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जयपुर में तैयार हुई 'राजस्थानी गोल्डन पगड़ी'... करीब 22 लाख बताई जा रही कीमत - राजस्थानी गोल्डन पगड़ी

जयपुर के कारीगर भूपेंद्र सिंह ने एक राजस्थानी गोल्डन पगड़ी बनाई है. ये 10 गज लम्बी पगड़ी 530 ग्राम 24 कैरेट सोने के तारों से बुनी गई है. जिसकी कीमत 22 लाख रुपए बताई जा रही है. इस गोल्डन साफे को बनाने का मकसद इतिहास को फिर से जिंदा करने की कोशिश है. वहीं गोल्डन साफे के लिए गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड के लिए भी अटेम्प्ट किया गया है. ये साफा एक उद्योगपति की बेटी की शादी में दूल्हे के लिए बनाया गया है.

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Published : Oct 4, 2019, 10:06 PM IST

जयपुर. विश्व की पहली ऐसी पगड़ी जो कि 24 कैरेट सोने से बनी है. जिसको नाम दिया गया है 'गोल्डन राजस्थानी साफा'. लगभग 10 गज लम्बी इस पगड़ी में 530 ग्राम 24 कैरेट सोना लगा है. दिखने में एक दम केसरिया रेशम व सूती धागों से लंबे तारों का ताना बाना बुना गया है. ये साफा खासतौर बैंगलोर के उद्योगपति की बेटी के शादी के लिए बनवाया गया है. जिसकी कीमत 22 लाख रुपए बताई जा रही है.

विश्व की पहली राजस्थानी गोल्डन पगड़ी..जो जयपुर के कारीगर ने बनाई

बैंगलोर के उद्योगपति व कर्नाटक राजपुर समाज के अध्यक्ष मनोहर सिंह राठौड़ की बेटी की शादी में जब दूल्हा 24 कैरेट सोने का राजसी साफा पहन कर फेरे लेगा तो इतिहास फिर से जिंदा हो उठेगा. एक जमाना था जब सोने और चांदी की जरी की पोशाकें व साफे प राजसी ठाठ बाट की निशानी थी. उस जमाने में इनके कारीगरों की भी बहुत अहमियत थी. समय गुजरा और साहित्य कला विलुप्त हो गई. आज हालात यह है, कि इस कला को पिछले 100 साल से किसी ने छुआ तक नहीं था.

पढ़ें- बालाकोट में कैसे बरसे थे बम, वायुसेना ने एयर स्ट्राइक पर जारी किया वीडियो

लेकिन आखिरकार जयपुर के भूपेंद्र सिंह शेखावत ने इस कला को फिर से जीवंत करने की हिम्मत दिखाई. भूपेंद्र सिंह बताते हैं, कि इस कला को फिर से जीवित करने की उन पर धुन सवार थी. उन्होंने अपनी मेहनत से महीन तारों के ताने बाने से करिश्मे ने एक असंभव चीज तैयार कर दी. इससे पहले भूपेंद्र चांदी का भी साफा बना चुके है. लेकिन सोने जैसी कीमती धातु में लगभग 10 गज लंबे तारों का ताना-बाना बुनना और उसे केसरिया रेशम व सूती धागों के साथ बनाना अपने आप में एक चुनौती थी. जिसके लिए कोई भी कारीगर तैयार नहीं हो रहा था. कार्य की शुरुआत के लिए 'बादला' के कारीगरों को ढूंढा गया. जो इस कार्य को कर सकें क्योंकि 'बादला' का कार्य लगभग चार दशक से किसी ने नहीं किया है.

पढ़ें- स्पेशल स्टोरी: खानवा के मैदान में ही राणा सांगा को लगे थे 80 घाव...आज भी देखी जा सकती है गोला-बारूद से छलनी पहाड़ी

आखिर में महीनों की मेहनत व बनारस की कई यात्रा करने के बाद वह यहां के सबसे पुराने कारीगरों के द्वारा सोने के तारों का 'बादला' तैयार किया गया. साफे की कारीगरी में यह ध्यान रखा गया, कि यह केसरिया रंग लिए हुए हो जो की राजपूती शादियों का मुख्य हिस्सा होता है. बता दे कि ये राजस्थानी गोल्डन पगड़ी एक व्यवसाय का हिस्सा ना होकर इतिहास को फिर से जिंदा करने की कोशिश है. इसके लिए उन्होंने गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड के लिए भी अटेम्प्ट किया है.

जयपुर. विश्व की पहली ऐसी पगड़ी जो कि 24 कैरेट सोने से बनी है. जिसको नाम दिया गया है 'गोल्डन राजस्थानी साफा'. लगभग 10 गज लम्बी इस पगड़ी में 530 ग्राम 24 कैरेट सोना लगा है. दिखने में एक दम केसरिया रेशम व सूती धागों से लंबे तारों का ताना बाना बुना गया है. ये साफा खासतौर बैंगलोर के उद्योगपति की बेटी के शादी के लिए बनवाया गया है. जिसकी कीमत 22 लाख रुपए बताई जा रही है.

विश्व की पहली राजस्थानी गोल्डन पगड़ी..जो जयपुर के कारीगर ने बनाई

बैंगलोर के उद्योगपति व कर्नाटक राजपुर समाज के अध्यक्ष मनोहर सिंह राठौड़ की बेटी की शादी में जब दूल्हा 24 कैरेट सोने का राजसी साफा पहन कर फेरे लेगा तो इतिहास फिर से जिंदा हो उठेगा. एक जमाना था जब सोने और चांदी की जरी की पोशाकें व साफे प राजसी ठाठ बाट की निशानी थी. उस जमाने में इनके कारीगरों की भी बहुत अहमियत थी. समय गुजरा और साहित्य कला विलुप्त हो गई. आज हालात यह है, कि इस कला को पिछले 100 साल से किसी ने छुआ तक नहीं था.

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लेकिन आखिरकार जयपुर के भूपेंद्र सिंह शेखावत ने इस कला को फिर से जीवंत करने की हिम्मत दिखाई. भूपेंद्र सिंह बताते हैं, कि इस कला को फिर से जीवित करने की उन पर धुन सवार थी. उन्होंने अपनी मेहनत से महीन तारों के ताने बाने से करिश्मे ने एक असंभव चीज तैयार कर दी. इससे पहले भूपेंद्र चांदी का भी साफा बना चुके है. लेकिन सोने जैसी कीमती धातु में लगभग 10 गज लंबे तारों का ताना-बाना बुनना और उसे केसरिया रेशम व सूती धागों के साथ बनाना अपने आप में एक चुनौती थी. जिसके लिए कोई भी कारीगर तैयार नहीं हो रहा था. कार्य की शुरुआत के लिए 'बादला' के कारीगरों को ढूंढा गया. जो इस कार्य को कर सकें क्योंकि 'बादला' का कार्य लगभग चार दशक से किसी ने नहीं किया है.

पढ़ें- स्पेशल स्टोरी: खानवा के मैदान में ही राणा सांगा को लगे थे 80 घाव...आज भी देखी जा सकती है गोला-बारूद से छलनी पहाड़ी

आखिर में महीनों की मेहनत व बनारस की कई यात्रा करने के बाद वह यहां के सबसे पुराने कारीगरों के द्वारा सोने के तारों का 'बादला' तैयार किया गया. साफे की कारीगरी में यह ध्यान रखा गया, कि यह केसरिया रंग लिए हुए हो जो की राजपूती शादियों का मुख्य हिस्सा होता है. बता दे कि ये राजस्थानी गोल्डन पगड़ी एक व्यवसाय का हिस्सा ना होकर इतिहास को फिर से जिंदा करने की कोशिश है. इसके लिए उन्होंने गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड के लिए भी अटेम्प्ट किया है.

Intro:जयपुर के कारीगर भूपेंद्र सिंह ने एक राजस्थानी गोल्डन पगड़ी बनाई है. ये 10 गज लम्बी पगड़ी 530 ग्राम 24 कैरेट सोने के तारों के ताने बाने से बुनी हुई है. ये गोल्डन साफा बनाने का मक़दिस इतिहास को फिर से जिंदा करने की कोशिश है.वही गोल्डन साफे के लिए गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड के लिए भी अटेम्प्ट किया गया है. ये साफा एक उद्योगपति की बेटी की शादी में दूल्हे के लिए बनाया गया है.


Body:एंकर : विश्व की पहली ऐसी पगड़ी जो कि 24 कैरेट सोने से बनी है. जिसको नाम दिया गया है 'गोल्डन राजस्थानी साफा'. लगभग 10 गज लम्बी इस पगड़ी में 530 ग्राम 24 कैरेट सोना लगा है. दिखने में एक दम केसरिया रेशम व सूती धागों से लंबे तारों का ताना बाना बुना गया है. ये साफा खासतौर बैंगलोर के उद्योगपति की बेटी के शादी के लिए बनवाया गया है.

वीओ 1- बैंगलोर के उद्योगपति व कर्नाटक राजपुर समाज के अध्यक्ष मनोहर सिंह राठौड़ की बेटी की शादी में जब दूल्हा 24 कैरेट सोने का राजसी साफा पहन कर फेरे लेगा तो इतिहास फिर से जिंदा हो उठेगा. एक जमाना था जब सोने और चांदी की जरी की पोशाकें व साफे प राजसी ठाठ बाट की निशानी थी. उस जमाने में इनके कारीगरों की भी बहुत अहमियत थी. समय गुजरा और साहित्य कला विलुप्त हो गई. आज हालात यह है, कि इस कला को पिछले 100 साल से किसी ने छुआ तक नहीं था. लेकिन आखिरकार जयपुर के भूपेंद्र सिंह शेखावत ने इस कला को फिर से जीवंत करने की हिम्मत दिखाई.

बाइट- भूपेंद्र सिंह शेखावत, कारीगर

वीओ 2- भूपेंद्र सिंह बताते हैं, कि इस कला को फिर से जीवित करने की उन पर धुन सवार थी. उन्होंने अपनी मेहनत से महीन तारों के ताने बाने से करिश्मे ने एक असंभव चीज तैयार कर दी. इससे पहले भूपेंद्र चांदी का भी साफा बना चुके है लेकिन सोने जैसी कीमती धातु में लगभग 10 गज लंबे तारों का ताना-बाना बुनना और उसे केसरिया रेशम व सूती धागों के साथ बनाना अपने आप में एक चुनौती थी. जिसके लिए कोई भी कारीगर तैयार नहीं हो रहा था. कार्य की शुरुआत के लिए 'बादला' के कारीगरों को ढूंढा गया. जो इस कार्य को कर सकें क्योंकि 'बादला' का कार्य लगभग चार दशक से किसी ने नहीं किया है.

बाइट- भूपेंद्र सिंह शेखावत, कारीगर

फाइनल वीओ- आखिर में महीनों की मेहनत व बनारस की कहीं यात्रा करने के बाद वह यहां के सबसे पुराने कारीगरों के द्वारा सोने के तारों का 'बादला' तैयार किया गया. साफे की कारीगरी मैं यह ध्यान रखा गया, कि यह केसरिया रंग लिए हुए हो जो की राजपूती शादियों का मुख्य हिस्सा होता है. बता दे कि ये राजस्थानी गोल्डन पगड़ी एक व्यवसाय का हिस्सा न होकर इतिहास को फिर से जिंदा करने की कोशिश है. इसके लिए उन्होंने गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड के लिए भी अटेम्प्ट किया है.


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