जयपुर. हादसे में गंभीर रूप से घायल व्यक्ति या कार्डियक अरेस्ट आने पर तुरंत मरीज को मेडिकल सुविधा पहुंचाने के लिए जयपुर पुलिस द्वारा एक मोबाइल ऐप बनाया जा रहा है. इस एप को जयपुर पुलिस की ओर से 'गोल्डन आवर ऐप' नाम दिया गया है. इस ऐप को बनाने के लिए सड़क सुरक्षा कोष की ओर से बजट भी पारित किया जा चुका है. ऐप को बनाने व अन्य प्रोसेस को पूरा करने की कवायद तेज कर दी गई है. इस ऐप का फायदा जयपुर और आसपास के जिलों को मिल सकेगा.
एडिशनल पुलिस कमिश्नर लॉ एंड ऑर्डर राहुल प्रकाश ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में बताया कि जयपुर पुलिस द्वारा 'गोल्डन आवर ऐप' को तैयार किया जा रहा है. इसके तहत सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल व्यक्ति, कार्डियक अरेस्ट के मरीज या अन्य किसी गंभीर मरीज को बिना रुकावट के जल्द अस्पताल तक पहुंचाने का अति महत्वपूर्ण कार्य किया जाएगा.
ऐप बनने के बाद राजधानी जयपुर में संचालित सरकारी और निजी एंबुलेंस को इस ऐप के साथ रजिस्टर्ड किया जाएगा और फिर उनका वेरिफिकेशन किया जाएगा. गोल्डन ऐप के साथ एंबुलेंस को रजिस्टर्ड करने से पहले जयपुर पुलिस द्वारा एंबुलेंस सेवा प्रदान करने वाली एजेंसी या कंपनी का भी वेरिफिकेशन किया जाएगा. ऐप में रजिस्टर्ड की गई एंबुलेंस क्रिटिकल और वेरी क्रिटिकल कैटेगरी के मरीजों को अस्पताल ले जाते वक्त ऐप के माध्यम से ग्रीन कॉरिडोर की मांग कर सकेंगी. मरीज को जल्द से जल्द मेडिकल रिलीफ दिया जा सके इसके लिए जयपुर ट्रेफिक कंट्रोल रूम द्वारा एंबुलेंस को ग्रीन कोरिडोर प्रदान किया जाएगा.
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अनरजिस्टर्ड एंबुलेंस भी ले सकेंगी गोल्डन आवर ऐप से सहायता
राजधानी जयपुर से बाहर किसी दूसरे जिलों से क्रिटिकल और वेरी क्रिटिकल श्रेणी के मरीजों को इलाज के लिए जयपुर लेकर आ रहीं एंबुलेंस भी गोल्डन आवर ऐप के जरिए जयपुर ट्रेफिक कंट्रोल रूम से सहायता ले सकेंगी. इसके लिए गोल्डन आवर ऐप में एक इमरजेंसी बटन दिया जाएगा, जिसका उपयोग कर दूसरे जिलों से मरीजों को ला रही एंबुलेंस जयपुर ट्रेफिक कंट्रोल रूम से ग्रीन कॉरिडोर की मांग कर सकेगी. इसका वेरिफिकेशन जयपुर ट्रैफिक कंट्रोल रूम द्वारा संबंधित जिले के पुलिस अधिकारियों और थाने से वहां पर घटित हादसों की जानकारी लेकर किया जाएगा.वेरिफिकेशन के बाद एंबुलेंस को ग्रीन कॉरिडोर दिया जाएगा.
अस्पताल तक मरीज को पहुंचाने का सबसे छोटा रास्ता बताएगी पुलिस
एडिशनल पुलिस कमिश्नर लॉ एंड ऑर्डर ने बताया कि क्रिटिकल और वेरी क्रिटिकल श्रेणी के मरीजों को लेकर आ रही एंबुलेंस को ग्रीन कॉरिडोर प्रदान करने के लिए एंबुलेंस कर्मी द्वारा बताए गए अस्पताल तक के रूट को जयपुर ट्रेफिक कंट्रोल रूम द्वारा वेरीफाई किया जाएगा. मरीज को जल्द से जल्द मेडिकल रिलीफ पहुंचाने के लिए जयपुर ट्रेफिक पुलिस एंबुलेंस को अस्पताल तक पहुंचने का सबसे छोटा और सरल रास्ता बताएगी.
जब भी कोई रजिस्टर्ड एंबुलेंस क्रिटिकल या वेरी क्रिटिकल श्रेणी के मरीज को लेकर अस्पताल जाते समय इस ऐप का प्रयोग करेगी तो ट्रैफिक कंट्रोल रूम में बड़ी स्क्रीन पर उसका पॉपअप शो होगा. जिसके आधार पर ट्रैफिक कंट्रोल रूम द्वारा उस एंबुलेंस को ग्रीन कॉरिडोर प्रदान किया जाएगा और बड़ी स्क्रीन पर उस एंबुलेंस की तमाम मूवमेंट को मॉनिटर किया जाएगा.
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इसके साथ ही ट्रैफिक पुलिस कर्मियों को भी उस रास्ते को पूरी तरह क्लियर कराने के आदेश जयपुर ट्रेफिक कंट्रोल रूम द्वारा दिए जाएंगे. गोल्डन आवर ऐप के लिए 43 लाख रुपए का बजट जारी किया गया है. एडिशनल पुलिस कमिश्नर लॉ एंड ऑर्डर ने बताया कि गोल्डन आवर ऐप के लिए सड़क सुरक्षा कोष द्वारा 43 लाख रुपए का बजट पारित किया गया है. बजट पास होने के बाद जयपुर पुलिस द्वारा टेंडर व अन्य प्रक्रियाओं को पूरा करते हुए आगामी 3 माह में इस ऐप का संचालन किया जाएगा.
इस ऐप की मॉनिटरिंग और कंट्रोल पूरी तरह से जयपुर ट्रेफिक कंट्रोल रूम के पास रहेगा. इसके साथ ही यदि किसी व्यक्ति द्वारा इस ऐप का गलत तरीके से इस्तेमाल करने का प्रयास किया जाएगा तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी. आने वाले समय में गोल्डन आवर ऐप राजधानी जयपुर और उसके आसपास के जिलों की जनता के लिए संजीवनी साबित होगा.