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वेतन कटौती को लेकर सरकार की कर्मचारी संघों के साथ होने वाली बैठक स्थगित

गहलोत सरकार और कर्मचारी संगठनों के प्रतिनिधि से होने वाली बैठक स्थगित कर दी गई है. इस बैठक में वेतन कटौती को लेकर चर्चा होनी थी.

Gehlot government, Jaipur News
कर्मचारी संगठनों के प्रतिनिधि से गहलोत सरकार की मीटिंग
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Published : May 28, 2021, 10:59 AM IST

Updated : May 28, 2021, 11:44 AM IST

जयपुर. वेतन कटौती के आदेश से पहले सरकार कर्मचारी संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक शुक्रवार को बैठक करने वाली थी. ये बैठक स्थगित कर दी गई है. इस बैठक में कर्मचारी और अधिकारियों के वेतन कटौती लेकर सहमति बननी थी.

कोरोना संकट काल में आर्थिक संकट से जूझ रही गहलोत सरकार ने आर्थिक संकट दूर करने के प्रयास शुरू कर दिए हैं. इसके लिए जहां विधायकों-मंत्रियों और नौकरशाहों के वेतन कटौती के आदेश दिए हैं, वहीं अब सरकार कर्मचारी-अधिकारियों के भी वेतन कटौती की तैयारी में है. हालांकि, कर्मचारी-अधिकारियों की वेतन कटौती से पहले सरकार कर्मचारी संगठनों की नाराजगी दूर करने में जुट गई है.

यह भी पढ़ें. भरतपुर सांसद रंजीता कोली की गाड़ी पर आधी रात को पथराव, हमले में घायल सांसद RBM अस्पताल में भर्ती

सूत्रों की मानें तो प्रदेश के 8 लाख कर्मचारियों की वेतन कटौती के प्रस्ताव को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मंजूरी दे दी है लेकिन आदेश जारी करने से पहले मुख्यमंत्री ने वेतन कटौती से कर्मचारियों में नाराजगी ना बढ़े, इसके लिए पहले कर्मचारी नेताओं से चर्चा करना जरूरी समझा है. इसके लिए मुख्य सचिव को आदेश भी दिए गए हैं. सूत्रों की माने तो सरकार की मंशा है कि अधिकारी-कर्मचारियों को विश्वास में लेकर ही वेतन कटौती के आदेश जारी किए जाएं. हालांकि, वेतन कटौती के प्रस्ताव की चर्चा होने के बाद अलग-अलग कर्मचारी संगठनों ने सरकार के इस फैसले के खिलाफ नाराजगी जताना शुरू कर दी थी.

यह भी पढ़ें. सांसद रंजीता कोली पर हमले से भड़की बीजेपी, कहा-कायम हुआ जंगल राज, अब सत्ता में रहने का हक खो चुके गहलोत

कर्मचारी संघों की मानें तो कोरोना काल के वक्त कर्मचारी सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं. किसी भी तरह की आर्थिक मदद के लिए न तो पूर्व में कर्मचारियों ने किसी तरह की कोई आपत्ति जताई थी और ना ही आगे आपत्ति जताएंगे. संगठनों का कहना है कि सरकार को भी कर्मचारियों के बारे में सोचना चाहिए. कर्मचारी लंबे समय से मांग रखते आ रहे हैं और सरकार के साथ हर तरह का सहयोग करते आ रहे हैं. फिर सरकार उनकी जो मांगे उन्हें पूरा क्यों नहीं कर रही है? कर्मचारी महासंघ ने तो यहां तक कह दिया कि वेतन कटौती का निर्णय बिना हमारी राय के भी सरकार कर सकती है लेकिन कर्मचारियों की जो वेतन कटौती की विसंगति चली आ रही है, उस पर भी सरकार को ध्यान देना चाहिए.

कर्मचारी संगठनों की यह प्रमुख मांग

दरअसल कर्मचारी संगठन पिछले कई सालों से लगातार हो रही वेतन कटौती से नाराज हैं. तत्कालीन सरकार ने 30 अक्टूबर 2017 को वेतन कटौती के आदेश जारी किए थे. जिसे कर्मचारी संगठन लगातार वापस लेने की मांग करते आ रहे हैं. कर्मचारी संगठनों का कहना है कि 5 जुलाई 2013 को सरकार ने वेतन बढ़ोतरी का जो आदेश जारी किया था, उसे ही फिर से लागू किया जाए. जिससे कि कर्मचारियों को राहत मिल सके.

कोरोना काल में इस तरह होगी वेतन कटौती

सूत्रों की माने तो कोरोना काल में सरकार ने कर्मचारियों का जो वेतन कटौती का प्रस्ताव तैयार किया है. उसमें सहायक कर्मचारियों का एक दिन, मंत्रालय कर्मचारियों के 2 दिन, अधीनस्थ सेवा कर्मचारियों के 3 दिन और गजेटेड अधिकारियों के 5 दिन की वेतन कटौती का प्रस्ताव तैयार किया है.

जयपुर. वेतन कटौती के आदेश से पहले सरकार कर्मचारी संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक शुक्रवार को बैठक करने वाली थी. ये बैठक स्थगित कर दी गई है. इस बैठक में कर्मचारी और अधिकारियों के वेतन कटौती लेकर सहमति बननी थी.

कोरोना संकट काल में आर्थिक संकट से जूझ रही गहलोत सरकार ने आर्थिक संकट दूर करने के प्रयास शुरू कर दिए हैं. इसके लिए जहां विधायकों-मंत्रियों और नौकरशाहों के वेतन कटौती के आदेश दिए हैं, वहीं अब सरकार कर्मचारी-अधिकारियों के भी वेतन कटौती की तैयारी में है. हालांकि, कर्मचारी-अधिकारियों की वेतन कटौती से पहले सरकार कर्मचारी संगठनों की नाराजगी दूर करने में जुट गई है.

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सूत्रों की मानें तो प्रदेश के 8 लाख कर्मचारियों की वेतन कटौती के प्रस्ताव को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मंजूरी दे दी है लेकिन आदेश जारी करने से पहले मुख्यमंत्री ने वेतन कटौती से कर्मचारियों में नाराजगी ना बढ़े, इसके लिए पहले कर्मचारी नेताओं से चर्चा करना जरूरी समझा है. इसके लिए मुख्य सचिव को आदेश भी दिए गए हैं. सूत्रों की माने तो सरकार की मंशा है कि अधिकारी-कर्मचारियों को विश्वास में लेकर ही वेतन कटौती के आदेश जारी किए जाएं. हालांकि, वेतन कटौती के प्रस्ताव की चर्चा होने के बाद अलग-अलग कर्मचारी संगठनों ने सरकार के इस फैसले के खिलाफ नाराजगी जताना शुरू कर दी थी.

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कर्मचारी संघों की मानें तो कोरोना काल के वक्त कर्मचारी सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं. किसी भी तरह की आर्थिक मदद के लिए न तो पूर्व में कर्मचारियों ने किसी तरह की कोई आपत्ति जताई थी और ना ही आगे आपत्ति जताएंगे. संगठनों का कहना है कि सरकार को भी कर्मचारियों के बारे में सोचना चाहिए. कर्मचारी लंबे समय से मांग रखते आ रहे हैं और सरकार के साथ हर तरह का सहयोग करते आ रहे हैं. फिर सरकार उनकी जो मांगे उन्हें पूरा क्यों नहीं कर रही है? कर्मचारी महासंघ ने तो यहां तक कह दिया कि वेतन कटौती का निर्णय बिना हमारी राय के भी सरकार कर सकती है लेकिन कर्मचारियों की जो वेतन कटौती की विसंगति चली आ रही है, उस पर भी सरकार को ध्यान देना चाहिए.

कर्मचारी संगठनों की यह प्रमुख मांग

दरअसल कर्मचारी संगठन पिछले कई सालों से लगातार हो रही वेतन कटौती से नाराज हैं. तत्कालीन सरकार ने 30 अक्टूबर 2017 को वेतन कटौती के आदेश जारी किए थे. जिसे कर्मचारी संगठन लगातार वापस लेने की मांग करते आ रहे हैं. कर्मचारी संगठनों का कहना है कि 5 जुलाई 2013 को सरकार ने वेतन बढ़ोतरी का जो आदेश जारी किया था, उसे ही फिर से लागू किया जाए. जिससे कि कर्मचारियों को राहत मिल सके.

कोरोना काल में इस तरह होगी वेतन कटौती

सूत्रों की माने तो कोरोना काल में सरकार ने कर्मचारियों का जो वेतन कटौती का प्रस्ताव तैयार किया है. उसमें सहायक कर्मचारियों का एक दिन, मंत्रालय कर्मचारियों के 2 दिन, अधीनस्थ सेवा कर्मचारियों के 3 दिन और गजेटेड अधिकारियों के 5 दिन की वेतन कटौती का प्रस्ताव तैयार किया है.

Last Updated : May 28, 2021, 11:44 AM IST
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