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गहलोत कैबिनेट बैठक आज: राइट टू हेल्थ और जवाबदेही बिल को लेकर चर्चा संभव - राइट टू हेल्थ और जवाबदेही बिल

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में आज शाम को 6:00 बजे मंत्रिमंडल की बैठक (Gehlot Cabinet Meet Today) होगी. बैठक में हाल ही में की गई बजट घोषणा के क्रियान्वयन और पूर्व की घोषणाओं को लेकर आवश्यक दिशा निर्देश जारी किए जाएंगे. राइट टू हेल्थ और जवाबदेही बिल को लेकर भी चर्चा संभव है .

Gehlot Cabinet Meet Today
राइट टू हेल्थ और जवाबदेही बिल पर कैबिनेट करेगी विचार!
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Published : Mar 12, 2022, 7:59 AM IST

जयपुर. कैबिनेट और मंत्रिपरिषद की बैठक (Gehlot Cabinet Meet Today) मुख्यमंत्री निवास पर ऑफ लाइन एक साथ होगी. गहलोत कैबिनेट की बैठक में कई बिलों को लेकर चर्चा संभव है. इसमें राइट टू हेल्थ,जवाबदेही कानून के साथ सहकारी संस्थाओं के रजिस्ट्रेशन संबंधी बिल, सेवा नियमों में संशोधन को लेकर विचार किया जा सकता है. इसके अलावा बैठक में स्वास्थ्य विभाग के 3 ,यूडीएच के 2 , शिक्षा विभाग 3 , गृह विभाग के 1 प्रस्ताव का अनुमोदन किया जाएगा .

सामाजिक संगठनों की मांग: प्रदेश में राइट टू हेल्थ और जवाबदेही बिल (Discussion On Right To Health And Accountability Bill) लागू कराने को लेकर लगभग 1 महीने से सामाजिक संगठन शहीद स्मारक पर धरना दे रहे हैं. सामाजिक संगठनों की मांग है कि सरकार ने जो बजट में घोषणा की थी, उन घोषणाओं को लागू करे. सिविल सोसाइटी का मानना है कि ये दोनों बिल मौजूदा वक्त में आम आदमी की सबसे बड़ी जरूरत है. उम्मीद जताई जा रही है कि आज की कैबिनेट मिटिंग में सीएम गहलोत इन दोनों बिलों पर कुछ अहम फैसले ले सकते हैं.

पढ़ें- विधानसभा में बोले स्वास्थ्य मंत्री- जल्द ही प्रदेश में लाई जाएगी Right To Health पॉलिसी, एसएमएस में बनेगा अत्याधुनिक आईपीडी टावर

क्या है जवाबदेही बिल?: जवाबदेही बिल कानूनों का कानून बताया जा रहा है. यही कानून कर्मचारियों और अधिकारियों की जवाबदेही तय करेगा. प्रदेश में 80 हजार नरेगा में रोजगार करते हैं, 80 लाख पेंशनर्स है, एक करोड़ 24 लाख राशन धारक हैं. ये सभी सामाजिक सुरक्षा के दायरे में आते हैं. हकीकत ये है कि इनमें से 10 हजार 880 को पेंशन नहीं मिल रही, हजारों नरेगा मजदूरों की मजदूरी दूसरे खाते में चली गई है. सैकड़ों सिलिकोसिस पीड़ित परिवारों को लाभ नहीं मिल रहा. आखिर क्यों इनकी समस्या का समाधान नहीं हो रहा ? किस की जवाबदेही है ? इसी जवाबदेही को तय करने के लिए जवाबदेही कानून की जरूरत है .

क्या है राइट टू हेल्थ कानून?: प्रदेश में कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच लोगों को स्वास्थ्य का अधिकार (Right To Health) देने के लिए राज्य की गहलोत सरकार राइट टू हेल्थ बिल पर विचार कर रही है. राइट टू हेल्थ बिल का मसौदा सरकार ने तैयार कर लिया है अगर राइट टू हेल्थ बिल पास हो जाता है तो देश भर में राजस्थान ऐसा पहला राज्य होगा जहां पर राइट टू हेल्थ का कानून बनेगा.

राइट टू हेल्थ (Right To Health Bill) कानून के तहत समाज के हर तबके को निजी और सरकारी अस्पतालों में बेहतर इलाज मिल सकेगा. बताया जाता है कि इस कानून के लागू होने के बाद न केवल रोगियों बल्कि उनके अटेंडेंट को भी कई अधिकार मिलेंगे. राइट टू हेल्थ पॉलिसी लाने की तस्दीक पिछले दिनों स्वास्थ्य मंत्री परसादी लाल मीणा ने सदन में की थी. उन्होंने बोला था कि सरकार गंभीरता से विचार कर रही है.

जयपुर. कैबिनेट और मंत्रिपरिषद की बैठक (Gehlot Cabinet Meet Today) मुख्यमंत्री निवास पर ऑफ लाइन एक साथ होगी. गहलोत कैबिनेट की बैठक में कई बिलों को लेकर चर्चा संभव है. इसमें राइट टू हेल्थ,जवाबदेही कानून के साथ सहकारी संस्थाओं के रजिस्ट्रेशन संबंधी बिल, सेवा नियमों में संशोधन को लेकर विचार किया जा सकता है. इसके अलावा बैठक में स्वास्थ्य विभाग के 3 ,यूडीएच के 2 , शिक्षा विभाग 3 , गृह विभाग के 1 प्रस्ताव का अनुमोदन किया जाएगा .

सामाजिक संगठनों की मांग: प्रदेश में राइट टू हेल्थ और जवाबदेही बिल (Discussion On Right To Health And Accountability Bill) लागू कराने को लेकर लगभग 1 महीने से सामाजिक संगठन शहीद स्मारक पर धरना दे रहे हैं. सामाजिक संगठनों की मांग है कि सरकार ने जो बजट में घोषणा की थी, उन घोषणाओं को लागू करे. सिविल सोसाइटी का मानना है कि ये दोनों बिल मौजूदा वक्त में आम आदमी की सबसे बड़ी जरूरत है. उम्मीद जताई जा रही है कि आज की कैबिनेट मिटिंग में सीएम गहलोत इन दोनों बिलों पर कुछ अहम फैसले ले सकते हैं.

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क्या है जवाबदेही बिल?: जवाबदेही बिल कानूनों का कानून बताया जा रहा है. यही कानून कर्मचारियों और अधिकारियों की जवाबदेही तय करेगा. प्रदेश में 80 हजार नरेगा में रोजगार करते हैं, 80 लाख पेंशनर्स है, एक करोड़ 24 लाख राशन धारक हैं. ये सभी सामाजिक सुरक्षा के दायरे में आते हैं. हकीकत ये है कि इनमें से 10 हजार 880 को पेंशन नहीं मिल रही, हजारों नरेगा मजदूरों की मजदूरी दूसरे खाते में चली गई है. सैकड़ों सिलिकोसिस पीड़ित परिवारों को लाभ नहीं मिल रहा. आखिर क्यों इनकी समस्या का समाधान नहीं हो रहा ? किस की जवाबदेही है ? इसी जवाबदेही को तय करने के लिए जवाबदेही कानून की जरूरत है .

क्या है राइट टू हेल्थ कानून?: प्रदेश में कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच लोगों को स्वास्थ्य का अधिकार (Right To Health) देने के लिए राज्य की गहलोत सरकार राइट टू हेल्थ बिल पर विचार कर रही है. राइट टू हेल्थ बिल का मसौदा सरकार ने तैयार कर लिया है अगर राइट टू हेल्थ बिल पास हो जाता है तो देश भर में राजस्थान ऐसा पहला राज्य होगा जहां पर राइट टू हेल्थ का कानून बनेगा.

राइट टू हेल्थ (Right To Health Bill) कानून के तहत समाज के हर तबके को निजी और सरकारी अस्पतालों में बेहतर इलाज मिल सकेगा. बताया जाता है कि इस कानून के लागू होने के बाद न केवल रोगियों बल्कि उनके अटेंडेंट को भी कई अधिकार मिलेंगे. राइट टू हेल्थ पॉलिसी लाने की तस्दीक पिछले दिनों स्वास्थ्य मंत्री परसादी लाल मीणा ने सदन में की थी. उन्होंने बोला था कि सरकार गंभीरता से विचार कर रही है.

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