जयपुर. राज्य उपभोक्ता आयोग ने कहा कि चिकित्सीय लापरवाही के लिए राजकीय अस्पताल भी जिम्मेदार होते हैं. निशुल्क कैंप आयोजन के समय देखा जाना चाहिए कि जो इलाज की पद्धति अपनाई जा रही है वह सुरक्षित है या नहीं. इसके साथ ही आयोग ने जिला उपभोक्ता मंच चित्तौड़गढ़ की ओर से लगाए गए जुर्माने के खिलाफ पेश अपील को खारिज करते हुए रितेंद्र हीरावत हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर व अन्य पर लगाए 3 लाख 10 हजार रुपए के हर्जाने को बरकरार रखा है. आयोग ने यह आदेश हॉस्पिटल की ओर से पेश अपील को खारिज करते हुए दिए.
मामले के अनुसार अपीलार्थी ने जनवरी 2014 माह में चित्तौड़गढ़ के जोगणिया माता गांव में कैंप लगाया था. जहां परिवादी नारायण की पथरी का ऑपरेशन किया गया, लेकिन चिकित्सीय लापरवाही के चलते परिवादी की किडनी की नस कट गई. इसके बाद भी चिकित्सकों ने परिवादी को डिस्चार्ज कर दिया.
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परिवादी की ओर से दूसरे चिकित्सकों को दिखाने में असलियत का पता चला. मामले में जिला मंच उपभोक्ता संरक्षण चित्तौड़गढ़ ने अस्पताल प्रशासन सहित अन्य के खिलाफ 3 लाख 10 हजार रुपए का हर्जाना लगाया था. इस आदेश के खिलाफ अस्पताल प्रशासन की ओर से आयोग में अपील की गई थी.