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पशु चिकित्सा कर्मचारी संघ को सरकार की चेतावनी, सस्पेंशन से लेकर बर्खास्तगी तक की होगी कार्रवाई - पशु चिकित्सकों को सरकार की चेतावनी

राजस्थान में लंपी डिजीज के बीच अवकाश पर चल रहे पशु चिकित्सा कर्मियों को पशुपालन शासन सचिव पीसी किशन ने चेतावनी दी है. उन्होंने अवकाश पर गए कर्मचारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की बात कही है.

Etv Bharatलंपी डिजीज के बीच अवकाश गए पशु चिकित्सकों को सरकार की चेतावनी
लंपी डिजीज के बीच अवकाश गए पशु चिकित्सकों को सरकार की चेतावनी
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Published : Aug 31, 2022, 2:22 PM IST

Updated : Aug 31, 2022, 6:24 PM IST

जयपुर. राजस्थान में पशु चिकित्सा कर्मचारी पिछले तीन दिनों से अवकाश पर हैं. सरकार पशु चिकित्सक संघ से समझाइश कर रही है, लेकिन अब तक वार्ता सफल नहीं हो सकी है. इसी बीच सरकार ने पशु चिकित्सा कर्मचारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की बात कही है.

पशुपालन विभाग के शासन सचिव पीसी किशन ने सामूहिक अवकाश पर गए कर्मचारियों को वापस काम पर नहीं लौटने की स्थिति में कार्रवाई करने की बात कही है. साथ ही कहा कि जो कर्मचारी गायों में फैली इस बीमारी के विकट समय में सामूहिक अवकाश पर रहेंगे उनके खिलाफ जो अनुशासनात्मक कार्रवाई होगी, उसमें इन कर्मचारियों के सस्पेंशन से लेकर बर्खास्तगी तक की कार्रवाई शामिल होगी.

शासन सचिव पीसी किशन का बयान

कुछ लोग मिस लीड कर रहे हैं: पीसी किशन ने कहा कि कुछ लोग हैं जो इन लोगों को मिस लीड कर रहे हैं, एलएसडी (लम्पी स्किन डिजीज) चल रहा है उसको कंट्रोल करना अलग बात है और इनकी मांगे पूरी कर, उस पर कार्रवाई करना अलग चीज है. उन्होंने कहा कि हमने कर्मचारियों को बताया था कि जिन 11 बिंदु की मांग वो रख रहे हैं, उसमें विभाग के स्तर पर जो हो सकता था वह किया जा चुका है. इनमें तीन मांग है उसके लिए वित्त विभाग की अनुमति आवश्यक है. उसके लिए प्रशासनिक स्वीकृति के लिए भेजा गया है. जिसे लेकर तारीख कमिट नहीं की जा सकती. लेकिन संभावना है कि वह मांगें भी जल्द ही पूरी हो जाएगी.

पढ़ें:सामूहिक अवकाश पर पशु चिकित्सा कर्मी, 6500 पशु चिकित्सा केंद्रों पर लगा ताला

धमकी देकर अवकाश पर जाना गलत: पीसी किशन ने आगे बताया कि धमकी देकर, सामूहिक अवकाश पर जाना गलत है और विभाग पहले ही लंपी डिजीज के कंट्रोल के लिए सख्ती बरत रहा है. 1 अगस्त से ही सभी कर्मचारियों के अवकाश कैंसिल किए थे, अब जो अवकाश पर गए होंगे और जो परमिशन के बिना अवकाश पर जाएगा उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई होगी. उन्होंने कहा कि उसे लेकर आदेश पहले से जारी हो चुका है. अनुशासनात्मक कार्रवाई में केवल सस्पेंशन नहीं बल्कि बर्खास्तगी भी है और जो सरकार को कॉर्पोरेट नहीं करेगा उसके खिलाफ कठोर अनुशासनात्मक कार्रवाई होगी. सरकार ऐसे समय में अनुशासनहीनता को बर्दाश्त नहीं करेगी. उन्होंने कहा कि लंपी डिजीज से गायों के मरने की संख्या भले ही रोजाना 1500 से घटकर 1100 तक पहुंच गई है, लेकिन अभी भी इस बीमारी से निपटने में 10 दिन और लगेंगे.

गलत काम करने पर परिणाम भुगतना पड़ेगा: उन्होंने कहा कि मैंने इन कर्मचारियों के साथ 3 बार मीटिंग की है, लेकिन उसके बाद भी कोई गलत काम करता है तो उनको परिणाम भुगतना होगा. इसके लिए हमें रेशमा टाइप के आदेशों की आवश्यकता नहीं है. हम अनुशासनात्मक कार्रवाई में ही सख्त कार्रवाई कर सकते हैं. पशुपालन शासन सचिव पीसी किशन ने एक बड़ा आरोप भी एलएसए पर लगाया कि कुछ लोगों ने शरारत करते हुए उनके नंबर सोशल मीडिया पर फॉरवर्ड कर दिए हैं कि पशु चिकित्सक हड़ताल पर हैं और ऐसे में नि:शुल्क चिकित्सा काम के लिए प्रमुख शासन सचिव पीसी किशन को बताया जा सकता है.

पढ़ें: भाकयुमो प्रांतीय अध्यक्ष की चेतावनी, गोवंशों को बचाने के नहीं उठाए कदम तो करेंगे आत्मदाह

पशुपालन शासन सचिव को आए 57 कॉल: पशुपालन शासन सचिव पीसी किशन के मोबाइल नंबर सोशल मीडिया पर डाले गए और इस शरारत के बाद उन्हें 57 फोन कॉल आये. उन्होंने आरोप लगाया कि जानबूझकर शरारत के लिए यह काम किया गया. क्योंकि यदि उनकी नीयत अच्छी होती तो मेरे मोबाइल नंबर की जगह स्टेट कंट्रोल रूम, डिस्टिक कंट्रोल रूम के नंबर सोशल मीडिया पर डाले जाते. उन्होंने कहा कि इस मैसेज के बाद उनके पास 57 कॉल आए ,इन नम्बरों को लेकर एक-एक से बात की गई तो उनमें से 4-5 ही पशुपालक थे, बाकी फर्जी पशुपालक बनकर मुझे कॉल कर रहे थे. उन्होंने कहा कि उनके पास जो 57 फोन आये थे उनमें से पांच पशुपालक थे और 20 सरकारी कर्मचारी ही पशुपालक बन कर फोन कर रहे थे. इन सभी सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई होगी और साथ ही अगर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जरूरत हुई तो FIR भी करेंगे. बाकी बचे लोगों सामान्य लोग हैं. उनके खिलाफ आईटी एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज की जाएगी.

जयपुर. राजस्थान में पशु चिकित्सा कर्मचारी पिछले तीन दिनों से अवकाश पर हैं. सरकार पशु चिकित्सक संघ से समझाइश कर रही है, लेकिन अब तक वार्ता सफल नहीं हो सकी है. इसी बीच सरकार ने पशु चिकित्सा कर्मचारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की बात कही है.

पशुपालन विभाग के शासन सचिव पीसी किशन ने सामूहिक अवकाश पर गए कर्मचारियों को वापस काम पर नहीं लौटने की स्थिति में कार्रवाई करने की बात कही है. साथ ही कहा कि जो कर्मचारी गायों में फैली इस बीमारी के विकट समय में सामूहिक अवकाश पर रहेंगे उनके खिलाफ जो अनुशासनात्मक कार्रवाई होगी, उसमें इन कर्मचारियों के सस्पेंशन से लेकर बर्खास्तगी तक की कार्रवाई शामिल होगी.

शासन सचिव पीसी किशन का बयान

कुछ लोग मिस लीड कर रहे हैं: पीसी किशन ने कहा कि कुछ लोग हैं जो इन लोगों को मिस लीड कर रहे हैं, एलएसडी (लम्पी स्किन डिजीज) चल रहा है उसको कंट्रोल करना अलग बात है और इनकी मांगे पूरी कर, उस पर कार्रवाई करना अलग चीज है. उन्होंने कहा कि हमने कर्मचारियों को बताया था कि जिन 11 बिंदु की मांग वो रख रहे हैं, उसमें विभाग के स्तर पर जो हो सकता था वह किया जा चुका है. इनमें तीन मांग है उसके लिए वित्त विभाग की अनुमति आवश्यक है. उसके लिए प्रशासनिक स्वीकृति के लिए भेजा गया है. जिसे लेकर तारीख कमिट नहीं की जा सकती. लेकिन संभावना है कि वह मांगें भी जल्द ही पूरी हो जाएगी.

पढ़ें:सामूहिक अवकाश पर पशु चिकित्सा कर्मी, 6500 पशु चिकित्सा केंद्रों पर लगा ताला

धमकी देकर अवकाश पर जाना गलत: पीसी किशन ने आगे बताया कि धमकी देकर, सामूहिक अवकाश पर जाना गलत है और विभाग पहले ही लंपी डिजीज के कंट्रोल के लिए सख्ती बरत रहा है. 1 अगस्त से ही सभी कर्मचारियों के अवकाश कैंसिल किए थे, अब जो अवकाश पर गए होंगे और जो परमिशन के बिना अवकाश पर जाएगा उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई होगी. उन्होंने कहा कि उसे लेकर आदेश पहले से जारी हो चुका है. अनुशासनात्मक कार्रवाई में केवल सस्पेंशन नहीं बल्कि बर्खास्तगी भी है और जो सरकार को कॉर्पोरेट नहीं करेगा उसके खिलाफ कठोर अनुशासनात्मक कार्रवाई होगी. सरकार ऐसे समय में अनुशासनहीनता को बर्दाश्त नहीं करेगी. उन्होंने कहा कि लंपी डिजीज से गायों के मरने की संख्या भले ही रोजाना 1500 से घटकर 1100 तक पहुंच गई है, लेकिन अभी भी इस बीमारी से निपटने में 10 दिन और लगेंगे.

गलत काम करने पर परिणाम भुगतना पड़ेगा: उन्होंने कहा कि मैंने इन कर्मचारियों के साथ 3 बार मीटिंग की है, लेकिन उसके बाद भी कोई गलत काम करता है तो उनको परिणाम भुगतना होगा. इसके लिए हमें रेशमा टाइप के आदेशों की आवश्यकता नहीं है. हम अनुशासनात्मक कार्रवाई में ही सख्त कार्रवाई कर सकते हैं. पशुपालन शासन सचिव पीसी किशन ने एक बड़ा आरोप भी एलएसए पर लगाया कि कुछ लोगों ने शरारत करते हुए उनके नंबर सोशल मीडिया पर फॉरवर्ड कर दिए हैं कि पशु चिकित्सक हड़ताल पर हैं और ऐसे में नि:शुल्क चिकित्सा काम के लिए प्रमुख शासन सचिव पीसी किशन को बताया जा सकता है.

पढ़ें: भाकयुमो प्रांतीय अध्यक्ष की चेतावनी, गोवंशों को बचाने के नहीं उठाए कदम तो करेंगे आत्मदाह

पशुपालन शासन सचिव को आए 57 कॉल: पशुपालन शासन सचिव पीसी किशन के मोबाइल नंबर सोशल मीडिया पर डाले गए और इस शरारत के बाद उन्हें 57 फोन कॉल आये. उन्होंने आरोप लगाया कि जानबूझकर शरारत के लिए यह काम किया गया. क्योंकि यदि उनकी नीयत अच्छी होती तो मेरे मोबाइल नंबर की जगह स्टेट कंट्रोल रूम, डिस्टिक कंट्रोल रूम के नंबर सोशल मीडिया पर डाले जाते. उन्होंने कहा कि इस मैसेज के बाद उनके पास 57 कॉल आए ,इन नम्बरों को लेकर एक-एक से बात की गई तो उनमें से 4-5 ही पशुपालक थे, बाकी फर्जी पशुपालक बनकर मुझे कॉल कर रहे थे. उन्होंने कहा कि उनके पास जो 57 फोन आये थे उनमें से पांच पशुपालक थे और 20 सरकारी कर्मचारी ही पशुपालक बन कर फोन कर रहे थे. इन सभी सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई होगी और साथ ही अगर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जरूरत हुई तो FIR भी करेंगे. बाकी बचे लोगों सामान्य लोग हैं. उनके खिलाफ आईटी एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज की जाएगी.

Last Updated : Aug 31, 2022, 6:24 PM IST
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