ETV Bharat / city

प्रदेश में सौर, पवन और हाइब्रिड ऊर्जा नीति 2019 जारी, 30 हजार मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य

राजस्थान में पवन और सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश की गहलोत सरकार ने नई नीति जारी की है. जिसके तहत सौर ऊर्जा नीति 2019 और राजस्थान भवन हाइब्रिड ऊर्जा नीति 2019 जारी की है. सरकार ने यह नीति बिड़ला सभागार में हुए एक समारोह में बताई है.

production of wind and solar energy, पवन और सौर ऊर्जा की नई नीति
गहलोत सरकार की नई ऊर्जा नीति
author img

By

Published : Dec 19, 2019, 3:32 PM IST

Updated : Dec 19, 2019, 10:31 PM IST

जयपुर. प्रदेश में सौर और पवन ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश की गहलोत सरकार ने नई नीति जारी कर दी है. बिड़ला सभागार में हुए समारोह में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और ऊर्जा मंत्री डॉक्टर बी. डी. कल्ला ने अन्य मंत्रिमंडल के सदस्यों की मौजूदगी में राजस्थान सौर ऊर्जा नीति 2019 और राजस्थान भवन हाइब्रिड ऊर्जा नीति 2019 जारी की है.

गहलोत सरकार की नई ऊर्जा नीति

इस मौके पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रदेश को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की बात कही. मुख्यमंत्री ने इस दौरान कहा कि जब वे पहली बार राजस्थान के मुख्यमंत्री बने थे, तब प्रदेश में महज 2 मेगावाट पवन ऊर्जा का उत्पादन शुरू किया था और आज राजस्थान में 4 हजार मेगावाट पवन ऊर्जा का उत्पादन हो रहा है.

ये पढ़ेंः Congress के सियासी षड्यंत्र को पंचायत चुनाव में बीजेपी का कार्यकर्ता करेगा फेल : पूनिया

वहीं, कार्यक्रम को संबोधित करते हुए ऊर्जा मंत्री डॉ. बी. डी. कल्ला ने कहा कि राजस्थान में सूर्य देव की मेहरबानी है. उन्होंने कहा कि देश में सर्वाधिक सौर ऊर्जा की संभावना राजस्थान में ही है. उनके अनुसार राजस्थान में 1 लाख 42 हजार मेगावाट सोलर एनर्जी पैदा की जा सकती है. वहीं 1 लाख 27 हजार मेगावाट पवन ऊर्जा के उत्पादन राजस्थान में हो सकता है.

ऊर्जा मंत्री के अनुसार राजस्थान में अभी 4650 मेगा वाट सौर ऊर्जा का उत्पादन हो रहा है लेकिन, नई नीति के तहत इसे 30 हजार मेगावाट करने का लक्ष्य है. उनके अनुसार आने वाले दिनों में सभी सरकारी भवनों पर भी सोलर प्लांट लगाने की योजना है. इस दौरान ऊर्जा मंत्री ने सौर और पवन ऊर्जा की खासियत भी गिनाई. नई नीति में प्रदेश में सौर और पवन ऊर्जा के क्षेत्र में निवेश और प्लांट लगाने वाले उद्यमियों को कई रियायतें दी गई हैं.

नई नीति में दी गई रियायतें

  • सौर पवन ऊर्जा ब्रांड के लिए निजी कृषि भूमि के भू रूपांतरण की बाध्यता हटाई.
  • नई नीति के तहत सीलिंग लिमिट में भी दी गई छूट.
  • प्रसारण और वितरण शुल्क में छूट.
  • वर्ष 2023 तक स्थापित होने वाले या 500 मेगावाट क्षमता वाले सौर पवन व हाइब्रीड प्लांट के लिए प्रसारण वितरण शुल्क में 7 वर्ष तक 50 फीसदी की छूट.
  • अक्षय ऊर्जा आधारित इलेक्ट्रिक व्हीकल चार्जिंग स्टेशन प्रसारण और वितरण शुल्क में 10 वर्ष तक शत-प्रतिशत छूट.
  • सौर पवन हाइब्रिड ऊर्जा संयंत्रों को विद्युत शुल्क में पूर्ण छूट.
  • सौर और पवन संयंत्र उपकरण निर्माताओं को 100 प्रतिशत स्टांप शुल्क में छूट.
  • सौर और पवन ऊर्जा संयंत्र व उत्पादन करने वाले उद्यमियों को 50 फिसदी रियायती दर पर भूमि आवंटन.

जयपुर. प्रदेश में सौर और पवन ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश की गहलोत सरकार ने नई नीति जारी कर दी है. बिड़ला सभागार में हुए समारोह में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और ऊर्जा मंत्री डॉक्टर बी. डी. कल्ला ने अन्य मंत्रिमंडल के सदस्यों की मौजूदगी में राजस्थान सौर ऊर्जा नीति 2019 और राजस्थान भवन हाइब्रिड ऊर्जा नीति 2019 जारी की है.

गहलोत सरकार की नई ऊर्जा नीति

इस मौके पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रदेश को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की बात कही. मुख्यमंत्री ने इस दौरान कहा कि जब वे पहली बार राजस्थान के मुख्यमंत्री बने थे, तब प्रदेश में महज 2 मेगावाट पवन ऊर्जा का उत्पादन शुरू किया था और आज राजस्थान में 4 हजार मेगावाट पवन ऊर्जा का उत्पादन हो रहा है.

ये पढ़ेंः Congress के सियासी षड्यंत्र को पंचायत चुनाव में बीजेपी का कार्यकर्ता करेगा फेल : पूनिया

वहीं, कार्यक्रम को संबोधित करते हुए ऊर्जा मंत्री डॉ. बी. डी. कल्ला ने कहा कि राजस्थान में सूर्य देव की मेहरबानी है. उन्होंने कहा कि देश में सर्वाधिक सौर ऊर्जा की संभावना राजस्थान में ही है. उनके अनुसार राजस्थान में 1 लाख 42 हजार मेगावाट सोलर एनर्जी पैदा की जा सकती है. वहीं 1 लाख 27 हजार मेगावाट पवन ऊर्जा के उत्पादन राजस्थान में हो सकता है.

ऊर्जा मंत्री के अनुसार राजस्थान में अभी 4650 मेगा वाट सौर ऊर्जा का उत्पादन हो रहा है लेकिन, नई नीति के तहत इसे 30 हजार मेगावाट करने का लक्ष्य है. उनके अनुसार आने वाले दिनों में सभी सरकारी भवनों पर भी सोलर प्लांट लगाने की योजना है. इस दौरान ऊर्जा मंत्री ने सौर और पवन ऊर्जा की खासियत भी गिनाई. नई नीति में प्रदेश में सौर और पवन ऊर्जा के क्षेत्र में निवेश और प्लांट लगाने वाले उद्यमियों को कई रियायतें दी गई हैं.

नई नीति में दी गई रियायतें

  • सौर पवन ऊर्जा ब्रांड के लिए निजी कृषि भूमि के भू रूपांतरण की बाध्यता हटाई.
  • नई नीति के तहत सीलिंग लिमिट में भी दी गई छूट.
  • प्रसारण और वितरण शुल्क में छूट.
  • वर्ष 2023 तक स्थापित होने वाले या 500 मेगावाट क्षमता वाले सौर पवन व हाइब्रीड प्लांट के लिए प्रसारण वितरण शुल्क में 7 वर्ष तक 50 फीसदी की छूट.
  • अक्षय ऊर्जा आधारित इलेक्ट्रिक व्हीकल चार्जिंग स्टेशन प्रसारण और वितरण शुल्क में 10 वर्ष तक शत-प्रतिशत छूट.
  • सौर पवन हाइब्रिड ऊर्जा संयंत्रों को विद्युत शुल्क में पूर्ण छूट.
  • सौर और पवन संयंत्र उपकरण निर्माताओं को 100 प्रतिशत स्टांप शुल्क में छूट.
  • सौर और पवन ऊर्जा संयंत्र व उत्पादन करने वाले उद्यमियों को 50 फिसदी रियायती दर पर भूमि आवंटन.
Intro:राजस्थान सौर ऊर्जा व पवन और हाइब्रिड ऊर्जा नीति 2019 जारी

बिरला सभागार में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और ऊर्जा मंत्री ने जारी की नीति

नीति के तहत 30,000 मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य

नीति जारी होने से पहले ही रिलायंस ने दिया सरकार को ऑफर 2000 मेगावाट का लगाएंगे सोलर प्लांट- अशोक गहलोत

जयपुर (इंट्रो)
प्रदेश में सौर व पवन ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश की गहलोत सरकार ने नई नीति जारी कर दी है। बिड़ला सभागार में हुए समारोह में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और ऊर्जा मंत्री डॉक्टर बी डी कल्ला ने अन्य मंत्रिमंडल के सदस्यों की मौजूदगी में राजस्थान सौर ऊर्जा नीति 2019 व राजस्थान भवन हाइब्रिड ऊर्जा नीति 2019 जारी की।

इस मौके पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने यहां प्रदेश को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की बात कही । मुख्यमंत्री ने इस दौरान अभी कहां कि जब वे पहली बार राजस्थान के मुख्यमंत्री बने थे तब प्रदेश में महज 2 मेगावाट पवन ऊर्जा का उत्पादन शुरू किया था और आज राजस्थान में 4000 मेगावाट पवन ऊर्जा का उत्पादन हो रहा है।

(बाईट - अशोक गहलोत,मुख्यमंत्री)

वही कार्यक्रम को संबोधित करते हुए ऊर्जा मंत्री डॉ बी डी कल्ला ने कहा कि राजस्थान में सूर्य देव की मेहरबानी है और सोलर रेडिएशन की बात करें तो देश में सर्वाधिक सौर ऊर्जा की संभावना राजस्थान में ही है । उनके अनुसार राजस्थान में 1 लाख 42 हजार मेगावाट सोलर एनर्जी पैदा की जा सकती है वही 1 लाख 27000 मेगावाट पवन ऊर्जा के उत्पादन राजस्थान में हो सकता है । ऊर्जा मंत्री के अनुसार राजस्थान में अभी 4650 मेगा वाट सौर ऊर्जा का उत्पादन हो रहा है लेकिन नई नीति के तहत इसे 30 हज़ार मेगावाट करने का लक्ष्य है। उनके अनुसार आने वाले दिनों में सभी सरकारी भवनों पर भी सोलर प्लांट लगाने की योजना है। इस दौरान ऊर्जा मंत्री ने नई सौर व पवन ऊर्जा की खासियत भी गिनाई।

(बाईट - डॉ बीड़ी कल्ला,ऊर्जा मंत्री)

नई नीति में प्रदेश में सौर और पवन ऊर्जा के क्षेत्र में निवेश और प्लांट लगाने वाले उद्यमियों को कई रियायतें दी गई है। नई नीति में दी गई रियायतें इस प्रकार है....

- सौर पवन ऊर्जा ब्रांड के लिए निजी कृषि भूमि के भू रूपांतरण की बाध्यता हटाई
- नई नीति के तहत सीलिंग लिमिट में भी दी गई छूट
- प्रसारण व वितरण शुल्क में छूट
- वर्ष 2023 तक स्थापित होने वाले या 500 मेगावाट क्षमता वाले सौर पवन व हाइब्रीड प्लांट के लिए प्रसारण वितरण शुल्क में 7 वर्ष तक 50% की छूट
- अक्षय ऊर्जा आधारित इलेक्ट्रिक व्हीकल चार्जिंग स्टेशन प्रसारण व वितरण शुल्क में 10 वर्ष तक शत-प्रतिशत छूट
- सौर पवन हाइब्रिड ऊर्जा संयंत्रों को विद्युत शुल्क में पूर्ण छूट
- सौर व पवन संयंत्र उपकरण निर्माताओं को 100 प्रतिशत स्टांप शुल्क में छूट
- सौर व पवन ऊर्जा संयंत्र व उत्पादन करने वाले उद्यमियों को 50% रियायती दर पर भूमि आवंटन

(पीयूष शर्मा,etv भारत,जयपुर)

(Note- इस खबर के विजुअल और मुख्यमंत्री व ऊर्जा मंत्री की बाइट लाइव यू से ग्रेप कराई गई है कृपा कर उसका इस्तेमाल कर वॉइस ओवर कर खबर लगवाएं।)





Body:(पीयूष शर्मा,etv भारत,जयपुर)

(Note- इस खबर के विजुअल और मुख्यमंत्री व ऊर्जा मंत्री की बाइट लाइव यू से ग्रेप कराई गई है कृपा कर उसका इस्तेमाल कर वॉइस ओवर कर खबर लगवाएं।)





Conclusion:
Last Updated : Dec 19, 2019, 10:31 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.