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Gehlot on Third Child of Employee : गोद दी हुई संतान भी मानी जाएगी तीसरी संतान

गहलोत सरकार (Gehlot Government) ने सरकारी कर्मचारियों की तीसरी संतान के लिए स्पष्टीकरण दिया है. सरकार ने कहा है कि गोद दी हुई संतान भी तीसरी संतान के रूप में ही गिनी जाएगी (adopted child as third Child).

Gehlot Gov two child policy, Rajasthan news
Gehlot Government
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Published : Dec 27, 2021, 9:46 PM IST

जयपुर. सरकारी कर्मचारियों की तीसरी संतान को लेकर गहलोत सरकार ने स्पष्ट कर दिया गया है कि दत्तक दी हुई संतान भी तीसरी संतान के रूप में ही गिनी जाएगी. हालांकि सरकार ने यह भी स्पष्ट कर दिया की दत्तक ली हुई संतान तीसरी संतान के रूप में नहीं गिनी जाएगी.

कार्मिक विभाग में लगातार इस बात को लेकर शिकायतें आ रही थी कि 1 जून 2002 के बाद अगर किसी सरकारी कर्मचारी के तीसरी संतान हो जाती है तो वह सरकारी लाभ लेने के लिए अपनी संतान को दत्तक संतान के रूप में किसी और को सौंप देते थे. इन शिकायतों के बीच विभाग ने स्पष्ट कर दिया कि अगर किसी सरकारी कर्मचारी के 1 जून 2002 के बाद तीसरी संतान होती है और वह उसे किसी को दत्तक के रूप में भी दे देता है, तब भी दत्तक दी हुई संतान कर्मचारी के कुल संतानों में गिनी जाएगी (Gehlot Gov two child policy). हालांकि सरकार ने दत्तक ली हुई संतान को लेकर भी स्पष्ट कर दिया कि दत्तक ली गई संतान तीसरी संतान के रूप में गिनी नहीं जाएगी.

यह भी पढ़ें. Maternity Leave for Rajasthan Gov. Employees : महिला कर्मचारियों को सौगात, सरकारी नौकरी से पूर्व संतान होने पर भी मिलेगा मातृत्व अवकाश

आदेश में स्पष्ट किया गया है कि सरकार ने यह प्रावधान जनसंख्या नियंत्रण को लेकर लिया गया था. आदेश में यह भी कहा कि किसी भी अनाथ आश्रम से या किसी भी परिवारिक सदस्य से दत्तक संतान लेने से जनसंख्या वृद्धि नहीं हो रही है. ऐसे में उसकी संख्या कर्मचारी की कुल संतानों की संख्या में नहीं गिना जाएगा.

Gehlot Gov two child policy, Rajasthan news
स्पष्टीकरण की कॉपी

क्या है प्रावधान

1 जून 2002 के बाद अगर किसी भी सरकारी कर्मचारी के तीन संतान हो जाती है तो उसे पांच साल तक किसी तरह का प्रमोशन नहीं मिलेगा.

Gehlot Gov two child policy, Rajasthan news
स्पष्टीकरण की कॉपी

तीसरी संतान को दे देते थे दत्तक

सरकार की ओर से तीसरी संतान को लेकर की गई सख्ती के बाद सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों ने बीच का रास्ता निकालते हुए. अपनी एक संतान को दत्तक संतान के रूप में घोषित कर देते थे. जिससे किसी भी कर्मचारी या अधिकारी को मिलने वाले लाभ में कटौती नहीं हो. इस तरह की शिकायतें लगातार कार्मिक विभाग के पास पहुंच रही थी. जिसके बाद सरकार ने तीसरे संतान को लेकर अपना स्पष्टीकरण जारी कर दिया है.

जयपुर. सरकारी कर्मचारियों की तीसरी संतान को लेकर गहलोत सरकार ने स्पष्ट कर दिया गया है कि दत्तक दी हुई संतान भी तीसरी संतान के रूप में ही गिनी जाएगी. हालांकि सरकार ने यह भी स्पष्ट कर दिया की दत्तक ली हुई संतान तीसरी संतान के रूप में नहीं गिनी जाएगी.

कार्मिक विभाग में लगातार इस बात को लेकर शिकायतें आ रही थी कि 1 जून 2002 के बाद अगर किसी सरकारी कर्मचारी के तीसरी संतान हो जाती है तो वह सरकारी लाभ लेने के लिए अपनी संतान को दत्तक संतान के रूप में किसी और को सौंप देते थे. इन शिकायतों के बीच विभाग ने स्पष्ट कर दिया कि अगर किसी सरकारी कर्मचारी के 1 जून 2002 के बाद तीसरी संतान होती है और वह उसे किसी को दत्तक के रूप में भी दे देता है, तब भी दत्तक दी हुई संतान कर्मचारी के कुल संतानों में गिनी जाएगी (Gehlot Gov two child policy). हालांकि सरकार ने दत्तक ली हुई संतान को लेकर भी स्पष्ट कर दिया कि दत्तक ली गई संतान तीसरी संतान के रूप में गिनी नहीं जाएगी.

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आदेश में स्पष्ट किया गया है कि सरकार ने यह प्रावधान जनसंख्या नियंत्रण को लेकर लिया गया था. आदेश में यह भी कहा कि किसी भी अनाथ आश्रम से या किसी भी परिवारिक सदस्य से दत्तक संतान लेने से जनसंख्या वृद्धि नहीं हो रही है. ऐसे में उसकी संख्या कर्मचारी की कुल संतानों की संख्या में नहीं गिना जाएगा.

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क्या है प्रावधान

1 जून 2002 के बाद अगर किसी भी सरकारी कर्मचारी के तीन संतान हो जाती है तो उसे पांच साल तक किसी तरह का प्रमोशन नहीं मिलेगा.

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तीसरी संतान को दे देते थे दत्तक

सरकार की ओर से तीसरी संतान को लेकर की गई सख्ती के बाद सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों ने बीच का रास्ता निकालते हुए. अपनी एक संतान को दत्तक संतान के रूप में घोषित कर देते थे. जिससे किसी भी कर्मचारी या अधिकारी को मिलने वाले लाभ में कटौती नहीं हो. इस तरह की शिकायतें लगातार कार्मिक विभाग के पास पहुंच रही थी. जिसके बाद सरकार ने तीसरे संतान को लेकर अपना स्पष्टीकरण जारी कर दिया है.

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