राज्य सरकार को यह सुनिश्चित किए जाने के निर्देश दिए कि सभी विधायकों की स्वतंत्रता एवं उनके स्वतंत्र आवागमन को सुनिश्चित किया जाए.
  • कुछ विधायकों की निर्योग्यता का प्रकरण उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय में विचाराधीन है. उसका संज्ञान भी लिए जाने के निर्देश राज्य सरकार को दिए गए हैं साथ ही कोरोना के राजस्थान प्रदेश में वर्तमान परिपेक्ष में तेजी से फैलाव को देखते हुए किस प्रकार सत्र आहूत किया जाएगा इसका भी विवरण प्रस्तुत किए जाने के निर्देश दिए हैं.
  • राजभवन स्पष्ट रूप से निर्देशित कर रहा है कि प्रत्येक कार्य के लिए संवैधानिक मर्यादा और सुसंगत नियमावली में विहित प्रावधानों के अनुसार ही कार्रवाई की जाए.
  • पत्रावली में यह भी कहा गया है कि जब राज्य सरकार के पास पूरा बहुमत है तो विश्वास मत प्राप्त करने के लिए सत्र आहूत करने का क्या औचित्य है?
  • अब अगले नोट में भी सरकार के सामने चुनौती इन छह प्रावधानों को कैसे हटाया जाए. अगर सरकार यह कहती है कि अल्प अवधि का सत्र बुलाना है तो फिर उसके लिए कारण बताना होगा और अगर किसी बिल को लेकर सरकार कहती है कि उन्हें यह बिल पास करना है तो राज्य भवन की ओर से यह कहा जा सकता है कि वह अध्यादेश जारी कर देंगे और उसे 6 महीने तक विधानसभा के सत्र में रखा जा सकता है.
  • जिस तरीके से राजभवन ने कहा है कि विधायकों के आवागमन में स्वतंत्रता होनी चाहिए तो ऐसे में जो विधायक हरियाणा में है उन्हें वापस आने पर सरकार को यह लिखित में देना होगा कि उनके खिलाफ किसी तरीके की कानूनी कार्रवाई नहीं होगी ऐसे में जो कारण पहले राजभवन की ओर से दिए गए हैं वह कारण अब भी लागू है.

जयपुर. राजस्थान में चल रहे सियासी महासंग्राम के बीच शुक्रवार को राजभवन और सरकार के बीच टकराव की स्थिति बन गई. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सुबह ही आरोप लगाया कि वह विधानसभा का सत्र बुलाना चाहते हैं, लेकिन राजभवन इसकी इजाजत नहीं दे रहा है और टकराव इतना ज्यादा बढ़ा की दोपहर होते-होते सभी विधायकों और मंत्रियों को लेकर मुख्यमंत्री राज भवन पहुंच गए.

जहां मुख्यमंत्री ने राज्यपाल से मुलाकात की तो सभी विधायकों ने बाहर बैठकर धरना दिया. उधर, राज्यपाल के दोबारा पत्रावली भेजने पर बैठक बुलाने और नया प्रस्ताव देने की बात पर धरना समाप्त हो गया है, लेकिन अब भी रात 9:30 बजे होने वाली कैबिनेट बैठक के बाद जो नई पत्रावली राजभवन को भेजी जाएगी. उसमें भी कई पेच फंसे हैं. हालांकि इन सब के बीच राज्यपाल का ऑब्जेक्शन कहीं सरकार के लिए चुनौती ना बन जाए.

पढ़ेंः विधानसभा सत्र के लिए नया प्रस्ताव भेजेंगेः प्रताप सिंह खाचरियावास

दरअसल, राजभवन की ओर से यह पूछा गया है कि सत्र कितने दिन का बुलाना है, सत्र बुलाने के पीछे कारण क्या है. वहीं राजभवन की ओर से बयान जारी कर कहा गया है कि संवैधानिक मर्यादा के ऊपर कोई नहीं होता है. उन्होंने कहा कि किसी भी प्रकार के दबाव की राजनीति नहीं होनी चाहिए. राज्य सरकार ने 23 जुलाई 2020 को प्रातः विधानसभा के सत्र को अत्यंत ही अल्प नोटिस के साथ आहूत करने के लिए पत्रावली पेश की गई थी. पत्रावली में गुण दोष के आधार पर राजभवन द्वारा परीक्षण किया गया और विधि विशेषज्ञों द्वारा परामर्श लिया गया. उसके बाद राज्य सरकार के संसदीय कार्य विभाग को राजभवन ने इन बिंदुओं के लिए पत्रावली पेश की.

पिछली पत्रावली में यह ऑब्जेक्शन आए हैं राजभवन की ओर से और इन बातों के लिए कहा गया...

  • विधानसभा सत्र को किस तिथि में आहूत किया जाना है इसका उल्लेख पिछले कैबिनेट नोट में नहीं है और ना ही कैबिनेट द्वारा इसे अनुमोदित किया गया.
  • अल्प सूचना पर सत्र बुलाए जाने का ना तो कोई औचित्य प्रदान किया गया और ना ही कोई एजेंडा प्रस्तावित किया गया सामान्य प्रक्रिया के तहत सत्र बुलाए जाने के लिए किस दिन का नोटिस दिया जाना आवश्यक होता है.
  • राज्य सरकार को यह सुनिश्चित किए जाने के निर्देश दिए कि सभी विधायकों की स्वतंत्रता एवं उनके स्वतंत्र आवागमन को सुनिश्चित किया जाए.
  • कुछ विधायकों की निर्योग्यता का प्रकरण उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय में विचाराधीन है. उसका संज्ञान भी लिए जाने के निर्देश राज्य सरकार को दिए गए हैं साथ ही कोरोना के राजस्थान प्रदेश में वर्तमान परिपेक्ष में तेजी से फैलाव को देखते हुए किस प्रकार सत्र आहूत किया जाएगा इसका भी विवरण प्रस्तुत किए जाने के निर्देश दिए हैं.
  • राजभवन स्पष्ट रूप से निर्देशित कर रहा है कि प्रत्येक कार्य के लिए संवैधानिक मर्यादा और सुसंगत नियमावली में विहित प्रावधानों के अनुसार ही कार्रवाई की जाए.
  • पत्रावली में यह भी कहा गया है कि जब राज्य सरकार के पास पूरा बहुमत है तो विश्वास मत प्राप्त करने के लिए सत्र आहूत करने का क्या औचित्य है?
  • अब अगले नोट में भी सरकार के सामने चुनौती इन छह प्रावधानों को कैसे हटाया जाए. अगर सरकार यह कहती है कि अल्प अवधि का सत्र बुलाना है तो फिर उसके लिए कारण बताना होगा और अगर किसी बिल को लेकर सरकार कहती है कि उन्हें यह बिल पास करना है तो राज्य भवन की ओर से यह कहा जा सकता है कि वह अध्यादेश जारी कर देंगे और उसे 6 महीने तक विधानसभा के सत्र में रखा जा सकता है.
  • जिस तरीके से राजभवन ने कहा है कि विधायकों के आवागमन में स्वतंत्रता होनी चाहिए तो ऐसे में जो विधायक हरियाणा में है उन्हें वापस आने पर सरकार को यह लिखित में देना होगा कि उनके खिलाफ किसी तरीके की कानूनी कार्रवाई नहीं होगी ऐसे में जो कारण पहले राजभवन की ओर से दिए गए हैं वह कारण अब भी लागू है.
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