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आनंदपाल एनकाउंटर पर खाचरियावास का बड़ा बयान, कहा- राजपूत नेताओं को फंसाया जा रहा...

गैंगस्टर आनंदपाल सिंह एनकाउंटर मामले में परिवहन मंत्री खाचरियावास ने सीबीआई जांच पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं. उन्होंने कहा कि जिस मामले की जांच CBI को करनी थी, उसमें क्लीन चिट दे दी गई. उनका कहना है कि मामले में राजपूत नेताओं को फंसाया जा रहा है.

Gangster Anandpal encounter case, Transport Minister Pratap Singh Khachariwas
परिवहन मंत्री खाचरियावास
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Published : Jul 3, 2020, 6:28 PM IST

जयपुर. गैंगस्टर आनंदपाल सिंह की एनकाउंटर में मौत के बाद उनके पैतृक गांव सांवराद में हुए व्यापक दंगों के मामले में सीबीआई ने जोधपुर की सीबीआई विशेष मामले की एसीजेएम कोर्ट में आनंदपाल की बेटी योगिता सिंह और वकील एपी सिंह सहित 24 सामाजिक संगठन के नेताओं के खिलाफ चार्जशीट पेश की है. इनमें ज्यादातर राजपूत समाज के नेता हैं.

खाचरियावास ने CBI जांच पर खड़े किए सवाल

इस मामले में प्रदेश के परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने सीबीआई जांच पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं. प्रताप सिंह ने कहा, वैसे तो इस मामले में केवल आनंदपाल के एनकाउंटर को लेकर सीबीआई की जांच होनी चाहिए थी कि वो एनकाउंटर फर्जी था या असली. ऐसे में सांवराद में हुई सभा को लेकर नेताओं को आरोपी बनाने का कोई मतलब नहीं था.

पढ़ें- CBI ने आनंदपाल सिंह की बेटी, वकील सहित समाज के 24 नेताओं को माना दोषी

खाचरियावास ने कहा कि सीबीआई की ओर से जिन लोगों पर मामला दर्ज किया गया है, उनमें राजपूत नेता महावीर सिंह का भी नाम शामिल है जो उस दिन सांवराद गए ही नहीं थे. ऐसे में सीबीआई की जांच ही घेरे में है. उन्होंने कहा कि सीबीआई पर हर कोई भरोसा करता है, लेकिन अगर सीबीआई इस तरीके से जांच करेगी तो फिर सीबीआई की विश्वसनीयता ही अपने आप में सवालों के घेरे में आ जाएगी. उन्होंने केंद्र सरकार से यह अपील की है कि इस केस को वह विड्रॉ करें.

बता दें कि सीबीआई ने सांवराद में हुई हिंसा के मामले में लोकेंद्र सिंह कालवी, सुखदेव सिंह गोगामेडी, हनुमान सिंह खांगटा, महिपाल सिंह मकराना, गिरिराज सिंह लोटवारा, महावीर सिंह, भंवर सिंह रेटा, रणजीत सिंह सोडाला, रणवीर गुड़ा, ओमेंद्र राणा, चरणजीत कंवर, एपी सिंह, सीमा रघुवंशी, प्रेम सिंह बनवासा, जब्बर सिंह और मोहन सिंह के खिलाफ जोधपुर स्थित एसीजेएम सीबीआई के पीठासीन अधिकारी इंदिरा बडनेरा की कोर्ट में चालान पेश किया है.

कौन था आनंदपाल...

आनंदपाल नागौर जिले के सांवराद गांव का रहने वाला था. आनंदपाल ने पूर्व मंत्री हरजीराम बुरड़क के बेटे से 2 वोटों से पंचायत चुनाव हारने के बाद साल 2006 में अपराध की दुनिया में कदम रखा. साल 2006 में राजस्थान के डीडवाना में जीवन राम गोदारा की गोलियों से भूनकर उसने हत्या कर दी, जिसके बाद आनंदपाल की चर्चा पूरे राजस्थान में होने लगी.

24 जून को हुआ था एनकाउंटर...

पुलिस हिरासत से भागने के बाद 24 जून 2017 को आनंदपाल का चूरू में एनकाउंटर कर दिया गया, जिसके बाद आनंदपाल के परिजनों ने शव लेने से इनकार कर दिया था. 2 जुलाई 2017 को आनंदपाल का शव उनके पैतृक गांव पहुंचा थास लेकिन परिजनों ने शव के अंतिम संस्कार करने को लेकर इनकार कर दिया था. परिजनों ने मांग की थी कि आनंदपाल का फर्जी एनकाउंटर किया गया है और इसकी सीबीआई जांच की जाए.

यह था पूरा मामला...

सीबीआई ने 5 जनवरी 2018 को राजस्थान सरकार के अनुरोध व बाद में सरकार की ओर से जारी अधिसूचना पर मामला दर्ज किया था. सीबीआई ने पुलिस स्टेशन जसवंतगढ़ नागौर में पहले से दर्ज की गई एफआईआर संख्या 115/2017 की जांच का जिम्मा संभाला. इस एफआईआर में यह आरोप लगाया गया था कि 24 जून 2017 को पुलिस के साथ मुठभेड़ के बाद आनंद पाल सिंह की मृत्यु हो गई और उनके शरीर का अंतिम संस्कार नहीं किया गया. इसके बजाय सरकार की ओर से उनकी मांगों को स्वीकार करने के लिए दबाव बनाने के लिए मृतक के पैतृक गांव सांवराद में एक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया.

जयपुर. गैंगस्टर आनंदपाल सिंह की एनकाउंटर में मौत के बाद उनके पैतृक गांव सांवराद में हुए व्यापक दंगों के मामले में सीबीआई ने जोधपुर की सीबीआई विशेष मामले की एसीजेएम कोर्ट में आनंदपाल की बेटी योगिता सिंह और वकील एपी सिंह सहित 24 सामाजिक संगठन के नेताओं के खिलाफ चार्जशीट पेश की है. इनमें ज्यादातर राजपूत समाज के नेता हैं.

खाचरियावास ने CBI जांच पर खड़े किए सवाल

इस मामले में प्रदेश के परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने सीबीआई जांच पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं. प्रताप सिंह ने कहा, वैसे तो इस मामले में केवल आनंदपाल के एनकाउंटर को लेकर सीबीआई की जांच होनी चाहिए थी कि वो एनकाउंटर फर्जी था या असली. ऐसे में सांवराद में हुई सभा को लेकर नेताओं को आरोपी बनाने का कोई मतलब नहीं था.

पढ़ें- CBI ने आनंदपाल सिंह की बेटी, वकील सहित समाज के 24 नेताओं को माना दोषी

खाचरियावास ने कहा कि सीबीआई की ओर से जिन लोगों पर मामला दर्ज किया गया है, उनमें राजपूत नेता महावीर सिंह का भी नाम शामिल है जो उस दिन सांवराद गए ही नहीं थे. ऐसे में सीबीआई की जांच ही घेरे में है. उन्होंने कहा कि सीबीआई पर हर कोई भरोसा करता है, लेकिन अगर सीबीआई इस तरीके से जांच करेगी तो फिर सीबीआई की विश्वसनीयता ही अपने आप में सवालों के घेरे में आ जाएगी. उन्होंने केंद्र सरकार से यह अपील की है कि इस केस को वह विड्रॉ करें.

बता दें कि सीबीआई ने सांवराद में हुई हिंसा के मामले में लोकेंद्र सिंह कालवी, सुखदेव सिंह गोगामेडी, हनुमान सिंह खांगटा, महिपाल सिंह मकराना, गिरिराज सिंह लोटवारा, महावीर सिंह, भंवर सिंह रेटा, रणजीत सिंह सोडाला, रणवीर गुड़ा, ओमेंद्र राणा, चरणजीत कंवर, एपी सिंह, सीमा रघुवंशी, प्रेम सिंह बनवासा, जब्बर सिंह और मोहन सिंह के खिलाफ जोधपुर स्थित एसीजेएम सीबीआई के पीठासीन अधिकारी इंदिरा बडनेरा की कोर्ट में चालान पेश किया है.

कौन था आनंदपाल...

आनंदपाल नागौर जिले के सांवराद गांव का रहने वाला था. आनंदपाल ने पूर्व मंत्री हरजीराम बुरड़क के बेटे से 2 वोटों से पंचायत चुनाव हारने के बाद साल 2006 में अपराध की दुनिया में कदम रखा. साल 2006 में राजस्थान के डीडवाना में जीवन राम गोदारा की गोलियों से भूनकर उसने हत्या कर दी, जिसके बाद आनंदपाल की चर्चा पूरे राजस्थान में होने लगी.

24 जून को हुआ था एनकाउंटर...

पुलिस हिरासत से भागने के बाद 24 जून 2017 को आनंदपाल का चूरू में एनकाउंटर कर दिया गया, जिसके बाद आनंदपाल के परिजनों ने शव लेने से इनकार कर दिया था. 2 जुलाई 2017 को आनंदपाल का शव उनके पैतृक गांव पहुंचा थास लेकिन परिजनों ने शव के अंतिम संस्कार करने को लेकर इनकार कर दिया था. परिजनों ने मांग की थी कि आनंदपाल का फर्जी एनकाउंटर किया गया है और इसकी सीबीआई जांच की जाए.

यह था पूरा मामला...

सीबीआई ने 5 जनवरी 2018 को राजस्थान सरकार के अनुरोध व बाद में सरकार की ओर से जारी अधिसूचना पर मामला दर्ज किया था. सीबीआई ने पुलिस स्टेशन जसवंतगढ़ नागौर में पहले से दर्ज की गई एफआईआर संख्या 115/2017 की जांच का जिम्मा संभाला. इस एफआईआर में यह आरोप लगाया गया था कि 24 जून 2017 को पुलिस के साथ मुठभेड़ के बाद आनंद पाल सिंह की मृत्यु हो गई और उनके शरीर का अंतिम संस्कार नहीं किया गया. इसके बजाय सरकार की ओर से उनकी मांगों को स्वीकार करने के लिए दबाव बनाने के लिए मृतक के पैतृक गांव सांवराद में एक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया.

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