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कमेटियां या झुनझुना : गहलोत सरकार ने बनाई दो दर्जन से ज्यादा कमेटियां, महत्वपूर्ण कमेटियों का काम अभी भी अधूरा - rajasthan workers movement

राजस्थान सरकार कमेटियों के नाम पर झुनझुना पकड़ा रही है. गहलोत सरकार ने पौने तीन साल में दो दर्जन से ज्यादा कमेटियां बनाई, लेकिन 90 फीसदी महत्वपूर्ण कमेटियों का काम अभी तक भी अधूरा ही है.

गहलोत सरकार ने बनाई दो दर्जन से ज्यादा कमेटियां
गहलोत सरकार ने बनाई दो दर्जन से ज्यादा कमेटियां
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Published : Oct 31, 2021, 4:51 PM IST

Updated : Oct 31, 2021, 7:14 PM IST

जयपुर. राजस्थान की गहलोत सरकार ने सत्ता में आने से पहले कई वादे और घोषणाएं की. जिसमें संविदा कर्मचारियों को नियमित करने की बात हो या फिर पंचायत सहायकों के नियमितीकरण की बात, या फिर बेरोजगारों की अटकी हुई भर्तियों के निस्तारण हों या कर्मचारियों की मांगों का समाधान. सत्ता में आने के साथ ही इन घोषणाओं को सरकारी दस्तावेज भी बनाया गया.

खास बात ये है कि घोषणाओं को पूरा करने के लिए अलग-अलग दो दर्जन से ज्यादा कमेटियां भी बनाई गई. लेकिन सरकार बनने के पौने तीन साल बाद भी 90 फीसदी महत्वपूर्ण कमेटियों ने काम पूरा नहीं किया. जयपुर के शहीद स्मारक पर पिछले 15 दिन से अलग अलग संगठनों की और से धरने - प्रदर्शन किये जा रहे हैं. एक छोर पर संविदा कर्मचारी हैं तो दूसरे छोर पर बेरोजगार. तीसरे छोर पर कर्मचारी संगठन हैं.

आंदोलन रोकने के लिए सरकारें बनाती हैं कमेटियां

इन सब की मांगें भले ही अलग-अलग हो सकती हैं. लेकिन नाराजगी एक जैसी है. वो है प्रदेश की गहलोत सरकार की वादा खिलाफी. आरोप है कि गहलोत सरकार की कथनी और करनी में अंतर आ गया है. इसकी वजह है सरकार बनने के बाद बनी दो दर्जन से ज्यादा कमेटियों का अधूरा काम. सत्ता में आने से पहले गहलोत सरकार ने अपना घोषणा पत्र जारी किया, जिसे सत्ता में आने के साथ सरकारी दस्तावेज बनाया गया. इस घोषणा पत्र की क्रियान्विति को लेकर कमेटियों का गठन भी किया. इन पौने तीन साल में एक एक बाद अलग अलग दो दर्जन से ज्यादा कमेटियों का गठन किया गया, लेकिन 90 फीसदी महत्वपूर्ण कमेटियों का काम अभी भी अधूरा है. जिसकी वजह है प्रदेश भर के अलग अलग वर्ग को अब सरकार के खिलाफ सडकों पर उतरना पड़ रहा है.

गहलोत सरकार ने बनाई दो दर्जन से ज्यादा कमेटियां
महत्वपूर्ण कमेटियों का काम अधूरा

ऐसा नहीं है कि सरकार ने सभी मंत्रिमंडल समिति या उपसमिति का गठन बेरोजगारों और कर्मचारियों की मांगों को लेकर बनाया हो. इसके अलावा परिस्थितियों से उपजे हालातों और घटनाओं के लिए भी कमेटियों का गठन किया गया था.

इस तरह से बनी कमेटियां

राज्य सरकार की ओर से किसानों को जन घोषणा पत्र के अनुसार फसली ऋण माफी के लिए मंत्री शांति धारीवाल की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल कमेटी का गठन किया गया था. इसी तरह संविदा कर्मियों समस्याओं के निराकरण के लिए मंत्री बीडी कल्ला की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल कमेटी का गठन किया गया. मेहरानगढ़ दुर्ग चामुंडा माता मंदिर हादसे की जांच के लिए मंत्री बीडी कल्ला के अध्यक्षता में मंत्रिमंडल समिति का गठन किया गया. प्रदेश में ऊंटों के संरक्षण और संवर्धन के लिए विशेष नीति बनाने के लिए पशुपालन मंत्री के अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया गया. राजकीय भवनों चिकित्सालय विद्यालयों के नामकरण के लिए बीडी कल्ला के अध्यक्षता में मंत्रिमंडल समिति का गठन किया गया.

गहलोत सरकार ने बनाई दो दर्जन से ज्यादा कमेटियां
विरोध से बचने का तरीका, कमेटी बनाओ

इसके अलावा ग्राम पंचायत और पंचायत समितियों के पुनर्गठन के लिए सचिन पायलट की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल उपसमिति का गठन किया गया था. अधिवक्ताओं की ओर से उठाए गए मुद्दों को लेकर शांति धारीवाल की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल सब कमेटी का गठन हुआ था. परिवहन विभाग में की गई घोषणाओं को लेकर यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल उपसमिति का गठन किया. घोषणापत्र के सरकारी दस्तावेज बनने के बाद निर्णय स्वीकृति के लिए मंत्र विधि मंत्री शांति धारीवाल की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल समिति का गठन किया गया. शिक्षकों की भर्ती को लेकर मंत्री बीडी कल्ला की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल समिति का गठन किया गया. नजूल संपत्तियों के शीघ्र निस्तारण के लिए यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल उपसमिति का गठन किया गया.

पढ़ें- Indira Gandhi Death Anniversary: पीसीसी में हुई पुष्पांजलि और सर्वधर्म प्रार्थना, CM बोले- आधुनिक भारत कांग्रेस की देन

पूर्ववर्ती सरकार के 6 साल के कामकाज की समीक्षा के लिए यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल कमेटी का गठन किया गया. गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति से हुए समझौते के बिंदु की प्रगति की समीक्षा के लिए मंत्र बीडी कल्ला के अध्यक्षता में मंत्रिमंडल कमेटी का गठन किया गया. रिफाइनरी की नियमित समीक्षा के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया गया. जनसुनवाई को सुदृढ़ और प्रभावी बनाने के लिए सुझाव देने के लिए मंत्री बीडी कल्ला की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल समिति का गठन किया गया. राजस्थान बेरोजगार एकीकृत महासंघ की मांगों के संबंध में विचार विमर्श के लिये मंत्री बीडी कल्ला के अध्यक्षता में मंत्रिमंडल समिति का गठन किया गया.

साथ ही जिला और राज्य स्तरीय सहकारी समितियों के समक्ष आ रही समस्याओं के समाधान के लिए परसादी लाल मीणा की अध्यक्षता में समिति का गठन किया गया. कर्मचारियों की मांगों और वेतन विसंगति सहित अन्य मामलों को लेकर कमेटी और राज्यपाल अभिभाषण के लिए भी कमेटी का गठन किया गया था.

गहलोत सरकार ने बनाई दो दर्जन से ज्यादा कमेटियां
कमेटियों पर कमेटी बनी

मीटिंग-दर-मीटिंग चली, लेकिन रिपोर्ट तैयार नहीं

संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण को लेकर बनाई गई कमेटी की कई बार मीटिंग हो चुकी है लेकिन काम अभी भी पूरा नहीं हुआ है. इसी तरह बेरोजगारों की मांगों को लेकर बनी कमेटी ने भी चार बार बैठक कर सुझाव लिए लेकिन रिपोर्ट अभी तक तैयार नहीं की है. इसके अलावा कर्मचारियों की मांगों को लेकर बनी खेमराज कमेटी ने भी कर्मचारियों से सुझाव और मांग पत्र लिया लेकिन अभी तक की रिपोर्ट तैयार नहीं की है. उधर, सामंत कमेटी ने अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंप दी लेकिन उसे अब तक सार्वजनिक नहीं किया गया है.

जन घोषणा पत्र की क्रियान्वित को लेकर बनी कमेटी 7 बार से ज्यादा बैठक कर चुकी है लेकिन उसकी रिपोर्ट अभी तक तैयार नहीं हुई है. किसानों की लोन माफी को लेकर बनी कमेटी की रिपोर्ट भी विवादों में रही, गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के समझौते को कमेटी अभी तक पूरे तरीके से लागू नहीं कर पाई है. जन सुनवाई को लेकर बनी कमेटी अभी तक अपने मापदंड से काम नहीं कर पाई है, तो वहीं शिक्षक भर्ती को लेकर बनी कमेटी का विवाद अभी भी बरकरार है. ऐसी कई कमेटियां हैं जिनकी रिपोर्ट तैयार होने का इंतजार किया जा रहा है.

गहलोत सरकार ने बनाई दो दर्जन से ज्यादा कमेटियां
रीट आंदोलनकारी

क्या कमेटियों के नाम पर मिला झुनझुना

गहलोत सरकार के पौने तीन साल में बनी दो दर्जन से ज्यादा कमेटियों ने मीटिंग दर मीटिंग की हैं. ऐसे में राहत की उम्मीद लगाए बैठे अलग अलग वर्ग को लगता है कि सरकार सिर्फ और सिर्फ कमेटियों के नाम पर झुनझुना दिया जा रहा है. कर्मचारी नेता गजेंद्र सिंह कहते हैं कि सत्ता में आने से पहले कांग्रेस ने पहले वोट के लिए कर्मचारियों से वादे किये, सत्ता में आये तो कर्मचारियों के आंदोलन का सामना नहीं करना पड़े इसके लिए कमेटियां बना दी.

कमेटियां सिर्फ बैठक करके सुझाव लेती हैं. नतीजा सामने नहीं आता, कर्मचारियों की मांगों पर पूरवर्ती वसुंधरा सरकार ने सामंत कमेटी बनाई थी. उस कमेटी कांग्रेस सरकार में अपनी रिपोर्ट दी. लेकिन आज तक सामंत कमेटी ने क्या सुझाव दिए इसको सार्वजनिक नहीं किया गया और उसके बाद फिर एक और अधिकारी की अध्यक्षता में कमेटी बना दी गई. मतलब साफ़ है सरकार आंदोलनों से बचने और ठंडे छींटे देने के लिए कमेटियों का गठन करती है.

गहलोत सरकार ने बनाई दो दर्जन से ज्यादा कमेटियां
हर सरकार में बनी हैं कमेटियां

ऐसा नहीं हैं कि गहलोत सरकार ने ही कमेटियों के जरिये नाराज लोगों साधने की कोशिश की हो. पूरवर्ती वसुंधरा सरकार के वक्त भी कमेटियां बनाई गई थी और उन कमेटियों ने भी मीटिंग दर मीटिंग कर पांच साल का कार्यकाल निकाला. लेकिन गहलोत सरकार ने चुनावी घोषणा पत्र को सरकारी दस्तावेज बनाने के बाद जवाबदेही ज्यादा बन गई. इसलिए अलग अलग बिंदुओं के लिए अलग अलग कमेटियों का गठन किया गया और समय सीमा में समाधान की भी बात की गई. लेकिन 90 फीसदी महत्वपूर्ण कमेटियों ने अपनी रिपोर्ट तैयार नहीं की है. जिससे ऐसा लगता है कि सरकारें कमेटियों का स्तेमाल झुनझुने के रूप में करती हैं.

जयपुर. राजस्थान की गहलोत सरकार ने सत्ता में आने से पहले कई वादे और घोषणाएं की. जिसमें संविदा कर्मचारियों को नियमित करने की बात हो या फिर पंचायत सहायकों के नियमितीकरण की बात, या फिर बेरोजगारों की अटकी हुई भर्तियों के निस्तारण हों या कर्मचारियों की मांगों का समाधान. सत्ता में आने के साथ ही इन घोषणाओं को सरकारी दस्तावेज भी बनाया गया.

खास बात ये है कि घोषणाओं को पूरा करने के लिए अलग-अलग दो दर्जन से ज्यादा कमेटियां भी बनाई गई. लेकिन सरकार बनने के पौने तीन साल बाद भी 90 फीसदी महत्वपूर्ण कमेटियों ने काम पूरा नहीं किया. जयपुर के शहीद स्मारक पर पिछले 15 दिन से अलग अलग संगठनों की और से धरने - प्रदर्शन किये जा रहे हैं. एक छोर पर संविदा कर्मचारी हैं तो दूसरे छोर पर बेरोजगार. तीसरे छोर पर कर्मचारी संगठन हैं.

आंदोलन रोकने के लिए सरकारें बनाती हैं कमेटियां

इन सब की मांगें भले ही अलग-अलग हो सकती हैं. लेकिन नाराजगी एक जैसी है. वो है प्रदेश की गहलोत सरकार की वादा खिलाफी. आरोप है कि गहलोत सरकार की कथनी और करनी में अंतर आ गया है. इसकी वजह है सरकार बनने के बाद बनी दो दर्जन से ज्यादा कमेटियों का अधूरा काम. सत्ता में आने से पहले गहलोत सरकार ने अपना घोषणा पत्र जारी किया, जिसे सत्ता में आने के साथ सरकारी दस्तावेज बनाया गया. इस घोषणा पत्र की क्रियान्विति को लेकर कमेटियों का गठन भी किया. इन पौने तीन साल में एक एक बाद अलग अलग दो दर्जन से ज्यादा कमेटियों का गठन किया गया, लेकिन 90 फीसदी महत्वपूर्ण कमेटियों का काम अभी भी अधूरा है. जिसकी वजह है प्रदेश भर के अलग अलग वर्ग को अब सरकार के खिलाफ सडकों पर उतरना पड़ रहा है.

गहलोत सरकार ने बनाई दो दर्जन से ज्यादा कमेटियां
महत्वपूर्ण कमेटियों का काम अधूरा

ऐसा नहीं है कि सरकार ने सभी मंत्रिमंडल समिति या उपसमिति का गठन बेरोजगारों और कर्मचारियों की मांगों को लेकर बनाया हो. इसके अलावा परिस्थितियों से उपजे हालातों और घटनाओं के लिए भी कमेटियों का गठन किया गया था.

इस तरह से बनी कमेटियां

राज्य सरकार की ओर से किसानों को जन घोषणा पत्र के अनुसार फसली ऋण माफी के लिए मंत्री शांति धारीवाल की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल कमेटी का गठन किया गया था. इसी तरह संविदा कर्मियों समस्याओं के निराकरण के लिए मंत्री बीडी कल्ला की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल कमेटी का गठन किया गया. मेहरानगढ़ दुर्ग चामुंडा माता मंदिर हादसे की जांच के लिए मंत्री बीडी कल्ला के अध्यक्षता में मंत्रिमंडल समिति का गठन किया गया. प्रदेश में ऊंटों के संरक्षण और संवर्धन के लिए विशेष नीति बनाने के लिए पशुपालन मंत्री के अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया गया. राजकीय भवनों चिकित्सालय विद्यालयों के नामकरण के लिए बीडी कल्ला के अध्यक्षता में मंत्रिमंडल समिति का गठन किया गया.

गहलोत सरकार ने बनाई दो दर्जन से ज्यादा कमेटियां
विरोध से बचने का तरीका, कमेटी बनाओ

इसके अलावा ग्राम पंचायत और पंचायत समितियों के पुनर्गठन के लिए सचिन पायलट की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल उपसमिति का गठन किया गया था. अधिवक्ताओं की ओर से उठाए गए मुद्दों को लेकर शांति धारीवाल की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल सब कमेटी का गठन हुआ था. परिवहन विभाग में की गई घोषणाओं को लेकर यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल उपसमिति का गठन किया. घोषणापत्र के सरकारी दस्तावेज बनने के बाद निर्णय स्वीकृति के लिए मंत्र विधि मंत्री शांति धारीवाल की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल समिति का गठन किया गया. शिक्षकों की भर्ती को लेकर मंत्री बीडी कल्ला की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल समिति का गठन किया गया. नजूल संपत्तियों के शीघ्र निस्तारण के लिए यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल उपसमिति का गठन किया गया.

पढ़ें- Indira Gandhi Death Anniversary: पीसीसी में हुई पुष्पांजलि और सर्वधर्म प्रार्थना, CM बोले- आधुनिक भारत कांग्रेस की देन

पूर्ववर्ती सरकार के 6 साल के कामकाज की समीक्षा के लिए यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल कमेटी का गठन किया गया. गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति से हुए समझौते के बिंदु की प्रगति की समीक्षा के लिए मंत्र बीडी कल्ला के अध्यक्षता में मंत्रिमंडल कमेटी का गठन किया गया. रिफाइनरी की नियमित समीक्षा के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया गया. जनसुनवाई को सुदृढ़ और प्रभावी बनाने के लिए सुझाव देने के लिए मंत्री बीडी कल्ला की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल समिति का गठन किया गया. राजस्थान बेरोजगार एकीकृत महासंघ की मांगों के संबंध में विचार विमर्श के लिये मंत्री बीडी कल्ला के अध्यक्षता में मंत्रिमंडल समिति का गठन किया गया.

साथ ही जिला और राज्य स्तरीय सहकारी समितियों के समक्ष आ रही समस्याओं के समाधान के लिए परसादी लाल मीणा की अध्यक्षता में समिति का गठन किया गया. कर्मचारियों की मांगों और वेतन विसंगति सहित अन्य मामलों को लेकर कमेटी और राज्यपाल अभिभाषण के लिए भी कमेटी का गठन किया गया था.

गहलोत सरकार ने बनाई दो दर्जन से ज्यादा कमेटियां
कमेटियों पर कमेटी बनी

मीटिंग-दर-मीटिंग चली, लेकिन रिपोर्ट तैयार नहीं

संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण को लेकर बनाई गई कमेटी की कई बार मीटिंग हो चुकी है लेकिन काम अभी भी पूरा नहीं हुआ है. इसी तरह बेरोजगारों की मांगों को लेकर बनी कमेटी ने भी चार बार बैठक कर सुझाव लिए लेकिन रिपोर्ट अभी तक तैयार नहीं की है. इसके अलावा कर्मचारियों की मांगों को लेकर बनी खेमराज कमेटी ने भी कर्मचारियों से सुझाव और मांग पत्र लिया लेकिन अभी तक की रिपोर्ट तैयार नहीं की है. उधर, सामंत कमेटी ने अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंप दी लेकिन उसे अब तक सार्वजनिक नहीं किया गया है.

जन घोषणा पत्र की क्रियान्वित को लेकर बनी कमेटी 7 बार से ज्यादा बैठक कर चुकी है लेकिन उसकी रिपोर्ट अभी तक तैयार नहीं हुई है. किसानों की लोन माफी को लेकर बनी कमेटी की रिपोर्ट भी विवादों में रही, गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के समझौते को कमेटी अभी तक पूरे तरीके से लागू नहीं कर पाई है. जन सुनवाई को लेकर बनी कमेटी अभी तक अपने मापदंड से काम नहीं कर पाई है, तो वहीं शिक्षक भर्ती को लेकर बनी कमेटी का विवाद अभी भी बरकरार है. ऐसी कई कमेटियां हैं जिनकी रिपोर्ट तैयार होने का इंतजार किया जा रहा है.

गहलोत सरकार ने बनाई दो दर्जन से ज्यादा कमेटियां
रीट आंदोलनकारी

क्या कमेटियों के नाम पर मिला झुनझुना

गहलोत सरकार के पौने तीन साल में बनी दो दर्जन से ज्यादा कमेटियों ने मीटिंग दर मीटिंग की हैं. ऐसे में राहत की उम्मीद लगाए बैठे अलग अलग वर्ग को लगता है कि सरकार सिर्फ और सिर्फ कमेटियों के नाम पर झुनझुना दिया जा रहा है. कर्मचारी नेता गजेंद्र सिंह कहते हैं कि सत्ता में आने से पहले कांग्रेस ने पहले वोट के लिए कर्मचारियों से वादे किये, सत्ता में आये तो कर्मचारियों के आंदोलन का सामना नहीं करना पड़े इसके लिए कमेटियां बना दी.

कमेटियां सिर्फ बैठक करके सुझाव लेती हैं. नतीजा सामने नहीं आता, कर्मचारियों की मांगों पर पूरवर्ती वसुंधरा सरकार ने सामंत कमेटी बनाई थी. उस कमेटी कांग्रेस सरकार में अपनी रिपोर्ट दी. लेकिन आज तक सामंत कमेटी ने क्या सुझाव दिए इसको सार्वजनिक नहीं किया गया और उसके बाद फिर एक और अधिकारी की अध्यक्षता में कमेटी बना दी गई. मतलब साफ़ है सरकार आंदोलनों से बचने और ठंडे छींटे देने के लिए कमेटियों का गठन करती है.

गहलोत सरकार ने बनाई दो दर्जन से ज्यादा कमेटियां
हर सरकार में बनी हैं कमेटियां

ऐसा नहीं हैं कि गहलोत सरकार ने ही कमेटियों के जरिये नाराज लोगों साधने की कोशिश की हो. पूरवर्ती वसुंधरा सरकार के वक्त भी कमेटियां बनाई गई थी और उन कमेटियों ने भी मीटिंग दर मीटिंग कर पांच साल का कार्यकाल निकाला. लेकिन गहलोत सरकार ने चुनावी घोषणा पत्र को सरकारी दस्तावेज बनाने के बाद जवाबदेही ज्यादा बन गई. इसलिए अलग अलग बिंदुओं के लिए अलग अलग कमेटियों का गठन किया गया और समय सीमा में समाधान की भी बात की गई. लेकिन 90 फीसदी महत्वपूर्ण कमेटियों ने अपनी रिपोर्ट तैयार नहीं की है. जिससे ऐसा लगता है कि सरकारें कमेटियों का स्तेमाल झुनझुने के रूप में करती हैं.

Last Updated : Oct 31, 2021, 7:14 PM IST
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