जयपुर. प्रदेश की राजधानी स्थापना के 297 सालों में ये पहला मौका है, जब त्रिपोलिया गेट से गणगौर माता की सवारी नहीं निकली है. शहर में लॉक डाउन और कोरोना वायरस का संक्रमण ना फैले इसके मद्देनजर गणगौर माता की सवारी कार्यक्रम को आयोजित नहीं किया गया.
जिस त्रिपोलिया गेट और त्रिपोलिया बाजार में गणगौर के दिन लोगों का हुजूम देखने को मिलता था. वहां शुक्रवार को सूनी सड़कें नजर आई. इक्का-दुक्का लोग अपने घर के लिए यहां से गुजरते जरूर देखे गए. लेकिन जिन बरामदे की छत वीआईपी गेस्ट और विदेशी पर्यटकों से अटी रहती थी, वहां परिंदे ही नजर आए. साथ ही जिन बैरिकेडिंग के पीछे हजारों की संख्या में शहरवासी माता के दर्शन के लिए टकटकी बांधे खड़े रहते थे, वहां सुना पड़ा था.
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दरअसल, जयपुर की विरासत का प्रतीक और विश्व पटल पर प्रसिद्धि प्राप्त कर चुका गणगौर महोत्सव इस बार आयोजित नहीं किया जा सका. जयपुर के वैभव और रंगारंग संस्कृति के साथ लोकगीत-संगीत का तीन दिवसीय आयोजन का शहर वासियों को साल भर इंतजार रहता है. लेकिन इस साल ये इंतजार सिर्फ इंतजार बनकर रह गया.
कोरोनावायरस के संक्रमण के चलते लागू लॉक डाउन के कारण सिटी पैलेस से परंपरागत गणगौर माता की सवारी नहीं निकाली गई. हालांकि राज परिवार ने सिटी पैलेस परिसर में ही गणगौर माता की पूजा अर्चना कर समृद्धि और शांति की कामना की और सिर ड्योढ़ी में परिक्रमा लगवाई.
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जानकारों की माने तो वर्ष 1903 से 1913 तक जयपुर में प्लेग की महामारी फैली थी. उस दौरान भी गणगौर की सवारी नहीं रुकी थी. हालांकि तब महोत्सव का प्रारूप छोटा कर दिया गया था. लेकिन जयपुर के इतिहास में ये पहला मौका है जब त्रिपोलिया गेट से गणगौर माता की सवारी नहीं निकली गई.