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Garh Ganesh Temple : विश्व का एक मात्र ऐसा गणेश मंदिर जहां हैं बिना सूंड वाले गणेश जी - History of Jaipur Garh Ganesh Temple

जयपुर को छोटी काशी के नाम से भी जाना जाता है. वजह है यहां के प्राचीन मंदिर. शहर के नाहरगढ़ पहाड़ी पर स्थित गढ़ गणेश जी मंदिर भी उन्हीं में से (Idol of Ganpati without trunk) एक है. ये एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां भगवान गणेश के बाल स्वरूप की प्रतिमा स्थापित है. या यूं कहें यहां बिना सूंड वाले गणेश जी की पूजा की जाती है. पढ़िए ये खास रिपोर्ट...

Ganesh Chaturthi 2022
मंदिर जहां हैं बिना सूंड वाले गणेश जी
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Published : Sep 4, 2022, 6:15 AM IST

जयपुर. पूरे देश में गणेश उत्सव धूम-धाम से मनाया जा रहा है. ईटीवी भारत लेकर आया है ऐसे मंदिर के बारे में जो भगवान गणेश के जन्म की पौराणिक मान्यता और कथा-कहानियों से परिचित है. सभी ये जानते हैं कि किस तरह भगवान गणेश को हाथी के सिर वाला स्वरूप मिला. लेकिन राजधानी जयपुर में एक मंदिर ऐसा भी है जहां भगवान गणेश के बाल स्वरूप की प्रतिमा स्थापित है. यानि यहां बिना सूंड वाले गणेश जी की पूजा-अर्चना होती है. नाहरगढ़ की पहाड़ी पर महाराजा सवाई जयसिंह ने अश्वमेघ यज्ञ करवा कर गणेश जी (Idol of Ganpati without trunk) के बाल्य स्वरूप वाली इस प्रतिमा की गढ़ गणेश जी मंदिर में विधिवत स्थापना करवाई थी. इसके बाद ही जयपुर की नींव रखी गई थी.

महाराजा करते थे दूरबीन से भगवान के दर्शन: गढ़ गणेश मंदिर के पास खड़े होकर देखने से लगभग पूरे जयपुर का विहंगम (Jaipur Garh Ganesh Temple) दृश्य दिखाई देता है. रियासत कालीन इस मंदिर के महंत प्रदीप औदिच्य ने बताया कि मंदिर में गणपति को इस प्रकार प्रतिष्ठित किया गया था कि सिटी पैलेस के इन्द्र महल से महाराजा दूरबीन से भगवान के दर्शन करके अपने दिन की शुरुआत करते थे. उन्होंने बताया कि इस मंदिर तक पहुंचने के लिए हर रोज एक सीढ़ी का निर्माण किया गया था. इस तरह पूरे साल तक निर्माण चलता रहा और 365 सीढ़ियां बनीं. उन्होंने बताया कि इस मंदिर के निर्माण के समय सवाई जयसिंह ने वास्तु का भी ध्यान रखा था. शहर की बसावट भी इसी वास्तु के आधार पर की गई.

ऐसा गणेश मंदिर जहां हैं बिना सूंड वाले गणेश जी

पढ़ें. Special : बोहरा गणेश मंदिर में लोगों की मनोकामना होती है पूरी, भक्त ले जाते थे उधार रुपये

चूहों को बताते हैं इच्छा: इस मंदिर तक जाने से पहले रास्ते में एक शिव मंदिर आता है, जिसमें पूरा शिव परिवार (History of Jaipur Garh Ganesh Temple) विराजमान है. इन सीढ़ियों के निर्माण से पहले पहाड़ से ही आने का रास्ता हुआ करता था. आज भी अनेक श्रद्धालु इसी पहाड़ के जरीए मंदिर परिसर तक पहुंचते हैं. बिना सूंड वाली गणेश प्रतिमा के दर्शन के लिए देश के कोने-कोने से भक्त आते हैं. श्रद्धालुओं की माने तो गढ़ गणेश से मांगी जाने वाली हर मनोकामना पूरी होती है. मंदिर परिसर में दो चूहों की भी प्रतिमा है. जिनके कान में भक्त अपनी इच्छाएं बता कर जाते हैं. मान्यता है कि चूहे उन इच्छाओं को बाल गणेश तक पहुंचाते हैं.

13 पीढ़ियों पहले गुजरात से आए औदिच्य ब्राह्मण यहां सेवा-पूजन का काम कर रहे हैं. मंदिर महंत ने बताया कि शादियों में भी गणपति का नहीं विनायक का पूजन होता है. यानि बिना सूंड वाले बाल स्वरूप का ही पूजन होता है. जयपुर वासी आज भी शादियों के निमंत्रण लेकर आराध्य गणेश जी महाराज के दर पर आते हैं. चूंकि मंदिर परिसर में फोटोग्राफी की सख्त मनाही है, ऐसे में हम आपको बाल गणेश जी दर्शन नहीं करा सकते.

जयपुर. पूरे देश में गणेश उत्सव धूम-धाम से मनाया जा रहा है. ईटीवी भारत लेकर आया है ऐसे मंदिर के बारे में जो भगवान गणेश के जन्म की पौराणिक मान्यता और कथा-कहानियों से परिचित है. सभी ये जानते हैं कि किस तरह भगवान गणेश को हाथी के सिर वाला स्वरूप मिला. लेकिन राजधानी जयपुर में एक मंदिर ऐसा भी है जहां भगवान गणेश के बाल स्वरूप की प्रतिमा स्थापित है. यानि यहां बिना सूंड वाले गणेश जी की पूजा-अर्चना होती है. नाहरगढ़ की पहाड़ी पर महाराजा सवाई जयसिंह ने अश्वमेघ यज्ञ करवा कर गणेश जी (Idol of Ganpati without trunk) के बाल्य स्वरूप वाली इस प्रतिमा की गढ़ गणेश जी मंदिर में विधिवत स्थापना करवाई थी. इसके बाद ही जयपुर की नींव रखी गई थी.

महाराजा करते थे दूरबीन से भगवान के दर्शन: गढ़ गणेश मंदिर के पास खड़े होकर देखने से लगभग पूरे जयपुर का विहंगम (Jaipur Garh Ganesh Temple) दृश्य दिखाई देता है. रियासत कालीन इस मंदिर के महंत प्रदीप औदिच्य ने बताया कि मंदिर में गणपति को इस प्रकार प्रतिष्ठित किया गया था कि सिटी पैलेस के इन्द्र महल से महाराजा दूरबीन से भगवान के दर्शन करके अपने दिन की शुरुआत करते थे. उन्होंने बताया कि इस मंदिर तक पहुंचने के लिए हर रोज एक सीढ़ी का निर्माण किया गया था. इस तरह पूरे साल तक निर्माण चलता रहा और 365 सीढ़ियां बनीं. उन्होंने बताया कि इस मंदिर के निर्माण के समय सवाई जयसिंह ने वास्तु का भी ध्यान रखा था. शहर की बसावट भी इसी वास्तु के आधार पर की गई.

ऐसा गणेश मंदिर जहां हैं बिना सूंड वाले गणेश जी

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चूहों को बताते हैं इच्छा: इस मंदिर तक जाने से पहले रास्ते में एक शिव मंदिर आता है, जिसमें पूरा शिव परिवार (History of Jaipur Garh Ganesh Temple) विराजमान है. इन सीढ़ियों के निर्माण से पहले पहाड़ से ही आने का रास्ता हुआ करता था. आज भी अनेक श्रद्धालु इसी पहाड़ के जरीए मंदिर परिसर तक पहुंचते हैं. बिना सूंड वाली गणेश प्रतिमा के दर्शन के लिए देश के कोने-कोने से भक्त आते हैं. श्रद्धालुओं की माने तो गढ़ गणेश से मांगी जाने वाली हर मनोकामना पूरी होती है. मंदिर परिसर में दो चूहों की भी प्रतिमा है. जिनके कान में भक्त अपनी इच्छाएं बता कर जाते हैं. मान्यता है कि चूहे उन इच्छाओं को बाल गणेश तक पहुंचाते हैं.

13 पीढ़ियों पहले गुजरात से आए औदिच्य ब्राह्मण यहां सेवा-पूजन का काम कर रहे हैं. मंदिर महंत ने बताया कि शादियों में भी गणपति का नहीं विनायक का पूजन होता है. यानि बिना सूंड वाले बाल स्वरूप का ही पूजन होता है. जयपुर वासी आज भी शादियों के निमंत्रण लेकर आराध्य गणेश जी महाराज के दर पर आते हैं. चूंकि मंदिर परिसर में फोटोग्राफी की सख्त मनाही है, ऐसे में हम आपको बाल गणेश जी दर्शन नहीं करा सकते.

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