जयपुर. प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राजस्थान में खाद्य सुरक्षा पात्र लोगों को कोरोना इलाज को लेकर एक बड़ी राहत दी है. मामले को लेकर प्रदेश के चिकित्सा मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने बताया कि प्रदेश में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा से जुड़े लोग कोरोना पॉजिटिव चिन्हित पाए जाते हैं और किसी निजी अस्पताल में इलाज करवाना चाहते हैं, तो पूरा पुनर्भरण सरकार द्वारा किया जाएगा. यानी खाद्य सुरक्षा के पात्र लोग अगर निजी अस्पताल में अपना इलाज करवाते हैं, तो इलाज के दौरान आने वाला पूरा खर्च सरकार उन्हें वापस रिफंड कर देगी.
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने बताया कि प्रदेश भर में 30 हजार से ज्यादा जांचें प्रतिदिन की जा रही हैं. सरकार टेस्ट क्षमता और टेस्टिंग में लगातार बढ़ोतरी कर रही है, यही वजह है कि कोरोना पॉजिटिव लोगों के नंबर बढ़ रहे हैं. उन्होंने कहा कि प्रदेश में रिकवरी रेशियो बेहतर है और मृत्युदर निरंतर कम होती जा रही है.
डॉ. शर्मा ने बताया कि सरकार की मंशा है कि रिकवरी रेशियो में निरंतर बढ़ोतरी हो और प्रदेश में कोरोना से होने वाली मृत्युदर शून्य पर आ सके. इसके लिए सरकार हर संभव प्रयास कर रही है. उन्होंने कहा कि सुकून देनी वाली बात यह रही कि मृत्युदर 1 प्रतिशत रह गया था, जो वर्तमान में 1.5 फीसदी है. उन्होंने कहा कि प्लाज्मा थेरेपी और जीवनरक्षक इंजेक्शंस के जरिए इसे और भी कम किया जा रहा है.
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1300 नए वेंटीलेटर प्रोक्योर किए...
स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि सरकार कोरोना की रोकथाम के लिए सजग और सतर्क है. राजधानी के निजी अस्पतालों में कोविड मरीजों का इलाज बेहतर तरीके से हो सके इसके लिए अस्पतालों के मालिकों की मुख्य सचिव के साथ बैठक प्रस्तावित है. उन्होंने कहा कि आरयूएचएस अस्पताल में कोरोना के मरीजों की सुविधाओं को भी बढ़ाया जाएगा. उन्होंने कहा कि कोरोना मरीजों के बेहतर उपचार के लिए 1300 नए वेंटीलेटर प्रोक्योर किए गए हैं. हालांकि, प्रदेश सरकार के पास वेंटीलेटर्स की कोई कमी नहीं थी, लेकिन पॉजिटिव मरीजों की बढ़ती संख्या के चलते यह वेंटीलेटर्स खासे उपयोगी होंगे.
एंटीजन टेस्ट कारगर नहीं...
चिकित्सा मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा करवाए जा रहे एंटीजन टेस्ट पर अब सवाल उठने लगा है और यह टेस्ट पूरी तरह कारगर नहीं है. उन्होंने कहा कि जिस कोरियन कंपनी को आईसीएमआर ने एंटीजन टेस्ट के लिए अधिकृत किया है, उससे सरकार ने किट मांगे लेकिन अभी तक कोई जवाब नहीं आया.
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जब एक निजी अस्पताल के जरिए हुए जनहित में 200 किट लिए. जिसके नेगेटिव टेस्ट को तो एंटीजन ने नेगेटिव बता दिया, लेकिन जो 111 टेस्ट आरटीपीसीआर टेस्ट के जरिए पॉजिटिव चिन्हित किए गए थे, उनमें से भी 57 को एंटीजन टेस्ट ने नेगेटिव बता दिया. केवल 54 मरीजों को ही पॉजिटिव बताया.
चिकित्सा मंत्री ने कहा कि एंटीजन टेस्ट का फेल होना चिंताजनक बात है. उन्होंने कहा कि दिल्ली जैसे शहर में जहां कुल 18 हजार टेस्ट प्रतिदिन हो रहे हैं. उनमें से 12 हजार का एंटीजन टेस्ट करवाया जा रहा है. यही नहीं पूरे देश में व्यापक स्तर पर एंटीजन टेस्ट हो रहे हैं. सरकार ने आईसीएमआर को एंटीजन टेस्ट की विश्वसनीयता पर सवाल उठाते हुए लिखा है कि राज्य में एंटीजन टेस्ट की शुद्धता केवल 48 फीसद आई है. ऐसे में इस टेस्ट पर आईसीएमआर को पुनर्विचार करना चाहिए.