जयपुर. बिजली विभाग से जुड़े अधिकारियों कर्मचारियों ने सरकार पर वैक्सीनेशन को लेकर भेदभाव का आरोप लगाया है. उनका कहना है कि हाउसिंग बोर्ड में लगे शिविर में कर्मचारियों और परिजनों का वैक्सीनेशन किया गया. लेकिन बिजली कंपनियों में कर्मचारियों के वैक्सीनेशन में टोटा है.
राजस्थान में कोरोना वैक्सीन की कमी को लेकर सियासी आरोप-प्रत्यारोप तो लगातार बढ़ रहे हैं. लेकिन वैक्सीन की उपलब्धता के आधार पर सरकार इसका इस्तेमाल भी दूरदर्शिता के साथ नहीं कर रही. इसे प्रशासन की अदूरदर्शिता ही कहेंगे कि अति आवश्यक सेवाओं में शामिल विद्युत महकमे से जुड़े अधिकतर कर्मचारी अब भी वैक्सीनेशन का इंतजार कर रहे हैं. लेकिन दूसरी तरफ आवासन मंडल ऐसा महकमा है जो अति आवश्यक सेवाओं में शामिल तो नहीं है लेकिन वहां कर्मचारियों के साथ ही उनके परिवारजनों का भी वैक्सीनेशन हो रहा है.
वहीं नगर निगम में भी सफाई कर्मी अधिकारी कर्मचारियों और पार्षदों को वैक्सीनेशन हुआ. वहीं पार्षदों के परिवारजनों को भी इसका लाभ मिला रहा है. लेकिन सरकारी क्षेत्र की पांचों बिजली कंपनियां जिनमें राजस्थान विद्युत प्रसारण निगम, उत्पादन निगम, जयपुर जोधपुर और अजमेर डिस्कॉम में तैनात कर्मचारियों के परिवारों को इसका लाभ नहीं मिला. आलम यह है कि इन पांचों कंपनियों के अधिकतर कर्मचारी अभी वैक्सीनेशन से महरूम हैं. ऐसे में कर्मचारी संगठनों में रोष होना स्वाभाविक है. वो नजर भी आ रहा है.
आंकड़े बताते हैं कि स्वास्थ्य विभाग और पुलिस महकमे में अब तक सर्वाधिक कर्मचारियों का वैक्सीनेशन हुआ. इसका असर ये रहा कि इन विभागों के कर्मचारी कोरोना हुआ भी तो जल्द ही ठीक हो कर वापस ड्यूटी पर तैनात हो गए. मतलब मृत्यु का आंकड़ा इन विभागों में कोरोना से कम ही रहा. लेकिन कोरोना की दूसरी लहर में ही पांचों बिजली कंपनियों के 70 से अधिक कर्मचारी काल का ग्रास बन चुके हैं. 3000 से अधिक कोरोना संक्रमण की चपेट में आ गए. बावजूद इसके ना तो विभाग के आला अधिकारियों की नींद खुली और न सरकार की.
अकेले जयपुर डिस्कॉम में ही 21 कर्मचारी तो काल का ग्रास बन चुके हैं. ऐसे में विपक्ष भी इस मामले में प्रशासन और सरकार की कार्यशैली को कटघरे में खड़ा कर रहा है. नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने बिजली कर्मियों की मांग को वाजिब बताते हुए सरकार से वैक्सीनेशन के इस कार्य में सुधार करने की मांग की.
ऊर्जा सचिव ने नहीं किया फोन रिसीव
इन तमाम मामलों को लेकर ऊर्जा सचिव और डिस्कॉम चेयरमैन दिनेश कुमार से भी ईटीवी संवाददाता ने फोन पर संपर्क करने का प्रयास किया. लेकिन उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया. ऊर्जा मंत्री डॉ बीडी कल्ला से भी संपर्क करने की कोशिश की गई. लेकिन संपर्क नहीं हुआ.
मौतों के लिए ये भेदभाव ही जिम्मेदार
बड़ा सवाल यही है कि आखिर इस प्रकार का भेदभाव क्यों किया जा रहा है. वो भी तब जब बिजली आवश्यक सेवाओं में शामिल है. सरकार ने बिजली कर्मियों को कोरोना वॉरियर्स भी माना है. उम्मीद है प्रशासन और सरकार अपनी इस गलती में जल्द सुधार करके उपेक्षित बिजली कर्मियों को न केवल समय पर वैक्सीनेशन का काम पूर्ण करवाएगी बल्कि वे तमाम लाभ भी देगी. जिनकी घोषणा सरकार ने बोर्ड निगम और निकाय के कर्मियों के लिए तो की थी. लेकिन उसका लाभ अब तक बिजली कर्मियों को नहीं मिल पाया है.